Rajasthan GK Notes

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Rajasthan GK || राजस्थान के प्रतीक चिह्न

राज्य पुष्प रोहिड़ा – ये पश्चिमी राजस्थान में अर्द्ध शुष्क मरुस्थल में फैला हुआ है। शेखावाटी, लूनी बेसिन व नागौर जिले में सर्वाधिक पाया जाता है। राज्य सरकार द्वारा 31 अक्टूबर, 1983 को ‘राज्य पुष्प‘ घोषित किया गया। रोहिड़ा के फूल को मरुस्थल का सागवान/राजस्थान का सागवान/मारवाड़ टीका/ राजस्थान की मरु शोभा / इसका वानस्पतिक […]

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Rajasthan GK || राजस्थान का प्रशासनिक स्वरूप एवं जिले

राजस्थान का प्रशासनिक स्वरूप :- देश आजाद होने के समय राज्य में 19 देशी रियासतें 3 ठिकाने व 1 केन्द्रशासित प्रदेश था। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को रियासतों को देश में मिलाने का कार्य सौंपा गया और इस प्रकार राज्य के एकीकरण का कार्य 17-18 मार्च 1948 को प्रारम्भ हुआ। जो 7 चरणों

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Rajasthan GK || राजस्थान की आकृति व विस्तार

 राजस्थान की आकृति व विस्तार :-  राजस्थान की आकृति विषमकोणीय चतुर्भुज (Rhombus) के समान है। – उत्तर से दक्षिण तक राज्य की लम्बाई 826 किमी. व पूर्व से पश्चिम तक राज्य की लम्बाई 869 * किमी. है। राजस्थान की लम्बाई-चौड़ाई का अन्तर 43 किमी. है। राज्य का विस्तार उत्तर में कोणा गाँव (श्रीगंगानगर) से लेकर

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Rajasthan GK || परिचय, स्थिति एवं विस्तार

राजस्थान का नामकरण रामायण में राजस्थान का नाम मरुकान्तर है जबकि वेदों में राजस्थान के ब्रह्मावर्त नाम का उल्लेख मिलता है। बसंतगढ़ के शिलालेख में सर्वप्रथम 682 ई.पू. में राजस्थान को संस्कृत भाषा का शब्द ‘राजस्थानयाद्वित्य’ कहा गया। राजस्थान के अबुल फजल कहे जाने वाले मुहणौत नैणसी द्वारा लिखे गये “मुहणौत नैणसी री ख्यात” में

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || पंचवर्षीय योजना

पंचवर्षीय योजना – लक्ष्य, रणनीति एवं उपलब्धियाँ आर्थिक नियोजन आर्थिक नियोजन समवर्ती सूची का विषय है (केन्द्र तथा राज्य दोनों कानून बना सकते है) भारत में आर्थिक नियोजन का कार्य नीति आयोग, वित्त आयोग तथा सरकार के द्वारा किया जाता है। राजस्थान में आर्थिक नियोजन का कार्य राजस्थान नियोजन बोर्ड (आयोजन बोर्ड) द्वारा किया जाता

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || न्यायपालिका (JUDICIARY)

