राजस्थान सामान्य ज्ञान 2023

Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || पंचवर्षीय योजना

पंचवर्षीय योजना – लक्ष्य, रणनीति एवं उपलब्धियाँ आर्थिक नियोजन आर्थिक नियोजन समवर्ती सूची का विषय है (केन्द्र तथा राज्य दोनों कानून बना सकते है) भारत में आर्थिक नियोजन का कार्य नीति आयोग, वित्त आयोग तथा सरकार के द्वारा किया जाता है। राजस्थान में आर्थिक नियोजन का कार्य राजस्थान नियोजन बोर्ड (आयोजन बोर्ड) द्वारा किया जाता […]

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || न्यायपालिका (JUDICIARY)

न्यायपालिका (JUDICIARY) न्यायपालिका- भारत में न्यायपालिका का एकीकृत रूप है। संघ और राज्यों दोनों के लिए एक ही न्यायपालिका है। अमेरिका में संघ एवं राज्यों के लिए अलग-अलग न्यायालय है। ’भारत में उच्चतम न्यायालय, मूल अधिकारों का रक्षक और संविधान का संरक्षक भी है।‘ भारतीय संविधान में स्वतंत्र एवं स्वायत्त न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है। न्यायपालिका की संरचना निम्नलिखित है- उच्चतम न्यायालय ↓ उच्च न्यायालय ↓ जिला न्यायालय ↓ ग्राम न्यायालय  उच्चतम न्यायालय – उच्चतम न्यायालय का गठन (अनुच्छेद-124)- उच्चतम न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश एवं 30 अन्य न्यायाधीश होंगे। प्रारंभ में संविधान में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 7 अन्य न्यायाधीशों का प्रावधान किया गया था। उच्चतम न्यायालय की पीठ (अनुच्छेद-130)- उच्चतम न्यायालय की पीठ ’नई दिल्ली‘ में है। मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकार है, कि उच्चतम न्यायालय की पीठ किसी और स्थान पर भी राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से स्थापित कर सकता है। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश की नियुक्ति की योग्यताएँ- वह भारत का नागरिक हो। किसी उच्च न्यायालय में कम से कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो। वह कम से कम 10 वर्ष किसी एक उच्च न्यायालय में वकालत कर चुका हो। राष्ट्रपति की राय में विख्यात या कुशल विधिवेत्ता हो। शपथ- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, तीसरी अनुसूची के अनुसार शपथ ग्रहण करते हैं। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रपति, शपथ ग्रहण कराते हैं। उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीशों के लिए आयु सीमा- न्यायाधीशों की नियुक्ति की किसी न्यूनतम आयु का वर्णन नहीं है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है। तदर्थ न्यायाधीश- जब उच्चतम न्यायालय में कोरम/गणपूर्ति का अभाव हो, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को जो उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति की योग्यता रखते हों, उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के पूर्व सहमति से की जाएगी और उन्हें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की सभी उपलब्धियाँ प्राप्त होंगी। (अनुच्छेद-127) अवकाश प्राप्त न्यायाधीश (अनुच्छेद-128)-

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || नीति निदेशक तत्व (DIRECTIVE PRINCIPLES)

