Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || पंचवर्षीय योजना

नियोजन काल में राजस्थान की आर्थिक प्रगति –

  • नियोजन काल के दौरान 1951 से लेकर वर्तमान तक निम्नलिखित बिंदुओ के अन्तर्गत राजस्थान के आर्थिक प्रगति का विश्लेषण किया जा सकता है –
  • प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 1950-51 में राजस्थान की प्रति वर्ष थी जो वर्तमान में 2011-12 में बढ़कर 29917/60652 हो गई है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि को दर्शाती है। उल्लेखनीय है कि जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद प्रति व्यक्ति आय में 10 गुना वृद्धि आर्थिक प्रगति को दर्शाती
  • विद्यूत क्षेत्र में वृद्धि – स्वतंत्रता के समय राजस्थान में केवल 13W विद्युत उत्पादन होता था जबकि वर्तमान में लगभग 10,000 MW विद्युत उत्पादन होता है, 12 वी पंचवर्षीय योजना के अंत तक हम ऊर्जा सुरक्षा/आत्म निर्भरता को प्राप्त कर लेंगे।
  • कृषि उत्पादन – नियोजन काल में कृषि उत्पादन व उत्पादकता दोनों में वृद्धि हुई, साथ ही फसल विविधिकरण भी बढ़ा।
  • सिंचाई साधानों का विस्तार – स्वतत्रंता के बाद इसमें तीव्र विस्तार हुआ जहाँ 1950 में 10-12 लाख हैम्टेयर क्षैत्र सिंचित वहीं वर्तमान में 78-80 लाख हैक्टेयर में सिंचाई होती है।
  • सड़क व परिवहन साधानों का विकास – राजस्थान में स्वतंत्रता के समय बीटी सड़कों का अभाव था तथा सड़क घनत्व मात्र 13 km था जो वर्तमान में बढ़कर 60 km हो गया है। जो राजस्थान में सडकों के विकास को दर्शाता है।
  • उद्योगों का विकास – 1950-51 में राजस्थान में केवल 11 बड़े उद्योगों थे जिनकी संख्या वर्तमान में 400 से अधिक है। GDP में भी उद्योग क्षैत्र का अंश 15 से बढ़कर 30 हो गया है।
  • इनके अतिरिक्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि क्षैत्रों में प्रगति हुई है लेकिन अन्य राज्यों से तुलना करने पर आज भी हम आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए है जैसे अधिकांश जनसंख्या का कृषि पर निर्भर होना व सिंचाई साधनाभाव में कृषि की मानसून पर निर्भरता निम्न जीवन स्तर, उच्च जन्म व मृत्यु दर जो जनानांकिय पिछड़े वन को दर्शाती है। गरीबी व बेरोजगारी का उच्च प्रतिशत आदि।
  • वित्त आयोग – अनु. 280 के तहत राष्ट्रपति प्रत्येक 5 वर्ष के लिए वित आयोग का गठन करता है। इसमें 1 अध्यक्ष व 4 सदस्य होते है।

कार्य –

  • केंद्र व राज्यों के मध्य वितीय आवंटन।
  • केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा।
  • राज्यों को दी जाने वाली सहायता या अनुदान।
  • राष्ट्रपति द्वारा सौपे गए अन्य कार्य।
  • राजस्थान में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम – सार्वजनिक उपक्रम से तात्पर्य उन कंपनियों से है जिसमें 51%  या उससे अधिक भागीदारी सरकार की हो, राजस्थान में निम्नलिखित केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम है –
  • सांभर साल्ट्स – केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान साल्ट् की सहायक इकाई है जिसकी स्थापना 1964 में की गई।
  • इस्ट्रूमेंटेशनल लिमिटेड, कोटा – स्थापन – 1965, यह उद्योगों के लिए इलेक्ट्राँनिक स्वीच व डिजाइन तैयार करती है, इसकी सहायक इकाई राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड इस्ट्रूमेंटस लिमिटेड है जिसकी स्थापना कनकपुरा (जयपुर) में की गई।
  • हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड – स्थापना – 1966, उदयपुर (देबारी) संचालन – वेदान्ता रिसोर्सेज के पास है।
  • हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड – स्थापना 1967, खेतड़ी (झुंझनु) अमेरिका के सहयोग से स्थापना।
  • हिंदुस्तान मशीनरी टूल्स, अजमेर – स्थापना 1967 चेफोस्वाविसा के सहयोग से यह इकाई घड़ियाँ बनाती थी।
  • केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका – स्थानीय संसाधनो का वैज्ञानिक दोहन संभव हो सफा इससे राज्य के राजस्व आय में वृद्धि हुई रोजगार के अवसर बढ़े, क्षैत्रीय विषमताओ में कमी आई, आधारभूत संरचना का विकास हुआ। शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ।