न्यायपालिका (JUDICIARY) न्यायपालिका- भारत में न्यायपालिका का एकीकृत रूप है। संघ और राज्यों दोनों के लिए एक ही न्यायपालिका है। अमेरिका में संघ एवं राज्यों के लिए अलग-अलग न्यायालय है। ’भारत में उच्चतम न्यायालय, मूल अधिकारों का रक्षक और संविधान का संरक्षक भी है।‘ भारतीय संविधान में स्वतंत्र एवं स्वायत्त न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है। न्यायपालिका की संरचना निम्नलिखित है- उच्चतम न्यायालय ↓ उच्च न्यायालय ↓ जिला न्यायालय ↓ ग्राम न्यायालय  उच्चतम न्यायालय – उच्चतम न्यायालय का गठन (अनुच्छेद-124)- उच्चतम न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश एवं 30 अन्य न्यायाधीश होंगे। प्रारंभ में संविधान में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 7 अन्य न्यायाधीशों का प्रावधान किया गया था। उच्चतम न्यायालय की पीठ (अनुच्छेद-130)- उच्चतम न्यायालय की पीठ ’नई दिल्ली‘ में है। मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकार है, कि उच्चतम न्यायालय की पीठ किसी और स्थान पर भी राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से स्थापित कर सकता है। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश की नियुक्ति की योग्यताएँ- वह भारत का नागरिक हो। किसी उच्च न्यायालय में कम से कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो। वह कम से कम 10 वर्ष किसी एक उच्च न्यायालय में वकालत कर चुका हो। राष्ट्रपति की राय में विख्यात या कुशल विधिवेत्ता हो। शपथ- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, तीसरी अनुसूची के अनुसार शपथ ग्रहण करते हैं। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रपति, शपथ ग्रहण कराते हैं। उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीशों के लिए आयु सीमा- न्यायाधीशों की नियुक्ति की किसी न्यूनतम आयु का वर्णन नहीं है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है। तदर्थ न्यायाधीश- जब उच्चतम न्यायालय में कोरम/गणपूर्ति का अभाव हो, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को जो उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति की योग्यता रखते हों, उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के पूर्व सहमति से की जाएगी और उन्हें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की सभी उपलब्धियाँ प्राप्त होंगी। (अनुच्छेद-127) अवकाश प्राप्त न्यायाधीश (अनुच्छेद-128)-

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || नीति निदेशक तत्व (DIRECTIVE PRINCIPLES)

 निदेशक तत्व (DIRECTIVE  PRINCIPLES) भारतीय संविधान में निदेशक तत्वों का उल्लेख भाग-4 के अनुच्छेद-36 से 51 तक किया गया है। निदेशक तत्व, आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं। भाग-4 के अलावा वर्णित निदेशक तत्व- भाग-4 के अलावा संविधान के अन्य भागों में भी निदेशक तत्वों का उल्लेख है- (i) अनुच्छेद-335 में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को आरक्षण प्रदान करते समय प्रशासनिक कुशलता का ध्यान रखें। (ii) अनुच्छेद-350, A में अल्पसंख्यकों के बच्चों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना। (iii) अनुच्छेद-351 में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना। निदेशक तत्व (ऐतिहासिक उत्पत्ति)- संविधान सभा में, निदेशक तत्वों का निर्माण मूल अधिकारें की उपसमिति के द्वारा किया गया, क्योंकि संविधान सभा में, निदेशक तत्वों के लिए किसी समिति का निर्माण नहीं किया गया, बल्कि मूल अधिकारों की उपसमिति (अध्यक्ष जे. बी. कृपलानी) के द्वारा इसका निर्माण हुआ। आरंभ में मूल अधिकारों को अत्यधिक व्यापक रूप में सम्मिलित करने का विचार था, परंतु व्यावहारिक कारणों से मूल अधिकारों को दो भागों में विभाजित कर दिया गया- निदेशक तत्त्वों की प्रकृति- निदेशक तत्व, अवादयोग्य हैं, जिसका अभिप्राय है, कि इन्हें लागू करने के लिए कोई व्यक्ति न्यायपालिका का सहारा नहीं ले सकता। उच्चतम न्यायालय ने ’महर्षि अवधेश बनाम् भारत संघवाद‘ (1994) में याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा, कि समान नागरिक संहिता के निर्माण के लिए सरकार को निर्देश या परमादेश नहीं दिया जा सकता, बल्कि यह विधायिका के विधि निर्माण का मुद्दा है। अनुच्छेद-37- इस भाग में, वर्णित प्रावधानों को न्यायपालिका द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता, बल्कि निदेशक तत्व देश के  शासन के मूलभूत नियम हैं। राज्य का यह कर्त्तव्य होगा, कि वह इन निदेशक तत्वों का प्रयोग विधि निर्माण के लिए करे। परंतु सरकार द्वारा विधि बनाकर और संविधान संशोधन द्वारा इन्हें लागू किया जा रहा है। अनुच्छेद-365 में स्पष्ट उल्लिखित है, कि यदि राज्य, संघ द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करते,

