Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || पंचवर्षीय योजना

वित्त आयोग

  • संविधान के अनुच्छेद 280 में वित्त आयोग के गठन का उल्लेख किया गया। वित्त आयोग संविधानिक, सलाहकारी, अर्द्ध न्यायिक निकाय है। वित्त आयोग में एक अध्यक्ष व 4 सदस्य होते है। जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
  • अध्यक्ष को सार्वजनिक मामलों का अनुभव होना चाहिए।
  • सदस्य –  1. अर्थशात्री – अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञात।
  • 2. लेखा एवं वित्त मामलों का विशेष ज्ञान।
  • 3. विधि (Legal) उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या इस पद के योग्य व्यक्ति।
  • प्रशासनिक निकाय का अनुभव संविधानिक/वैद्यानिक/कानून संसद के अधिनियम।
  • वित्त आयोग का गठन – 5 वर्ष के लिए होता है।
  • इसकी सिफारिशे भी 5 वर्ष के लिए लागू रहती है।
  • अब तक भारत में 14 वित्त आयोग गठित हो चुके है।
  • 1951 में प्रथम वित्त आयोग के अध्यक्ष – K.C. नियोगी।
  • 31 मार्च, 2015 तक 13 वे वित्त आयोग की सिफारिशे लागू। जिसके अध्यक्ष विजय केलकर।
  • 14वां वित आयोग – फरवरी, 2013 में RBI के पूर्व गर्वनर Y.V. रेड्डी की अध्यक्षता में गठन हुआ, जिसने अपनी रिपोर्ट दिसम्बर 2014 में भारत सरकार को सौंपी। जिसे सरकार ने 1 अप्रेल, 2015 से 31 मार्च, 2020 तक के लिए लागू किया।
  • वित्त आयोग के मुख्य कार्य – 1. केन्द्र तथा राज्यों के बीच राजस्व कर का बँटवारा (प्रमुख कार्य)।
  • नोट – करों के बँटवारो के लिए गॉड गिल व मुखर्जी फॉमूले को प्रयोग किया जा रहा है। (अभी मुखर्जी फॉमूला)।
  • 3. राज्यों को दिये जाने वाले अनुदान के बारे में सलाद देना (अनु. 275)

  • बिहार, राजस्थान, उत्तरप्रदेश इन राज्यों आर्थिक स्थिति कमजोर है 2012-13 में BIMARU राज्यों ने केन्द्र से अनुरोध किया कि उन्हें विशिष्ट श्रेणी का दर्जा दिया जाये। इसी समस्या को देखते हुए मई 2013 में केन्द्र सरकार ने RBI के गर्वनर रघुराम राजन की अध्यक्षता में 5 सदस्य समिति का गठन किया, जिसने 10 बिन्दुओं के आधार पर एक सम्रग विकास सूचकांक तैयार किया जिसका मान 0 से 1 के बीच रखा गया।
  • CDI के आधार राज्यों को 3 भागो में बाटा गया।

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