राजस्थान की आधारभूत सरंचना
विद्युत/ऊर्जा
- ऊर्जा स्त्रोतों के आधार पर परपंरागत व गैर परपंरागत दो भाग किए जाते हैं।
- ताप विद्युत, जल व आण्विक ऊर्जा को परंपरागत स्त्रोत के अन्तर्गत रखा जाता है क्योंकि काफी लम्बे समय से इनका दोहन किया जा रहा है इसके विपरीत ऊर्जा उत्पादन के नवीन स्त्रोत सौर, पवन, बायोगैस बायोमास, भूतापीय व ज्वारीय ऊर्जा को गैर परम्परागत स्त्रोतों में रखा जाता है। इनका नवीनीकरण संभव है।
- अतः इन्हें नण्यकरण ऊर्जा स्त्रोत भी कहते हैं।
- तापीय ऊर्जा – इसमें कोयला, गैस व पेट्रोलियम उत्पाद पर आधारित ऊर्जा स्त्रोत आते है।
- तापीय ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत कोयला है व कुल ऊर्जा उत्पादन में भी तापीय ऊर्जा व कोयले का योगदान अधिक रहता है।
- सुपर स्टेशन – जब कुल उत्पादन 1000MW हो।
- सुपर क्रिटिकल – जब एक इकाई की उत्पादन क्षमता 500MW है।
- राजस्थान में कोयला आधारित ताप विद्युत केंद्र सुरतगढ़, कोटा, बरसिंगसर, गिरल (बाड़मेर), छबड़ा आदि में स्थित है।
- तीन स्थानों पर सुपर क्रिटिकल पॉवर स्टेशन भी प्रस्तावित है –
(i) सुरतगढ़
(ii) छबड़ा
(iii) बाँसवाड़ा (निजी)
- उल्लेखनीय है जब एक इकाई की उत्पादन क्षमता 500MW से अधिक हो तो उसे सुपर क्रिटिकल व पूरे प्लांट की उत्पादन क्षमता 1000MW से ज्यादा हो तो उसे सुपर स्टेशन कहा जाता है।
- इन सुपर क्रिटिकल यूनिट्स के लिए छतीसगढ़ में बारस व काँटे वासन कोयला ब्लॉक आंवटित किए गए है।
- गैस आधारित प्रोजेक्ट – (i) अंता (बाराँ) भारत सरकार (20% राजस्थान) (ii) रामगढ़ (जैसलमेर) राज्य सरकार (iii) धौलपुर निजी।
- राजस्थान में उपर्युक्त तीन गैस आधारित परियोजनाएँ है। इसके अलावा कोटा, बुंदी व बाँसवाड़ा में प्रस्तावित है।
- अंता गैस आधारित प्रोजेक्ट केंद्र द्वारा संचालित है, कुल उत्पादन क्षमता 419MW, राजस्थान = 83MW
- जल विद्युत – राजस्थान में देश के कुल जल संसाधनों का केवल 3% भाग पाया जाता है। कुल सतही जल का केवल 1% है। इस दृष्टि से राजस्थान जलाभाव वाले राज्यों की श्रेणी में है। जलविद्युत का अधिकांश हिस्सा अंतर्राज्यीय परियोजनाओं से प्राप्त होता है जिसमें भाखड़ा नागल, व्यास प्रोजेक्ट, चम्बल, माही – बजाज सागर आदि महत्वपुर्ण है।
- आण्विक ऊर्जा – राजस्थान का पहला परमाणु बिजलीघर कनाडा के सहयोग से रावतभाटा (चितौडगढ़) में स्थापित किया गया व दूसरा प. बि. घर नापला (बाँसवाडा) में स्थापित किया जा रहा है।
- वर्तमान ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परम्परागत ऊर्जा स्त्रोतों को जारी रखते हुए गैर पंरपरागत ऊर्जा स्त्रोतो को बढ़ावा देना चाहिए जिससे हमारी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो सके साथ ही परपंरागत ऊर्जा स्त्रोतों से होने वाले नुकसान जैसे पर्यावरण प्रदूषण, विदेशों पर निर्भरता, सीमित संसाधन का अत्यधिक दोहन आदि को कम किया जा सके।
गैर परम्परागत ऊर्जा त्रोत –
- सौर ऊर्जा – सौर ऊर्जा हेतु उस स्थान को उपयुक्त माना जाता है जहाँ वर्ष में 200 से अधिक दिन आकाश साफ रहे व सूर्य की किरणें सीधी धरती पर प्राप्त हो। इस दृष्टि से पूरे देश में राजस्थान उपयुक्त स्थान है। राजस्थान के तीन जिले जोधपुर, बाड़मेर व जैसलमेर सर्वाधिक उपयुक्त है तथा इन्हें SEEZ के अंतर्गत रखा जाता है।
- राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयास – सौर ऊर्जा उपकरणों को कर मुक्त रखा गया तथा उन पर अनुदान दिया जाता है।
- सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु IIT, जोधपुर को अनुसंधान व विकास केंद्र बनाया गया।
- जयपुर, अजमेर व जोधपुर में सौर ऊर्जा के विस्तार हेतु 50 लाख रूपये (प्रत्येक को) दिए गए तथा इन्हें सोलर सिटी घोषित किया गया।
- सौर ऊर्जा नीति – 11 व भड़ला (जोधपुर) में सोलर पार्क की स्थापना की गई। इसके अलावा सांभर (जयपुर) में सौलर पार्क प्रस्तावित है।
- सौर ऊर्जा नीति-2011 – इसके तहत निम्नलिखित लक्ष्य रखे गए –
- 2013-14 तक 1500MW व 2017-18 तक 3000MW सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य।
