दिल्ली सल्तनत का प्रशासन
- तुर्क सुल्तानों ने स्वयं को बगदाद के अब्बासी खलीफा का स्वामिभक्त उत्तराधिकारी घोषित किया तथा खुतबे पर भी उसके नाम को शामिल किया।
- सुल्तान न्यायपालिका, कार्यपालिका का प्रधान होता था।
- उत्तराधिकार का कोई स्वीकृत नियम नहीं था।
- वजीर राज्य का सर्वोच्च मंत्री होता था।
- भारतीय वजारत का स्वर्णकाल ‘तुगलक काल’ को कहा जाता है।
- प्रान्तीय शासन के प्रधान को वली या मुक्ति कहा जाता था।
- प्रान्तों को ‘इक्ता’ भी कहा जाता था।
- इक्ताओं का विभाजन शिकों या जिलों में हुआ था। यहाँ का शासन आमिल या नाजिम करता था।
- दीवान-ए-अर्ज सैनिक विभाग को कहा जाता था। इसका प्रधान आरिज-ए-मुमालिक होता था।
- मंगोल सेना की वर्गीकरण पद्धति ‘दशमलव प्रणाली’ को ही सल्तनकाल में अपनाया गया।
- इल्तुतमिश ने सैनिकों को इक्ता बांटने की परम्परा आरम्भ की जिसे अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में समाप्त कर दिया गया।
- स्थानीय प्रशासन में खूत, मुकद्दम तथा चौधरी राजस्व वसूल कर शाही राजकोष में जमा करते थे।
सल्तनतकालीन आर्थिक व्यवस्था
स्वतंत्र प्रान्तीय राज्य
दिल्ली सल्तनत को चुनौती
बंगाल :
- गयासुद्दीन तुगलक ने बंगाल को तीन प्रशासकीय विभागों में बांट दिया-लखनौती (उत्तरी बंगाल), सोनारगांव (पूर्वी बंगाल), सतगांव (दक्षिणी बंगाल)।
- हाजी इलियास ने 1345 ई. में बंगाल विभाजन को समाप्त कर दिया तथा शम्सुद्दीन इलियास शाह की उपाधा धारण की।
- सिकन्दरशाह (1358-1390) के शासनकाल में पांडुआ में अदीना मस्जिद का निर्माण किया गया।
- गयासुद्दीन आजमशाह (1390-1410) के शासनकाल में चीन से राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संबंध कायम किये गये।
- सुल्तान आजमशाह अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। साथ ही फारसी के प्रसिद्ध कवि हाशिमी शीराजी से इसके संबंध थे।
- चटगांव बन्दरगाह का विकास भी अजामशाह के शासनकाल में हुआ।
- 1493 में अलाउद्दीन हुसैनशाह बंगाल का स्वतंत्र शासक बना।
- हुसैनशाह के शासनकाल में पांडुआ के स्थान पर गौड़ बंगाल की राजधानी बनी।
- इसके शासनकाल में हिन्दुओं को ऊँचे पदों पर नियुक्त किया गया।
- चैतन्य महाप्रभु हुसैनशाह का समकालीन था।
- मालधार वसु ने अलाउद्दीन के समय में श्रीकृष्ण विजय की रचना कर गुणराज खान की उपाधि ग्रहण की।
- अलाउद्दीन करुण का अवतार माना जाता था।
- नासिरुद्दीन नुसरत शाह अलाउद्दीन हुसैन शाह का उत्तराधिकारी बना।
- नुसरत शाह के शासनकाल में हुमायूं तथा शेरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।
- नुसरत शाह के शासनकाल में ही महाभारत का बंगला अनुवाद तथा बड़ा सोना व कदम रसूल मस्जिद का निर्माण हुआ।
- गयासुद्दीन महमूद शाह हुसैनशाही राजवंश का अंतिम शासक था।
कश्मीर :
- 1320 में तिब्बती सरदार रिंचान ने हिन्दू शासक सूहादेव से सत्ता छीन ली।
- तत्पश्चात् उदयनदेव शासक बना तथा उसकी मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ‘कोटा’ ने सत्ता को अपनी अधीन किया।
- बाद में शाहमीर ने कोटा को कैद कर शम्सुद्दीन शाह की उपाधि धारण की।
- शम्सुद्दीन शाह कश्मीर का प्रथम मुस्लिम शासक था।
- सुल्तान शहाबुद्दीन शाहमीर वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- सिकन्दर शाहमीर के शासनकाल में कश्मीर में तैमूर आक्रमण हुआ।
- सिकन्दर ने कश्मीर में जजिया लगा दिया तथा ब्राह्मणों को उच्च पदों से बर्खास्त कर दिया।
- मार्तंड सूर्य मंदिर को सिकन्दर ने ही तोड़वा दिया था।
- सुल्तान जैन-उल-आबिदीन (1420-1470) सिकन्दर का उत्तराधिकारी बना। उसके सिकन्दर की सभी नीतियों को उलट दिया।
- धार्मिक सहिष्णुता के कारण आबिदीन को ‘कश्मीर का अकबर’ तथा ‘वुड़शाह’ (महान सुल्तान) कहा जाता है।
- उसके शासनकाल में गायों की सुरक्षा, सती प्रथा पर से प्रतिबंध को समाप्त करने, शवदाह कर, जजिया कर आदि न वसूल करने का आदेश दिया गया।
- इसी समय बूलर झील में जैनलंका नामक द्वीप का निर्माण किया गया।
- वह फारसी में कुतुब नाम से कविताएं लिखता था।
- जैन प्रकाश जैन-उल-आबिदीन का जीवन चरित्र है।
- हाजी खां हैदरशाह इस वंश का अंतिम शासक था।