मुल्यांकन –

  • केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में किए गए नितेश का केवल 2% निपेश राजस्थान मे किया गया जो राजस्थान में उपलब्ध संसाधनों व क्षैत्रफल की दृष्टि से बहुत ही कम है।
  • इन उपक्रमों का संचालन अधिकारियों द्वारा किया जाता है जिससे निर्णय प्रक्रिया मे देरी हो जाती है। इसके अतिरिक्त श्रम बल की न्यून कार्यकुशलता, भ्रष्टाचार आदि की समस्या रहती है।

सुझाव –

  • राज्य मे केद्रीय सार्वजनिक उपकरणों को बढाने के साथ-साथ निवेश में वृद्धि की जाए।
  • केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को स्वायतता प्रदान कर इन्हें अधिक प्रभावी बनाया जाए।
  • सार्वजनिक उपक्रमों के लिए वितीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु विनिवेश बढ़ाया जाए जिससे सार्वजनिक उपकरणों का सार्वजनिक चरित्र उभरकर सामने आए।
  • कच्चे माल की आपूर्ति।
  • योग्यता आधारित भर्ती।
  • श्रमबल व प्रबंधन में कार्यकुशलता बढ़ाकर, इन्हें और प्रभावी बनाया जा सकता है।

राज्य में एग्रो फुड पार्क –

  • कोटा, जोधपुर, अलवर व गंगानगर।
  • कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना – अपैरल पार्क महल, जयपुर।
  • EPIP (Export promotion Industrial Park)
  • सीतापुरा (जयपुर), बोरानाड़ा (जोधपुर) व नीमराणा।
  • SEZ (Special Economic Zone)
  • वे कर मुक्त क्षैत्र जिन पर भारत सरकार के कानुन लागु नहीं होते, इन्हें विदेशी क्षैत्र माना जा सकता है इन्हें शत-प्रतिशत निर्यात की अनुमति है भारत सरकार ने सन 2000 में सेज नीति व 2005-06 मे सेज कानुन बनाया, राज्य सरकार ने 2003 में सेज नीति व कानून का निर्माण किया। इसके तहत निम्नलिखित सेज स्थापित किए गए –
  • बोरानाड़ा – हैण्डीफ्राफ्ट व ग्वारगम के लिए।
  • सीतापुरा – प्रथम चरण जेम्स व ज्वैलरी के लिए।
  • सीतापुरा – द्वितीय चरण, जेम्स व ज्वैलरी।
  • महेंद्रा वर्ल्ड सिटी – महापुरा, जयपुर

सूचना प्रौद्योगिकी के लिए यह सार्वजनिक व निजी क्षैत्र की भागीदारी में है। सार्वजनिक कंपनी RIICO व निजी कंपनी महेद्रा व महेद्रा है।

सिंचाई

  • राजस्थान का कुल क्षेत्र 342.5 लाख हैक्टेयर है जिसमें से कृषि योग्य क्षैत्रफल 257 लाख हैक्टेयर है जो देश के कुल कृषि क्षैत्रफल का 11% है।
  • राजस्थान में वर्षा का वार्षिक औसत 57.5 cm है तथा देश के कुल जल संसाधनों का 3% पाया जाता है। सतही जल का केवल 1% भाग राजस्थान में है। इस प्रकार राजस्थान जलाभाव वाला राज्य है।

सिंचाई के स्त्रोत  

  • कुएं व नलकुप 67-70%, जयपुर।
  • नहरें 27-30% , गंगानगर।
  • तालाब 1-2%, भीलवाड़ा।
  • राज्य में सर्वाधिक सिंचाई गंगानगर व हनुमानगढ़ में तथा न्यूनतम (%) चुरू तथा क्षैत्रफल में राजसमंद है।
  • बहुउद्देशीय परियोजनाएं – वे सिंचाई परियोजनाए जिनके एक से अधिक उद्देश्य हो जैसे पेयजल, परिवहन, मछली उत्पादन, सिंचाई आदि।
  • भाखड़ा नांगल परियोजना – सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी व व्यास।
  • पंजाब, हरियाणा व राजस्थान की सयुंक्त परियोजना है जिसमें राजस्थान का हिस्सा 15.22% है। इसमें सतलज नदी पर दो बाँध बनाए गए।
  • भाखड़ा बाँध – हिमाचल के बिलासपुर जिले में स्थित है, कंक्रीट से निर्मित सीधा गुरूत्वीय बाँध है। जो एशिया का सबसे ऊँचा बाँध है। इससे निर्मित जलाशय गोविंद सागर कहलाता है जिससे पजांब हरियाणा व राजस्थान को पेयजल व सिंचाई के लिए और चंडीगढ़ व दिल्ली हेतु पेयजल उपलब्ध करवाया जाता है।
  • जवाहर लाल नेहरू में विराट चमत्कारी वस्तु की संज्ञा दी व बहुउद्देशीय परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर कहा।
  • नांगल बाँध – पंजाब के रोपड जिल में स्थित है, इससे दो नहरें निकाली गई।
  • बिस्त दो आब नहर – पंजाब के लिए
  • भाखडा नहर – P, H, R के लिए।
  • इस परियोजना से राजस्थान को 227 MW विद्युत व मुख्यतः हनुमानगढ़ जिले में सिंचाई होती है।