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || गरीबी एवं बेरोजगारी

गरीबी एवं बेरोजगारी – अवधारणा , प्रकार, कारण, निदान एवं वर्तमान फ्लेगशिप योजनाएं बेरोजगारी बेरोजगारी से तात्पर्य – किसी राष्ट्र/ समाज में योग्यता होने के बावजूद भी रोजगार का न मिल पाना। अर्थव्यवस्था में सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था चलाने के लिए रोजगार का होना अनिवार्य अनुच्छेद 39 (समान कार्य के लिए समान वेतन), अनुच्छेद 41 (रोजगर

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || कार्यपालिका (EXECUTIVE)

कार्यपालिका (EXECUTIVE) कार्यपालिका- अनुच्छेद-52- भारत का एक राष्ट्रपति होगा। अनुच्छेद-53- भारत की समूची कार्यपालिकी शक्तियाँ, राष्ट्रपति में निहित हैं। तीनों सेनाओं का प्रधान, राष्ट्रपति होगा। राष्ट्रपति पद हेतु योग्यताएँ- वह भारत का नागरिक हो। 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो। वह लोक सभा का सदस्य चुने जाने की योग्यताएँ रखता हो। परंतु वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि कोई ऐसा व्यक्ति, राष्ट्रपति चुन लिया जाता है, तो उसे पद ग्रहण करने से पहले उस सदन से त्याग पत्र देना होगा। वह किसी लाभ के पद पर न हो, परंतु वर्तमान राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल तथा संघ अथवा राज्य के मंत्री का पद, लाभ का पद नहीं माना जाता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन (अनुच्छेद-54)- राष्ट्रपति का चुनाव भारत में निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाता है। राष्ट्रपति के चुनाव के नामांकन के लिए उम्मीदवार के कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक होने चाहिए। प्रत्येक उम्मीदवार जमानत राशि के रूप में 15,000 रूपये भारतीय रिजर्व बैंक में जमा करवाएगा। राष्ट्रपति का निर्वाचन, संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों तथा दिल्ली और पाँडिचेरी विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा किया जाता है। 70वें संविधान संशोधन-1992 के द्वारा दिल्ली एवं पाँडिचेरी के विधान सभा सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल किया गया। राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में रिक्ति के आधार पर राष्ट्रपति का चुनाव स्थगित नहीं होगा, और न ही यह अवैध होगा। राष्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी करने वाले सदस्य- (i)   संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य। (ii) राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य। राष्ट्रपति चुनाव में भागीदारी नहीं करने वाले  सदस्य- (i)   राज्य विधान परिषदों के सदस्य। (ii) लोक सभा एवं राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। राष्ट्रपति चुनाव में पीठासीन अधिकारी के रूप में क्रमशः राज्य सभा व लोक सभा के महासचिव नियुक्त होते हैं। राष्ट्रपति के चुनाव के विवाद के निर्णय की कार्यवाही उच्चतम न्यायालय में होती है। (अनुच्छेद 71 में उल्लेखित) राष्ट्रपति का चुनाव कभी भी दलीय आधार पर नहीं होता है और इसमें चुनाव चिन्ह भी नहीं वितरित किया जाता है।

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राजस्थान जीके प्रश्न || अध्याय 45. जनजातियाँ

अध्याय 45. जनजातियाँ 1. राजस्थान में सूचना के अधिकार को प्राप्त करने के आन्दोलन की प्रणेता हैं- (a) श्रीमती गिरिजा व्यास (b) श्रीमती आशा शर्मा (c) श्रीमती अरुणा रॉय (d) श्रीमती शीला शेखावत 2. सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रथम अपील के निर्णय के विरुद्ध राज्य सूचना आयोग में अपील की अवधि है- (a)

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