राजस्थान सामान्य ज्ञान : धार्मिक आन्दोलन

षडदर्शन :

दर्शनप्रवर्तक
सांख्यकपिल
भौतिकवादीचार्वाक
योगपतंजलि
न्यायगौतम
पूर्व मीमांसाजैमिनी
उत्तर मीमांसाबादरायण
वैशेषिककणाद
  • दक्षिण भारत में रहने वाले वैष्णव संतों को ‘अलवार’ कहा जाता था। अलवार संतों की संख्या 12 थी। इन संतों में एक मात्र महिला आण्डाल का जिक्र मिलता है।

प्रमुख मत एवं आचार्य

मतआचार्य
विशिष्टाद्वैतरामानुज
द्वैताद्वैतनिम्बार्क
शुद्धाद्वैतवल्लभाचार्य
अद्वैतवादशंकराचार्य

शैव धर्म

  • हड़प्पा काल में शिव की पूजा पशुपति महादेव के रूप में तथा पूर्व वैदिककाल में शिव की रुद्र के रूप में की जाती थी। मेगास्थनीज ने शिव के लिए डायोनिसस शब्द का उल्लेख किया है।
  • एक सम्प्रदाय के रूप में शैव धर्म प्रारम्भ शुंग एवं सातवाहनों के काल में हुआ। कुषाण काल में शैव धर्म का विकास हुआ एवं गुप्तकाल में यह चरम सीमा पर पहुंचा। लिंग पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मत्स्य पुराण में मिलता है।

नयनार :

  • दक्षिण भारत के शैव संतों को नयनार कहा जाता है। नयनार संतों की कुल संख्या 63 थी।

पाशुपत सम्प्रदाय :

  • इसके संस्थापक लकुलिश थे, जिन्हें शिव का अवतार माना जाता है। ये गुजरात के निवासी थे।

कालामुख सम्प्रदाय :

  • ये अतिवादी विचारधारा के थे। शिव पुराण में इस सम्प्रदाय के अनुयायियों को महाव्रतधर कहा गया है। ये मानव खोपड़ी में खाना खाते थे। भैरव की पूजा करते थे।

कापालिक एवं लिंगायत सम्प्रदाय :

  • कापालिक सम्प्रदाय का उल्लेख भवभूति के ‘मालती माधव’ में मिलता है। यह एक वाममार्गी सम्प्रदाय है।
  • इस सम्प्रदाय में इष्टदेव भैरव को सुरा और नरबलि का नैवेद्य चढ़ाया जाता है। ‘श्री शैल’ इस सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है।
  • लिंगायत सम्प्रदाय को वीरशैव सम्प्रदाय भी कहा जाता है। इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक वासव थे। इस सम्प्रदाय के पुरोहितों को जंगम कहा जाता था। कर्नाटक क्षेत्र में यह काफी प्रचलित था।
  • कश्मीरी शैव सम्प्रदाय के संस्थापक वसुगुप्त थे। यह एक प्रकार का अद्वैतवाद है।

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