 निदेशक तत्व (DIRECTIVE  PRINCIPLES) भारतीय संविधान में निदेशक तत्वों का उल्लेख भाग-4 के अनुच्छेद-36 से 51 तक किया गया है। निदेशक तत्व, आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं। भाग-4 के अलावा वर्णित निदेशक तत्व- भाग-4 के अलावा संविधान के अन्य भागों में भी निदेशक तत्वों का उल्लेख है- (i) अनुच्छेद-335 में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को आरक्षण प्रदान करते समय प्रशासनिक कुशलता का ध्यान रखें। (ii) अनुच्छेद-350, A में अल्पसंख्यकों के बच्चों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना। (iii) अनुच्छेद-351 में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना। निदेशक तत्व (ऐतिहासिक उत्पत्ति)- संविधान सभा में, निदेशक तत्वों का निर्माण मूल अधिकारें की उपसमिति के द्वारा किया गया, क्योंकि संविधान सभा में, निदेशक तत्वों के लिए किसी समिति का निर्माण नहीं किया गया, बल्कि मूल अधिकारों की उपसमिति (अध्यक्ष जे. बी. कृपलानी) के द्वारा इसका निर्माण हुआ। आरंभ में मूल अधिकारों को अत्यधिक व्यापक रूप में सम्मिलित करने का विचार था, परंतु व्यावहारिक कारणों से मूल अधिकारों को दो भागों में विभाजित कर दिया गया- निदेशक तत्त्वों की प्रकृति- निदेशक तत्व, अवादयोग्य हैं, जिसका अभिप्राय है, कि इन्हें लागू करने के लिए कोई व्यक्ति न्यायपालिका का सहारा नहीं ले सकता। उच्चतम न्यायालय ने ’महर्षि अवधेश बनाम् भारत संघवाद‘ (1994) में याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा, कि समान नागरिक संहिता के निर्माण के लिए सरकार को निर्देश या परमादेश नहीं दिया जा सकता, बल्कि यह विधायिका के विधि निर्माण का मुद्दा है। अनुच्छेद-37- इस भाग में, वर्णित प्रावधानों को न्यायपालिका द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता, बल्कि निदेशक तत्व देश के  शासन के मूलभूत नियम हैं। राज्य का यह कर्त्तव्य होगा, कि वह इन निदेशक तत्वों का प्रयोग विधि निर्माण के लिए करे। परंतु सरकार द्वारा विधि बनाकर और संविधान संशोधन द्वारा इन्हें लागू किया जा रहा है। अनुच्छेद-365 में स्पष्ट उल्लिखित है, कि यदि राज्य, संघ द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करते,

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || गरीबी एवं बेरोजगारी

गरीबी एवं बेरोजगारी – अवधारणा , प्रकार, कारण, निदान एवं वर्तमान फ्लेगशिप योजनाएं बेरोजगारी बेरोजगारी से तात्पर्य – किसी राष्ट्र/ समाज में योग्यता होने के बावजूद भी रोजगार का न मिल पाना। अर्थव्यवस्था में सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था चलाने के लिए रोजगार का होना अनिवार्य अनुच्छेद 39 (समान कार्य के लिए समान वेतन), अनुच्छेद 41 (रोजगर

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Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || कार्यपालिका (EXECUTIVE)

कार्यपालिका (EXECUTIVE) कार्यपालिका- अनुच्छेद-52- भारत का एक राष्ट्रपति होगा। अनुच्छेद-53- भारत की समूची कार्यपालिकी शक्तियाँ, राष्ट्रपति में निहित हैं। तीनों सेनाओं का प्रधान, राष्ट्रपति होगा। राष्ट्रपति पद हेतु योग्यताएँ- वह भारत का नागरिक हो। 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो। वह लोक सभा का सदस्य चुने जाने की योग्यताएँ रखता हो। परंतु वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि कोई ऐसा व्यक्ति, राष्ट्रपति चुन लिया जाता है, तो उसे पद ग्रहण करने से पहले उस सदन से त्याग पत्र देना होगा। वह किसी लाभ के पद पर न हो, परंतु वर्तमान राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल तथा संघ अथवा राज्य के मंत्री का पद, लाभ का पद नहीं माना जाता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन (अनुच्छेद-54)- राष्ट्रपति का चुनाव भारत में निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाता है। राष्ट्रपति के चुनाव के नामांकन के लिए उम्मीदवार के कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक होने चाहिए। प्रत्येक उम्मीदवार जमानत राशि के रूप में 15,000 रूपये भारतीय रिजर्व बैंक में जमा करवाएगा। राष्ट्रपति का निर्वाचन, संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों तथा दिल्ली और पाँडिचेरी विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा किया जाता है। 70वें संविधान संशोधन-1992 के द्वारा दिल्ली एवं पाँडिचेरी के विधान सभा सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल किया गया। राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में रिक्ति के आधार पर राष्ट्रपति का चुनाव स्थगित नहीं होगा, और न ही यह अवैध होगा। राष्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी करने वाले सदस्य- (i)   संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य। (ii) राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य। राष्ट्रपति चुनाव में भागीदारी नहीं करने वाले  सदस्य- (i)   राज्य विधान परिषदों के सदस्य। (ii) लोक सभा एवं राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। राष्ट्रपति चुनाव में पीठासीन अधिकारी के रूप में क्रमशः राज्य सभा व लोक सभा के महासचिव नियुक्त होते हैं। राष्ट्रपति के चुनाव के विवाद के निर्णय की कार्यवाही उच्चतम न्यायालय में होती है। (अनुच्छेद 71 में उल्लेखित) राष्ट्रपति का चुनाव कभी भी दलीय आधार पर नहीं होता है और इसमें चुनाव चिन्ह भी नहीं वितरित किया जाता है।

