राजस्थान सामान्य ज्ञान : दिल्ली सल्तनत

बलबन (1266-1287) :

  • बलबन के सिंहान पर बैठने के साथ ही एक शक्तिशाली केन्द्रित शासन का युग आरम्भ हुआ।
  • कुलीन घरानों तथा प्राचीन वंशों के व्यक्तियों से अपने को संबंधित करने के लिए बलबन ने प्रसिद्ध तुर्की योद्धा अफरासियाब का वंशज घोषित किया।
  • बलबन का मुख्य कार्य चहलगानी या तुर्की सरदारों की शक्ति भंग कर सम्राट की शक्ति एवं प्रतिष्ठा को बढ़ाना था। इसके लिए उसने अपने रिश्तेदार शेर खां को विष देकर मार डाला।
  • उसने ‘लौह एवं रक्त’ की नीति अपनाया।
  • तुर्क अमीरों के प्रभाव को कम करने के लिए बलबन ने सिज्दा (घुटने पर बैठकर सिर झुकाना) तथा पाबोस (सम्राट के सामने झुककर पांव को चुमना) की प्रथा आरम्भ की जो मूलतः इरानी एवं गैर इस्लामी था।    
सल्तनतकालीनस्थापत्यकला
1. कुब्वत-उल-इस्लाम मस्जिदकुतुबुद्दीन ऐबक (दिल्ली)
2. कुतुबमीनारकुतुबुद्दीन ऐबक

और इल्तुतमिश (दिल्ली)

3. अढ़ाई दिन का झोपड़ाकुतुबुद्दीन ऐबक (अजमेर)
4. लाल महलबलबन (दिल्ली)
5. अलई दरवाजाअलाउद्दीन खिलजी (दिल्ली)
6. जमातखाना मस्जिदअलाउद्दीन खिलजी (दिल्ली)
7. सिकन्दर लोदी का मकबराइब्राहित लोदी (दिल्ली)
8. सुल्तानगढ़ीइल्तुतमिश
9. हौज-ए-शम्सीइल्तुतमिश
10. अतरिन का दरवाजाइल्तुतमिश
11. हौज-ए-खासअलाउद्दीन खिलजी
12. तुगलकाबादगयासुद्दीन तुगलक
13. आदिलाबाद का किलामुहम्मद बिन तुगलक
14. जहांपनाह नगरमुहमद बिन तुगलक
15. कोटला फिरोजशाहफिरोजशाह तुगलक
16. खान-ए-जहां तेलंगानी

का मकबरा (अष्टभुजीय)

जूनाशाह
17. काली मस्जिदफिरोजशाह तुगलक
  • उसने नौरोज (फारसी) प्रथा को भी आरम्भ किया।
  • मृत्यु के पूर्व बलबन ने बुगरा खां को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। परन्तु बुगरा द्वारा अनिच्छा जाहिर करने पर कैखुसरो को उत्तराधिकारी बनाया गया।
  • बलबन ने राजत्व को दैवी संस्था मानते हुए राजा को नियामते खुदाई (ईश्वर का प्रतिनिधि) घोषित किया।
  • उसने सिक्कों पर खलीफा का नाम खुदवाया।
  • उसने अमीर खुसरो तथा अमीर हसन को राज्याश्रय दिया।
  • बलबन की मृत्यु के बाद कैखुसरो सुल्तान बना लेकिन दिल्ली के अमीरों ने उसे अपदस्थ कर बलबन के एक और पौत्र कैकुबाद को सुल्तान बना दिया।
  • कैकुबाद को पिता बुगरा खां के जीवित रहने पर ही सुल्तान बना दिया गया।
  • कैकुबाद ने जलालुद्दीन खिलजी को अपना सेनापति बनाया।
  • बाद में तुर्क सरदारों ने उसके पुत्र शम्सुद्दीन कैमुर्स को सुल्तान घोषित किया।
  • जलालुद्दीन खिलजी ने कैमुर्स की हत्या कर खिलजी राजवंश की स्थापना की।

जलालुद्दीन खिलजी (1290-1296) :