व्यास परियोजना – 

  • परियोजना है। इसके अन्तर्गत व्यास नदी पर दो बाँध पण्डोह बनाए गए।
  • पण्डोह बाँध – यह HP के मण्डी कस्बे के पास स्थित है इससे एक नहर निकाली गई (BSLP व्यास सतलज लिंक परियोजना) इस नहर के माध्यम से व्यास के अतिरिक्त जल को सतलज में मिलाया गया जिससे भाखड़ा व नागल बाँध भरे रह सके।
  • पोग बाँध – HP के कांगडा जिले में स्थित है। राजस्थान को इस परियोजना के आवंटित जल का अधिकांश हिस्सा इस बाँध से दिया जाता है। शीतकाल में इंदिरा गाँधी नहर को जलापूर्ति भी इसी बाँध से की जाती है।
  • इराड़ी आयोग – 1986-87 – रावी व्यास नदियों के जल आवंटन हेतु गठित आयोग राजस्थान को 86 लाख एकड़ फीट पानी आंवटित किया गया। इस प्रोजेक्ट से राजस्थान को सर्वाधिक जल व विद्युत का (423 MW) आंवटन किया गया।
  • माही बजाज सागर परियोजना – राजस्थान व गुजरात की संयुक्त परियोजना है जिसमें राजस्थान का हिस्सा 45% है। इसके अन्तर्गत माही नदी पर दो बाँध बनवाए गए –
  1. माही बजाज सागर –बाँसवाड़ा के निकट बोरखेड़ा गाँव में स्थित है। राज्य का दूसरा परमाणु बिजलीघर यहाँ स्थापित किया जा रहा है।
  2. कागदी पिकअप –बाँसवाड़ा के निकट कागदी गाँव में स्थित है। यह पिकअप बाँध है व सिचांई के लिए निर्माण किया गया है।
  3. कडाणा बांधा –पंचमहल गुजरात में स्थित, निर्माण गुजरात सरकार द्वारा किया गया व इसके लाभ भी गुजरात को प्राप्त होते है।
  • इस परियोजना में राजस्थान को 140MW विद्यूत व बाँसवाड़ा व डुँगरपुर जिलों में पेयजल व सिचांई होती है। सर्वाधिक लाभ बाँसवाड़ा को मिलता है। नहरें घाटोल व गानोडा है, लम्बाई ~ 3100m है।
  • चम्बल परियोजना – राजस्थान व मध्य प्रदेश की समान भागीदारी की संयुक्त परियोजना है जिसमें चम्बल नदी पर तीन चरणों में चार बाँध बनाए गए –
  • गाँधी सागर बाँध – MP के मंदसौर जिले में स्थित है, भराव क्षमता की दृष्टि से चम्बल पर निर्मित सबसे बड़ा बाँध है।
  • राणा प्रताप सागर – चूलिया जल प्रपात के निकट चितौड़गढ़ जिले में स्थित है। राज्य का जल बहाव भराव की दृष्टि से यह सबसे बड़ा बाँध है। यहाँ जल विद्युत व आण्विक दोनों ऊर्जा उत्पादित की जाती है।
  • जवाहर सागर – कोटा व बुँदी की सीमा पर बोराबास गाँव के निकट स्थित है, यह विकअव बाँध है। इसे कोटा केंद्र भी कहा जाता है। यह जल विद्युत उत्पादन केंद्र है भीलवाड़ा को पेयजल इसी बाँध से दिया जाता है।
  • कोटा बैराज – कोटा शहर के निकट स्थित है, इसका निर्माण सिंचाई के लिए किया गया है। इससे दो नहरे निकाली गई।
  1. बॉयी नहर 2. दायी नहर
  • इस परियोजना से मुख्यतः कोटा व बुँदी जिलों में सिचांई होती है व राजस्थान को 193 MW विद्ययूत प्राप्त होती है।
  • चरण I – गाँधी सागर व कोटा बैराज 23 × 5 MW
  • चरण II – राणा प्रताप सागर 43 × 4
  • चरण III – जवाहर सागर 39 × 3

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page