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राजस्थान सामान्य ज्ञान : साबुन और अपमार्जक

साबुन और अपमार्जक (Soaps and Detergents)   इनका प्रयोग शोधन अभिकर्मक (cleansing agent) के रूप में किया जाता है। ये चिकनाई (वसा) के निष्कासन (removal) में सहायता करते हैं जो कपड़ों और त्वचा के साथ दूरे पदार्थों को चिपका देती है। साबुन (Soaps) साबुन दीर्घ शृंखला वाले वसा अम्लों (RCOONa) जैसे स्टिएरिक अम्ल (C17H35COOH),ओलिक अम्ल (C15H35COOH) और पामिटिक अम्ल (C15H31COOH) के सोडियम और

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राजस्थान सामान्य ज्ञान : श्वसन तंत्र

श्वसन तंत्र ऑक्सीय एवं अनाॅक्सीय श्वसन आन्तरिक श्वसन दो प्रकार का होता है- अनॉक्सी श्वसन तथा ऑक्सीश्वसन। अनॉक्सीश्वसन में ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोज (C6H12O6) का विघटन एथिल एल्कोहल व CO2 में होता है। इसमें 2 A.T.P. ऊर्जा प्राप्त होती है। ऑक्सीश्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोस का विघटन CO2 व जल (H2O) के रूप में

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राजस्थान सामान्य ज्ञान : विटामिन के प्रकार एवं उसकी कमी से होने वाले रोग

विटामिन के प्रकार एवं उसकी कमी से होने वाले रोग विटामिन: खोज- हॉपकिन्स। विटामिन शब्द का प्रयोग सी फंक द्वारा सन् 1911 ई. में किया गया था। विटामिन कार्बनिक पदार्थ है जो सामान्यतः उपापचय और शरीर की क्रियाओं के लिए आवश्यक है परन्तु ऊर्जा स्रोत के रूप में कोई महत्व नहीं है। जल में घुलनशील विटामिन – बी. कॉम्पलेक्स तथा

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राजस्थान सामान्य ज्ञान : रक्त का संगठन

रक्त का संगठन यह एक प्रकार द्रव्य संयोजी उतक है। रूधिर की उत्पत्ति भ्रूण की मिसोडर्म से होती है। शरीर में (मानव) रूधिर की मात्रा शरीर के भार की 7% होती है। इसकी प्रकृति क्षारीय होती है pH value = 7.4 सामान्य व्यक्ति में 5 से 6 लीटर रक्त पाया जाता है। रक्त का लाल

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राजस्थान सामान्य ज्ञान : आनुवांशिकी से संबंधित सामान्य शब्दावली

आनुवांशिकी से संबंधित सामान्य शब्दावली प्रत्येक जीव में प्रजनन की क्रिया द्वारा सन्तान उत्पन्न करने की अद्भुत क्षमता होती है। कुल लक्षण माता-पिता से सन्तान में पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुँचते रहते हैं। जिन्हें आनुवंशिक लक्षण कहा जाता है। वंशागत लक्षणों का अध्ययन आनुवांशिकता के अन्तर्गत किया जाता है। जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत आनुवांशिक लक्षणों

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