राजस्थान की अर्थव्यवस्था का वृहद परिदृश्य
- राजस्थान की अर्थव्यवस्था के वृहद परिदृश्य के अन्तर्गत GDP, वृद्धि दर जनसंख्या सम्बन्धी संकेतक, मुद्रा स्फीति, बचत व निवेश सम्बन्धी मुद्दे व HDI की चर्चा की जा सकती है।
- राजस्थान : एक परिदृश्य – राजस्थान अपने गठन से पूर्व 19 रियासतों, केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा और दो प्रमुख ठिकानों से मिलकर बना हुआ था, तब यह संपूर्ण क्षेत्र राजपूताना के रूप में जाना जाता था। एकीकरण के पश्चात् यह क्षेत्र राजस्थान के रूप में जाना जाने लगा। राजस्थान, जो कि भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा (3,42,239 वर्ग किमी.) राज्य है, प्रशासनिक रूप से 7 सम्भागों, 33 जिलों, 295 पंचायत समितियों, 9,894 ग्राम पंचायतों एवं 43,264 आबाद ग्रामों में विभक्त है। यह देश के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। इसकी पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम सीमाएं पाकिस्तान से, उत्तरी-पूर्वी सीमाएं पंजाब और हरियाणा से, पूर्वी सीमाएं उत्तर प्रदेश से, दक्षिण-पूर्वी सीमाएं मध्यप्रदेश से और दक्षिण-पश्चिम सीमाएं गुजरात से जुड़ी हुई है। राजस्थान भौगोलिक विविधता वाला प्रदेश है, जिसका अधिकांश भाग पानी की कमी एवं सूखे से प्रभावित है।
- राज्य में सकल घरेलु उत्पादGDP की दशा-
2015-16 | 2016-17 | |
प्राथमिक क्षेत्र | 26.15% | 26.09% |
द्वितीयक क्षेत्र | 29.76% | 29.09% |
तृतीयक क्षेत्र | 44.09% | 44.82% |
उपरोक्त तालिका के विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि राजस्थान की इकोनोमी में प्राथमिक क्षेत्र के योगदान में कमी व सेवा क्षेत्र में बढ़ा है। यह ढाँचागत परिवर्तन आर्थिक विकास को परिलक्षित करता है लेकिन भारत की तुलना में राज्य का सेवा क्षेत्र में योगदान कम है जो इसे बढ़ाने के लिए प्रेरणा देता है। भविष्य में राज्य में तीव्र आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए खनन, विद्युत व विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाकर द्वितीयक क्षेत्र के योगदान को बढ़ाना होगा साथ ही व्यापार, होटल, रेस्ट्रा एवं दूरसंचार में थ्ज्ञायी परिसम्पत्ति का निर्माण कर आर्थिक विकास किया जा सकता है।