- राजस्थान देश में सौर ऊर्जा नीति बनाने वाला प्रथम राज्य-
- जवाहर लाल नेहरू सौलर मिशन – 2010 – देश मे सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु इसे प्रारंभ किया गया। इसके तहत पूरे देश में राजस्थान को सर्वाधिक उपयुक्त स्थान माना। 2013 तक 1100MW सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया। 2022 तक 20,000MW का लक्ष्य रखा गया।
- पवन ऊर्जा – जहाँ वायु प्रवाह का वेग 20-40km/H हो उसे पवन ऊर्जा की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है राजस्थान का पश्चिमी भाग वनस्पतिरहित व वायु प्रवाह का वेग अधिक है। अतः अधिकांश पवन ऊर्जा केंद्र पश्चिमी राजस्थान में है। अमर सागर, हंसुआ, पोहरा सोढ़ा बाँध, बड़ा बाग (जैसलमेर), बीठड़ी (जोधपुर, फलौदी) देवगढ़ (प्रतापगढ़), धमोत्तर (चितौड) हर्ष पर्वत (सीकर) जसवंतगढ़ (उदयपुर)।
पहला | अपर सागर |
सबसे बड़ा | सोढ़ा बाँध (25MW) |
निजी | बड़ा बाग |
- राजस्थान में ~ 5400MW पवन ऊर्जा उत्पादन की संभावना विधमान है। इसके कुशल दोहन हेतु राज्य सरकार ने नई पवन ऊर्जा नीति – 2012 बनाई।
- बायो गैस – राज्य में पशु धन : 5.67 लाख करोड़ राजस्थान पशु संपदा की दृष्टि से समृद्ध राज्य है व ग्रामीण क्षैत्र में बायोगैस के विकास की विपुल संभावनाएँ है, इसका मुख्यतः उपयोग रसोई गैस के रूप में किया जाता है। बायोगैस प्लांट की स्थापना खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा की जाती है। सर्वाधिक प्लांट उदयपुर में स्थित है। बायोगैस में सर्वाधिक मात्रा CH4 की होती है।
- बायोमास – विलायती बबुल की लकड़ी व कृषि अपशिष्ट जैसे सरसों की तुडी बायोमास ऊर्जा के महत्वपुर्ण स्त्रोत है।
- पहला बायोमास केंद्र पदमपुर (गंगानगर) में स्थापित किया गया। राज्य सरकार ने बायोमास ऊर्जा के विकास हेतु 2010 में नीति का निर्माण किया।
- ऊर्जा संरक्षण के सुझाव – ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने उत्पादन, प्रसारण व वितरण के लिए विश्व बैंक की सहायता से अलग अलग कंपनियों का गठन किया। लेकिन कार्यकुशलता व प्रबंधन की कमी के कारण ये सभी कंपनियाँ घाटे में है। इन्हें विशेष आर्थिक पैकेज देकर घाटे से उभारा जाए।
- राज्य में विद्युत प्रसारण व वितरण सम्बंधी घाटा ~ 40% है, इसमें कमी की जाए। इसके लिए विद्युत यानों की स्थापना की गई तथा अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग से ट्राँसफोर्मर स्थापित किए गए। इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाए गए। निजीकरण किया गया।
- स्वच्छ व हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोतों पर बल दिया जाए ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु छीजत को रोका जाएं तथा ‘बिजली बचाओ’ जागरूकता अभियान से आंदोलन के रूप में ऊर्जा सुरक्षा के प्रति प्रेरित किया जाए। ऊर्जा पर दी जा रही सब्सिडी को कम किया जाए।
- अक्षय ऊर्जा निगम (Raj. Renewable En. Corporation)-
- राजस्थान में गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों की स्थापना व विकास हेतु RREC की स्थापना की गई। यह गैर परम्परागत ऊर्जा के लिए अनुदान भी देता है। इसमें REDA व RSPCL का विलय किया गया।
- REDA : Rajasthan Energy Development Agency : 1985 l काम : विकास करना।
- RSPCL : Rajasthan State Power Corporation ltd l कार्य : उत्पादन केंद्र की स्थापना करना।
- आदित्य सोलर शॉप्स – निजी क्षेत्र में स्थापित दुकानें जो सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा से संबंधित उपकरण बेचती है। ये RREC से अनुदान प्राप्त करती है।
- Power Pack Project-1987 – जहाँ अगले 4-5 वर्षों में बिजली नहीं पहुँचाई जा सकती उनका सौर ऊर्जा द्वारा विद्युतीकरण करना पावर पैक योजना है।
- राजस्थान के उदयपुर के कोटडा व झाड़ौल पंचायत समिति में इसे चलाया गया।
- कुटीर ज्योति योजना (1989) – राज्य सरकार द्वारा संचालित योजना, इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक BPL परिवार को मुफ्त में विद्युत कनेक्शन उपलब्ध करवाया जाता है।