  • जलालुद्दीन खिलजी ने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया।
  • गैर – तुर्की मलिकों ने खिलजी विद्रोह का स्वागत किया।
  • खिलजी ने तुर्कों को उच्च पदों से वंचित नहीं किया बल्कि उसका एकाधिकार समाप्त कर दिया।
  • वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने अपने विचारों को स्पष्ट रूप से रखा कि राज्य का आधार प्रजा का समर्थन होना चाहिए चूंकि भारत की अधिकांश जनता हिन्दू थी, अतः सही अर्थों में यहाँ कोई राज्य इस्लामी राज्य नहीं हो सकता था।
  • उसके शासनकाल में 1292 में मंगोल आक्रमणकारी अब्दुल्ला ने पंजाब पर आक्रमण किया।
  • देवगिरि के सफल अभियान के बाद जब अलाउद्दीन वापस आ रहा था तो सुल्तान स्वयं उससे मिलने कड़ा गया जहां अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा से गले मिलते समय हत्या कर दी।

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) :

  • अलाउद्दीन खिलजी पहले कड़ा का गर्वनर था।
  • बचपन में वही अली गुरशस्प नाम से प्रसिद्ध था।
  • उसके राज्यारोहण के साथ सल्तनत के साम्राज्यवादी युग का आरम्भ हुआ।
  • उसका राज्याभिषेक बलबन के लाल महल में हुआ था।
  • उसने सिकन्दरसानी की उपाधि धारण की।
  • उसके शासनकाल में अनेक मंगोल आक्रमण हुए।
  • उसने 1298 में गुजरात के रायकर्ण, 1300-1301 में रणथम्भौर के हम्मीरदेव, 1303 में चित्तौड़ के रतनसिंह, 1305 में मालवा के महलक देव तथा सिवाना के शीलतदेव एवं 1311 में जालौर के कान्हड़देव पर आक्रमण किया।
  • अलाउद्दीन की समकालीन दक्षिण की महत्वपूर्ण शक्तियां थीं-देवगिरि के यादव, तेलंगाना के होयसल, वारंगल के काकतीय तथा मदुरा के पांड्य राजवंश।
  • अलाउद्दीन प्रथम मुस्लिम शासक था जिसने दक्षिणी राज्यों पर आक्रमण किया।
  • उसने देवगिरि पर आक्रमण कर रामचन्द्र को पराजित किया तथा उसे ‘राय रायान’ की उपाधि प्रदान की। इसके अलावा नवसारी का किला भी रामचन्द्र को मिला।
  • 1310 में उसने वारंगल के काकतीय शासक प्रताप रुद्रदेव को पराजित किया। यहीं से विश्वप्रसिद्ध ‘कोहिनूर’ हीरा प्राप्त हुआ।
  • 1310-11 में होयसल राज्य के शासक वीर बल्लाल-III पर आक्रमण किया गया।
  • 1311-12 में माबर (मदुरा) के पांड्य राज्य पर आक्रमण कर विशाल धन को प्राप्त किया गया।
  • अलाउद्दीन का अंतिम सैन्य अभियान दक्षिण भारत में देवगिरि के नये शासक शंकरदेव के विरुद्ध हुआ।
  • दक्षिणी राज्यों में आक्रमण का नेतृत्व मलिक कफूर द्वारा किया गया।
  • दक्षिणी राज्यों से धन वसूला गया न कि उसे सल्तनत में शामिल किया गया।

अलाउद्दील के प्रशासनिक सुधार :

  • उसने धर्म को राजनीति से अलग किया।
  • दीवान – ए – रियासत विभाग की स्थापना अलाउद्दीन खिलजी ने ही की थी जो आर्थिक मामलों से सम्बन्धित था।
  • सैन्य व्यवस्था में भष्टाचार को समाप्त करने के लिए उसने दाग तथा चेहरा प्रथा की शुरुआत की।
  • स्थायी सेना रखने वाला वह सल्तनत का प्रथम सुल्तान था।
  • उसने सेना की सीधी भर्ती एवं नकद वेतन देने की प्रथा को आरम्भ किया।
  • ‘बाजार नियंत्रण प्रणाली’ अलाउद्दीन खिलजी की प्रमुख आर्थिक देन है।
  • सैनिकों को एक निश्चित वेतन पर जीवित रखने के उद्देश्य से अलाउद्दीन खिलजी ने सभी वस्तुओं के मूल्य निश्चित कर दिये।
  • वह प्रथम सुल्तान था जिसने भूमि की वास्तविक आय पर राजस्व निश्चित किया। भूमि पर उपज का 50% भूमिकर या खिराज के रूप में लेने की घोषणा की गयी।
  • आवास कर (घरी), चराईकर नामक कर भी लगाये गये।
  • उसने अमीर खुसरो तथा हसन को प्रश्रय दिया।
  • 1316 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी।

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