राजस्थान में औद्योगिक संस्थान –
- RIICO (Rajasthan State Industrial development & Invest Corpo.)Establish : 28 March 1969
RSMDL 79 80 RIICO
- कार्य – राज्य में औद्योगिक क्षैत्रों की स्थापना एवं विकास करना।
- मध्यम व बड़े उद्ययोगों को दीर्घकालीन वितीय सहायता प्रदान करना।
- उद्योगों द्वारा जारी किए गए शेयर्स का अभिगोपन या अंडर राइटिंग करना।
- उद्योगों के विकास हेतु आधारभूत संरचना का विकास करना।
- RFC (Rajasthan finance corporation) Established : Jan 1955, Jaipur.
- कार्य – लघु व मध्यम उद्योगों को दीर्घकालीन वितीय सहायता प्रदान करना।
- केंद्र सरकार, राज्य सरकार व केंद्रीय वितीय संस्थाओं के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना।
- RFC द्वारा संचालित ऋण योजनाएँ – SEMFEX : selb employeement for ex-sewiceman.
- Technologate scheme
- तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवाओं के स्वरोजगार हेतु ऋण प्रदान करना।
- शिल्प बाड़ी।
- ग्रामीण शिल्पकार के स्वरोजगार हेतु वितीय सहायता।
- महिला उद्यम निधि उद्यमी महिलाओं को स्वरोजगार हेतु ऋण देना।
- टॉप अप ऋण योजना – बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए अधिकतम 1 करोड़ का ऋण देना।
- राजस्थान के औद्योगिक विकास में RFC की भूमिका – राजस्थान के औद्योगिक विकास व निवेश में तीव्रता लाने के लिए RFC की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- RFC ने ना केवल वितीय संसाधनों के गतिशीलन में वृद्धि की बल्कि सुक्ष्म व वृहद उद्योगों के मध्य कडी के रूप में लघु व मध्यम उद्योगों का विकास किया।
- राज्य में निर्माण व विनिर्माण क्षैत्र में वृद्धि या तेजी का आधार RFC है।
- केंद्र सरकार व केंद्रीय, वितीय संस्थाओं के प्रतिनिधि के रूप में राज्य की निवेश आवश्यकताओं को पुरा किया।
- विभिन्न ऋण योजनाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गो को आगे बढ़ने के समुचित अवसर दिए जिससे सामाजिक न्याय के साथ साथ आर्थिक समानता स्थापित हुई।
सुधार/सुझाव –
- RFC को अधिक वितीय सहायता उपलब्ध करवाई जाए।
- सुक्ष्म साख का विस्तार किया जाए।
- जनता से शेयर विक्रय के माध्यम से धन उगाने की अनुमति हो।
- प्रबंधन में स्वायतता प्रदान की जाएँ।
- विश्वसनीय निवेशकों को जोड़े रखने हेतु कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाए।
- RAJSICO (Rajasthan Small Industrial corporation) Established : 3 June 1961 Jaipur
कार्य –
- लघु व कुटीर उद्योगों की स्थापना व विकास करना।
- इन उद्योगों को कच्चा माल, वितीय, तकनीकी व विपणन संबंधी सुविधाएं प्रदान करना।
- लघु व वृहद उद्योगों के मध्य समन्वय करना।
- इसके अतिरिक्त सागानेर में एअर कार्गो का संचालन लघु उद्योगों से तैयार माल को बेचने के लिए राजस्थली एम्पोरियम का संचालन (जयपुर, उदयपुर, मा.आबु) चार इनलैण्ड कण्टेनर डिपों (मानसरोवर (जयपुर) जोधपुर (बासनी, बोरानाडॉ, पाल गाँव), भिवाडी व भीलवाड़ा)।
