राजस्थान सामान्य ज्ञान : पदार्थ की संरचना एवं रासायनिक पदार्थ

 पदार्थ

  • द्रव्य (पदार्थ) Matter : ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुएं द्रव्य (पदार्थ) की बनी होती है। द्रव्य अत्यन्त सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है, जिसे अणु (Molecule) कहते हैं।
  • नोट-द्रव्य (पदार्थ) की इकाई – अणु (Molecule)।
  • इन अणुओं के मध्य लगने वालो आकर्षण बल के आधार पर पदार्थ की तीन मुलभूत अवस्थाएं होती हैं-
  1. ठोस  2. द्रव     3. गैस
  • पदार्थ की चौथी अवस्था – प्लाज्मा।
  • पदार्थ की पांचवी अवस्था – बेक (BEC)।
  • अणु (Molecule) : द्रव्य का सूक्ष्मतम कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है। अणु कहलाता है।
  • अणु दो या दो से अधिक परमाणुओं से मिलकर बना होता है। ये परमाणु एक ही प्रकार के या एक से अधिक प्रकार के हो सकते हैं।
  • अणु रासायनिक अभिक्रिया में सामान्यतः भाग नहीं लेता है।

Ex. : H2O, CH4, NH3, O2, N2, H2 इत्यादि।

  • परमाणु (Atom) : A + Tom (जिसे आगे विभाजित नहीं कर सकते), खोजकर्त्ता- जॉन-डॉल्टन।
  • परमाणु तीन मूलभुत कणों से मिलकर बना होता है- (i) Electron – J.J. Thomson (1897), (ii) Proton – Ruther ford-II (Goldstein – 1911), (iii) Neutron – James-Chedvick (1932)।
  • परमाणु भार = तुल्यांकी भार × संयोजकता।
  • अणु भार = 2 ×  वाष्प घनत्व।

किसी अणु का भार उसके अणुसूत्र में उपस्थित सभी परमाणुओं के परमाणु भारों का योग होता है।

  • सामान्य दाब व ताप पर 22.4 लीटर आयतन वाली गैस का भार उसके ग्राम अणुभार के बराबर होता है। अणुओं की संख्या 6.02 × 1023 होती है। इसे एवोगाद्रो संख्या कहते हैं। किसी तत्व के 6.02 × 1023 परमाणुओं का भार उस तत्व के ग्राम परमाणु भार के बराबर होता है तथा यह मात्रा तत्वों का एक मोल कहलाती है।
  • मोल कोई संख्या नहीं है अपितु यह पदार्थ की मात्रा है जिसे सहति या आयतन के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • किसी तत्व के एक मोल का अर्थ उसके 6.02 × 1023 परमाणुओं के द्रव्यमान से होता है।
  • किसी अणु का एक ग्राम अणु द्रव्यमान उसके 6.02 × 1023 अणुओं के द्रव्यमान को व्यक्त करता है।
  • एक मोल गैस का आयतन सामान्य ताप एवं दाब पर 22.4 लीटर होता है।

तत्त्व

  • वे शुद्ध पदार्थ जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से निर्मित होते हैं तत्त्व कहलाते हैं। परमाणु तत्त्व की सुक्ष्मतम ईकाई होती है।
  • तत्त्व की प्रथम परिभाषा फ्रांस के एंटोनीलॉरेंट लवाइजिए ने प्रस्तुत की जिसके अनुसार तत्त्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थ़ों में नहीं बांट सकते।
  • तत्त्व के प्रतीक बर्जीलियस ने प्रस्तुत किए। तत्त्व शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रॉबर्ट बोयल ने किया। तत्त्वों के संकेत को अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर से प्रदर्शित करते हैं। जैसे- H, He, Li, Be, B, C, N, O, F, Ne, Na (Natriam), Ng, Al, Si, P, S, Cl, Ar, K (Kalium), Ca.
  • कुछ महत्त्वपूर्ण प्रतीक – लौहा (Fe-फेरम), चांदी (Ag–अर्जेन्टम), लेड या सीसा (Pb–प्लम्बम), पारा या मर्करी (Hg–हाइड्रेजायरम), तांबा (Cu–क्यूप्रम), एंटिमनी (Sb–स्टबिन), टंगस्टन (W–वूलफ्रेम)
  • वर्तमान में तत्त्वों की संख्या 114 (92-प्राकृतिक व शेष कृत्रिम) है। इनमें से 86 धातु, 22 अधातु, 6 उपधातु है।
  • कुल 11 तत्त्व कमरे के ताप पर गैस है।
  • आवर्त सारणी बनाने का प्रथम प्रयास डोबेराइनर ने 1817 में किया। इन्होंने तत्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखकर डोबेराइनर त्रिक का निर्माण किया।
  • 1866 में न्यूलैंड ने अष्टक नियम के द्वारा आवर्त सारणी बनाने का दूसरा प्रयास किया।
  • 1872 में रूसी वैज्ञानिक मेंडलिफ ने 63 तत्वों को उनके द्रव्यमान संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया। मेंडलिफ के नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उन तत्वों के द्रव्यमान संख्या के आवर्तीफलन होते हैं।
  • सर्वमान्य आवर्त सारणी का निर्माण 1913 में मोजले के द्वारा किया गया। इन्होंने तत्वों को परमाणु संख्या के आधार पर 18 ऊर्ध्व स्तम्भ/वर्ग (Group) तथा 7 क्षैतिज पंक्तियां/आवर्त (Periods) में वर्गीकृत किया। इनके अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्ती फलन होते हैं।
  • वर्ग में आने वाले तत्वों के बाह्य कोष के इलेक्ट्रॉनीय विन्यास समान होते हैं। इसी कारण इनके रासायनिक गुण भी समान होते हैं।

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