Mico Irrigation : Drip + Sprinkler
- इंदिरा गाँधी नहर प्रणाली – रावी व्यास नदियों के जल में राजस्थान को आवंटित हिस्से का उपयोग करने व मरूस्थल को हरा-भरा करने के लिए इसका निर्माण किया गया अतः इसे ‘मरू गंगा’ या मरूस्थल की जीवन रेखा कहा जाता है। इसका उद्यगम व्यास व सतलज के संगम पर बने हरिके बैराज से होता है।
- राजस्थान फीडर – हरिके बैराज से मसीतावाली (हनुमानगढ़) तक, 204 km.
- मुख्य नहर – मसीतावाली से मोहनगढ़ जैसलमेर तक 445 km. कुल लम्बाई 204 + 445 = 649 Km.
- अंतिम बिंदु या जीरो बिदु – गडरा रोग (बाड़मेर),
9 शाखाएँ –
- रावतसर शाखा – यह नहर की पहली शाखा है तथा बॉयी तरफ है। शेष सभी दायीं तरफ है। इससे हनुमानगढ जिले में सिंचाई होती है।
- अनुपगढ, गंगानगर
- सुरतगढ़, गंगानगर
- पुंगल – बीकानेर
- बिसलपुर – बीकानेर
- चारणवाला – बीकानेर व जैसलमेर
- शहीद बीरबल शाखा – बीकानेर
- सागरमल गोपा शाखा – जैसलमेर
- दन्तौर – बीकानेर
7 लिफ्ट नहरें –
- कंवर सेन –पहली लिफ्ट नहर, सर्वाधिक लम्बी व बीकानेर शहर को पेयजल आपूर्ति करती है।
- चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर –हनुमानगढ़, चुरू व झुंझनु के लिए।
- पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर –नागौर एवं बीकानेर।
- करणी सिंह लिफ्ट नहर –कोलायत, बीकानेर के लिए।
- वीर तेजाजी लिफ्ट नहर –बीकानेर, सबसे छोटी एवं नवीनतम।
- गुरू जम्भेश्वर लिफ्ट नहर –फलौदी (जोधपुर)।
- जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर –पोकरण (जैसलमेर)।
- इस परियोजना से राजस्थान के 9 जिलों में पेयजल तथा झुंझनु को छोड़कर शेष 8 जिलों में (~20 लाख हैक्टेयर), सिंचाई होती है।
- गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, बाड़मेर व जैसलमेर।
ING के लाभ
- सिचांई का विस्तार (i) कृषि उत्पादन (ii) रेगिस्तान।
- पेयजल समस्या का समाधान।
- वृक्षारोपण।
- आधारभूत ढ़ाँचे का निर्माण।
- रोजगार अवसरों में वृद्धि।
- पर्यटन का विकास।
- विद्ययूत उत्पादन।
- मछली पालन।
- भूमिगत जल स्तर में वृद्धि।
IGNP के नुकसान –
- अत्यधिक व अवैज्ञानिक सिंचाई के कारण भूमि दल दल में परिवर्तित हो जाती है जिसे सेम की समस्या कहा जाता है।
- पश्चिमी राजस्थान में शुष्क व उष्ण जलवायु पायी जाती है इस नहर प्रणाली से पारिस्थितिकीय असंतुलन पैदा हुआ, कई पेड़ पौधों व जीवों की प्रजातियॉ समाप्त हो गई।
- भूमि की उर्वरा शक्ति में ह्सा।
सुधार –
- बुंद-बुंद/सुक्ष्म पद्धति (सिचांई) को अपनाकर जल प्रबंधन किया जाये जिससे सेम की समस्या का विस्तार नहीं हो व साथ ही वृक्षारोपण व भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। उर्वरक व कीटनाशकों का संतुलित उपयोग कर लम्बे समय तक भूमि को उपजाऊ बनाये रखा जा सकता है, इस तरह IGNP से मिलने वाले लाभों को अधिकतम किया जा सकता है।
- गंगानहर/बीकानेर राजस्थान की सबसे प्राचीन व व्यवस्थित नहर प्रणाली जिसका निर्माण महाराजा गंगासिंह जी ने (1921-27) करवाया अतः उन्हें राजस्थान का भागीरथ कहा जाता है इसका उद्यगम सतलज नदी के हुसैनीवाला स्थान से होता है। यह नहर चूने से निर्मित है अतः जर्जर अवस्था में है। विश्व बैंक के सहयोग से इसकी मरम्मत का कार्य जारी है। इंदिरा गाँधी नहर से एक लिंक चैनल द्वारा हरियाणा के लोहागढ़ स्थान से जोड़ा गया।
- इससे मुख्यतः गंगानगर जिले में सिचांई होती है।
- जाखम परियोजना – प्रतापगढ़ जिले के अनुप पुरा गाँव में जाखम नदी पर बाँध बनाया गया। राजस्थान का सबसे ऊँचा बाँध है जिसका निर्माण जनजाति उपयोजना (TSP) के तहत किया गया। (81 M ऊँचाई)
- जनजाति उपयोजना केंद्र सरकार द्वारा जनजाति बाहुल्य क्षैत्र में अनुदान दिया जाता है। इसका प्रारम्भ 1975 में हुआ।
- नगोरिया बाँध, जाखम नदी पर निर्मित दूसरा बाँध है इसका उपयोग सिंचाई व विद्ययूत उत्पादन में किया जाता है। यह एक पिकअप बाँध है।
- जाखम परियोजना से प्रतापगढ़ व धारियावद तहसीलों में पेयजल व सिंचाई होती है।
- बिसलपुर परियोजना – राजस्थान की मुख्यतः पेयजल परियोजना है जिसका निर्माण टोंक जिले के बिसलपुर गाँव में बनास नदी पर किया गया। इससे अजमेर, किशनगढ़, केकड़ी, सरवाड, जयपुर व अजमेर जिले के गाँवों को पेयजल आपूर्ति की जाती है।
- जवाई बांधा परियोजना – पाली जिले के सुमेरपुर कस्बे के पास जवाई नदी पर बाँध बनाया गया। इसका निर्माण जोधपुर महाराजा उम्मेद सिंह जी ने जोधपुर शहर के पेयजल हेतु करवाया। अतः इसे ‘मारवाड़ का अमृत सरोवर’ कहा जाता है। इससे पाली व जालोर जिले में पेयजल व सिंचाई होती है।
- पाँचना बाँधा – करौली जिले में स्थित, राजस्थान का मिट्टी से निर्मित सबसे बड़ा बाँध है व पाँच नदियाँ आकर मिलती है।
- अटा 2. माची 3. भद्रा 4. भैसावर 5. बरखेड़ा।