नियोजन के प्रकार-
- दीर्घकालीन नियोजन –यह 15-20 साल या उससे ज्यादा होता है।
नोट – 2077 तक भारत की जनसंख्या को स्थिर करना।
जैसे-
- राष्ट्रीय जनसंख्या नीति
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति
- राष्ट्रीय कृषि नीति
- राष्ट्रीय पर्यटन नीति
- मध्यकालीन नियोजन – 5 – 7 वर्ष का होता है। जैसे – पंचवर्षीय योजना।
- अल्पकालिक नियोजन– 1-2 वर्ष के लिए। जैसे – बजट, वार्षिक नियोजन।
- राष्ट्रीय नियोजन –पूरे देश के लिए, केन्द्र की तरफ ज्यादा बल होता है – राज्यों को कम महत्व, सरकारी परम्परागत नियोजन। जैसे – योजना आयोग
- क्षेत्रीय नियोजन/विकेन्द्रीकृत/ सांकेतिक नियोजन –ऐसा नियोजन जिसमें केन्द्र के साथ साथ निचले स्तर का दर्जा बढाया जाये।
जैसे – 73 व 74 संविधान संशोधन 97 सहकारी समिति।
- सांकेतिक नियोजन –ऐसा नियोजन जिसमें उद्देश्यों को बार-बार परिभाषित किया जाये, जब तक की लक्ष्य की प्राप्ति न हो। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के साथ निजी क्षेत्र (Private) की भी भूमिका होगी। (PPP – Public Private Partnership)
- अनवरत योजना –ऐसी योजना जो लगातार चलती रहे। जिसे बार-बार परिभाषित किया जब तक की लक्ष्य की प्राप्ति न हो। इसमें एक बार योजना का लक्ष्य निर्धारित होता है। इंदिरा सरकार ने इसे 1980 में बीच में ही समाप्त कर दिया।
- प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) – सर्वाधिक बल कृषि क्षेत्र पर आर्थिक विकास का लक्ष्य= 2.1%
- प्राप्त = 3.77 (सफल पंचवर्षीय योजना)
- हेराल्ड डामर मॉडल पर आधारित –
1951 में सार्वजनिक परियोजना – (i) भाखडा नांगल परियोजना (ii) हीराकुण्ड परियोजना (iii) दामोदर नदी घाटी परियोजना।
- देश का पहला फ्लेगशिप कार्यक्रम –
सामुदायिक विकास कार्यक्रम 02 अक्टूबर, 1952 को लागू। सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय विस्तार सेवा 1953 को खण्ड अधिकारी (BDO) जीप मॉडल।
- (BDO गांवों में जीप के माध्यम से इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कार्यरत थे तथा उन्होंने इस कार्यक्रम में कोई रूची नहीं दिखाई और भ्रष्टाचार को बढावा दिया। तथा देश का पहला घोटाल BDO ने किया)
- इस कार्यक्रम की असफलता की जाँच के लिए बलदेव मेहता समिति गठित की।
- 2 अक्टूबर, 1959 को नागौर के बगदरी गांव से पंचायतीराज की स्थापना की गई। (नेहरू द्वारा)।
- दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) – औद्योगिक क्षेत्र पर विशेष बल (विशेषकर भारी उद्योगें पर)
यह योजना ज्यादा सफल योजना नहीं रही।
आयरन व लोहइस्पात केन्द्र स्थापित हुए (i) राउलकेला, (उड़ीसा) (ii) भिलाई (छत्तीसगढ़) (iii) दुर्गापुर (प. बंगाल)
- महालनोबिस मॉडल पर आधारित। विकेन्द्रीकृत नियोजन के तहत 02 अक्टूबर, 1959 को नागौर से त्रिस्तरीय पंचायतीराज का उद्घाटन।
- 1. ग्राम पंचायत 2. पंचायत समिति 3. जिला परिषद।
- तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) – अब तक की सबसे असफल पंचवर्षीय योजना आर्थिक विकास – 2.8%
- असफलताओं के मुख्य कारण –
(i) 1962 में भारत चीन युद्ध
(ii) 1965 भारत-पाक युद्ध (कच्छ के रन को लेकर)
(iii) प्रथम राष्ट्रीय आपातकाल – राधाकृष्णन के समय (अक्टूबर 1962 जनवरी 1968 तक जारी रहा। अतः 1965 में पाकिस्तान के विरूद्ध हुए युद्ध मे नया आपात काल जारी करने की आवश्यकता नहीं हुई। बाह्यय आक्रमण के आधार पर)
(iv) भयंकर सूखा अकाल – 1964-66 तक
(v) घरेलू बाजार में संकट की स्थिति।
(vi) रूपये का अवमूल्यन (1966) – प्रथम योजना (1966-69) तीन वर्ष अल्पकालिक नियोजन = 1 – 1 वर्ष की योजनाएं 1966 में Ms स्वामीनाथन के नेतृत्व में हरितक्रांति (कृषि क्षेत्र) का शुभारम्भ हुआ। जिससे गेहूँ व चावल का उत्पादन बढ़ा जिससे उतरी भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों को लाभ हुआ।
(vii) राजनीतिक असंतुलन दो प्रधानमंत्री की मृत्यु (नेहरू व शास्त्री जी)