राजस्थान सामान्य ज्ञान : धार्मिक आन्दोलन

महाजनपद

नये राज्यों का उदय

जनपदीय राज्य :

  • ई.पू. छठी शताब्दी में भारत में अनेक शक्तिशाली राज्यों का विकास हुआ। बौद्ध ग्रंथ ‘अंगुत्तरनिकाय’ तथा जैन गंथ ‘भगवतीसूत्र’ में इस समय के 16 महाजनपद की सूची मिलती है।
  • 16 महाजनपद में वज्जि और मल्ल गणतंत्र थे शेष सभी राजतंत्रात्मक राज्य थे।

मगध साम्राज्य का उत्कर्ष

हर्यंक वंश (545-412 ई.पू.) :

  • बिम्बिसार (543-492 ई.पू.) इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था जो बुद्ध का समकालीन था। इसका उपनाम श्रेणिक था। इसने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया।
  • बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंधों के द्वारा अपने राज्य का विस्तार किया तथा इसे सुदृढ़ता प्रदान की।
  • अवंति के राजा प्रद्योत की चिकित्सा के लिए अपने चिकित्सक जीवक को उज्जैन भेजा था।
  • अजातशत्रु (493-460 ई.पू.) अपने पिता की हत्या कर मगध के सिंहासन पर बैठा। इसका नाम कुणिक भी था।
  • अजातशत्रु ने वज्जिसंघ को पराजित करने के दौरान प्रथम बार रथमूसल व व शिलाकण्टक जैसे अत्रों का प्रयोग किया।
  • साम्राज्यवादी नीति के तहत इसने काशी तथा वज्जिसंघ को मगध में मिलाया।
  • उदायिन (460-444 ई.पू.) ने गंगा एवं सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर की स्थापना की।

शिशुनाग वंश :

  • शिशुनाग (412-344 ई.पू.) ने अवंति तथा वत्स को जीतकर इसे मगध साम्राज्य का अंग बनाया।
  • कालाशोक जिसका अन्य नाम काकवर्ण भी था, ने राजधानी पुनः पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दी।

नन्द वंश (344-322 ई.पू.) :

  • नन्द वंश का संस्थापक महापद्मनंद था। पुराण में इसे सर्वक्षत्रांतक कहा गया है।
  • महाबोधिवंश इसे उग्रसेन कहता है। इसने एकराट की उपाधि धारण की।
  • घनानंद, नन्द वंश का अंतिम राजा था। यह सिकन्दर का समकालीन था तथा इसके शासनकाल में 326 ई.पू. में सिकन्दर ने पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने घनानंद की हत्या कर मौर्य वंश की स्थापना की थी।

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