- RUDA (Rural non-farming development Agency) ग्रामीण गैर कृषि विकास अभिकरण।
- Establishment : 1995, Jaipur
कार्य –
- ग्रामीण क्षैत्र में गैर कृषि कार्यों को बढ़ावा देकर आजीविका साधनों का विकास करना व लोगों की आय बढ़ाना।
- इसमें ऊन उद्योग, चर्म उद्योग, स्टोन, टेराकोटा आदि को सम्मिलित किया जाता है।
- वर्तमान में RUDA निम्न स्थानों पर कार्यरत है –
(i) कोटा – कोटा डोरिया
(ii) बगरू – हैण्ड ब्लॉक प्रिण्ट के लिए
(iii) गोगुंदा – उदयपुर – टेराकोटा
(iv) पोकरण – कुम्भकारी
(v) शेखावटी क्षैत्र – बंधेज
निवेश प्रोत्साहान ब्यूरो (2009) –
कार्य –
- राज्य में निवेश का वातावरण बनाना।
- बड़े व विदेशी निवेशकों की निवेश सम्बंधी समस्या का समाधान करना।
- दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में इसे नोडल एजेंसी बनाया गया।
- दिल्ली-मुबंई इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर – इसके अन्तर्गत दिल्ली – मुंबई NH – 8 का विकास किया जाएगा। जापान सरकार समें वितीय सहायता दे रही है।
- प्रथम चरण के अन्तर्गत शाहजाहपुर व नीमराणा के पास नया शहर विकसित करेंगे।
- दिल्ली – जयपुर फास्ट रेलवे ट्रेक बिछाया जाएगा।
- जयपुर के निकट मनोहरपुर इंटरनेशनल एएरपोर्ट प्रस्तावित इन सभी से भिवाड़ी को जोड़ा जाएगा।
- द्वितीय चरण में जोधपुर – पाली- राजसमंद में खाद्यय प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना की जाएगी।
- इसी परियोजना से राज्य में उद्ययोगों की स्थापना व विकास होगा, निवेश में वृद्धि, रोजगार अवसर बढेगे, क्षैत्रीय विषमताओं में कमी, कर राजस्व में वृद्धि होगी।
राजस्थान के आर्थिक विकास में प्रमुख बाधाएँ –
- राजस्थान में आर्थिक विकास अनेक कारकों से प्रभावित होता है जिन्हें मुख्यतः आर्थिक, भौगोलिक, सामाजिक कारकों में विभक्त किया जा सकता है।
- राजस्थान में 61% भाग रेगिस्तान है जहाँ आधारभूत सरंचना का अभाव है।
- कृषि का पिछड़ापन व मानसून पर निर्भरता, सिचांई साधनों का अभाव।
- वितीय संसाधनों की अनुपलब्धता।
- जनसंख्या की अधिकता, गरीबी, बेरोजगारी, सामाजिक मान्यता, भाग्यवादिता, परंपरा।
- कार्य संस्कृति व औद्योगिक माहौल का अभाव।
- भ्रष्टाचार व विकसित बाजार का अभाव।
- प्रौद्योगिकी की कमी से संसाधनों का अकुशलतम या अवैज्ञानिक दोहन।
सुझाव –
- आर्थिक विकास को तीव्र व स्थायीत्व प्रदान करने के लिए आधारभूत संरचना का विकास।
- निवेश को बढ़ाकर वितीय संसाधनों की पूर्ति।
- सिंचाई साधनों का विकास जिससे सूखे व अकाल की प्रभावशीलता में कमी आएं व कृषि क्षैत्र में उत्पादन बढ़े कलतः कृषि आधारित उद्योग बढ़े।
- शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार कर जनसंख्या का मानव संसाधन में रूपान्तरण करना।
- औद्योगिक पार्को की स्थापना से उत्पाद लागत को कम करके निर्यात को बढ़ावा देना।
- विदेशी निवेश को आमंत्रित कर स्थानीय उद्योगों का लेखांकन, प्रबधंन व तकनीकी उन्नयन करना।
- PPP के द्वारा अर्थव्यवस्था का तीव्र विकास करना।