- 1588 में कश्मीर को मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया गया।
मालवा :
- मध्य भारत में मालवा की स्वतंत्र सल्तनत की स्थापना 1401 में हुसैन खां गोरी ने की थी, जिसे फिरोज तुगलक ने अमीर के रूप में दिलावर खां की उपाधि दी थी। 1436 में महमूद खिलजी प्रथम ने खिलजी वंश की स्थापना की।
- महमूद खिलजी ने गुजरात के अहमशाह-I एवं मेवाड़ के राणा कुम्भा के विरूद्ध युद्ध किया।
- मेवाड़ युद्ध में दोनों पक्षों ने विजय का दावा किया।
- महमूद खिलजी ने मांडू में एक सात मंजिला महल का निर्माण कराया।
- जबकि राणा कुम्भा ने चित्तौड़ में एक विजय स्तम्भ बनाया।
- गुजरात के शासक बहादुरशाह ने 1531 में मालवा को गुजरात में मिला लिया।
गुजरात :
- 1401 में जफर खां ने अपने को गुजरात का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया।
- अहमदशाह (1411-1441) को गुजरात राज्य की स्वतंत्रता का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- अहमदाबाद के स्थान पर पहले असावल नामक कस्बा था।
- 1458 में अबुल फतह खां अर्थात् ‘महमूद बेगड़ा’ गुजरात का शासक बना।
- बेगड़ा ने दीव में पुर्तगालियों को कारखाना खोलने के उद्देश्य से भूमि दी।
- बेगड़ा ने मुस्तफाबाद नामक शहर की स्थापना की जो उसकी राजधानी भी बनी।
- बहादुरशाह के शासनकाल में 1531 में मालवा को गुजरात में शामिल कर लिया गया।
- 1534 में बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया।
- 1535 में गुजरात पर मुगल शासक हुमायूं का आक्रमण हुआ।
- 1572-73 में मुगल सम्राट अकबर द्वारा गुजरात मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया गया।
मेवाड़ :
- गुहिलोत राजवंश के अंतर्गत मेवाड़ एक प्राचीन राज्य था जिसकी राजधानी नागदा थी।
- अलाउद्दीन खिलजी के मेवाड़ आक्रमण के समय रतन सिंह का शासन था।
- मुहम्मद बिन तुगलक के समय में सिसोदिया वंश के हम्मीरदेव ने मेवाड़ को पुनः स्वतंत्र करा दिया।
- राणा कुम्भा के शासनकाल में चित्तौड़ में एक कीर्तिस्तम्भ का निर्माण हुआ।
- कुम्भा ने जयदेव के गीतगोविन्द पर रसिकप्रिया नाम से तथा चंडीशतक पर टीका लिखी।
- कुम्भा कुशल वीणावादक था तथा उसने संगीतराज, संगीत मीमांसा तथा संगीत रत्नाकर जैसे ग्रन्थों की रचना की थी।
- कुम्भा ने अत्रि तथा महेश को संरक्षण दिया जिसने विजय स्तम्भ की रचना की थी।
- 1509 में राणा सांगा मेवाड़ की गद्दी पर बैठा।
- सांगा ने इब्राहिम लोदी, महमूद खिलजी II तथा मुजफरशाह II को पराजित किया।
- 1527 के खानवा युद्ध में बाबर से राणा सांगा पराजित हुआ।
- जहांगीर के शासनकाल में मेवाड़ मुगल साम्राज्य के अधीन हो गया।
मारवाड़ :
- मारवाड़ के जोधा (1438-1489) ने जोधपुर नामक नगर की स्थापना की।
- राठौड़ राज्य की राजधानी बीकानेर की स्थापना राव बीका ने की।
जौनपुर :
- जौनपुर को ’भारत का सिराज‘ कहा जाता है।
- जौनपुर की स्थापना फिरोजशाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई जौन खां अर्थात् मुहम्मद बिन तुगलक की स्मृति में करवायी थी।
- 1394 में सुल्तान मुहम्मद तुगलक II ने अपने वजीर ख्वाजा जहां मलिक सरवर को ‘मलिक-उस-शर्क’ (पूर्व का स्वामी) की उपाधि प्रदान की।
- 1398 में तैमूर आक्रमण का लाभ उठाकर मलिक-उस-शर्क ने अपने को स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया तथा शर्की वंश की नींव डाली।
- इस वंश का शासक शम्सुद्दीन इब्राहिम शाह शर्की स्थापत्य के जौनपुर या शर्की शैली का जन्मदाता कहा जाता है।
- हुसैनशाह शर्की अंतिम शर्की सुल्तान था।
- सिकन्दर लोदी के समय में जौनपुर को पुनः दिल्ली सल्तनत के अधीन कर लिया गया।
- सुल्तान इब्राहिम शाह के शासनकाल में साहित्य और स्थापत्य कला के क्षेत्र में हुए विकास के कारण जौनपुर को ‘भारत का सीराज’ कहा जाता है।
खानदेश :
- मलिक राजा फारुखी ने स्वतंत्र खानदेश (नर्मदा व ताप्ती नदियों के बीच) की स्थापना की।
- पूर्व में यह मुहम्मद बिन तुगलक के राज्य का हिस्सा था।
- बुरहानपुर खानदेश की राजधानी थी।
- असीरगढ़ फारुखी शासकों का सैनिक मुख्यालय था।
- 1589 में बुरहानपुर में जामा मस्जिद का निर्माण आदिलशाह फारुखी IV ने करवाया।