मुबारक खिलजी (1316-1320) :
- उसने ‘खिलाफत’ के प्रति अपनी भक्ति नकारते हुए स्वयं को इस्लाम का सर्वोच्च प्रधान, स्वर्ग तथा पृथ्वी के अधिपति का खलीफा घोषित किया।
गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325) :
- गाजी मलिक ने सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक शाह की उपाधि धारण कर सल्तनत के तीसरे राजवंश की स्थापना की।
- उसने भू-मापीकरण के अलाउद्दीन खिलजी की प्रथा को बंद करवा दिया।
- वह प्रथम शासक था जिसने सिंचाई के लिए नहरों के निर्माण की योजना बनाई।
- लगान की दर घटाकर उसने उपज का 1/11वां हिस्सा तय कर दिया।
- उसने तुगलकाबाद के नगर-दुर्ग का निर्माण करवाया तथा सल्तनत काल के स्थापत्य का एक नवीन जीवन तैयार किया।
- उसके शासनकाल में शहजादे जौना खां के नेतृत्व में वारंगल के काकतीय तथा मदुरा के पाण्ड्य साम्राज्य को विजित करके दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया।
- 1325 में जब सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक बंगाल के सैनिक अभियान से लौट रहा था तब शहजादे जौना खां ने सुल्तान का स्वागत करने के लिए दिल्ली के पास अफगानपुर गांव में लकड़ी का एक मंडप तैयार किया। इसी मंडप के अचानक गिर जाने से सुल्तान की मृत्यु हो गयी।
मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351) :
- मुहम्मद बिन तुगलक अन्तर्विरोधों का विस्मयकारी मिश्रण, रक्तपिपासु या परोपकारी या पागल भी कहा गया है। निजामुद्दीन औलिया ने गयासुद्दीन तुगलक के बारे में कहा था कि ’दिल्ली अभी बहुत दूर है।‘
- गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जौना खां मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से सत्ता पर आसीन हुआ।
- उसके बारे में बरनी के ’तारीख – ए – फिरोजशाही’ तथा इब्नबतूता के ’रेहला‘ से जानकारी मिलती है।
- अफ्रीकी यात्री इब्न बतूता को सुल्तान ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया तथा 1342 में वह सुल्तान के राजदूत की हैसियत से चीन गया था।
- मुहम्मद बिन तुगलक अपनी पांच योजनाओं के लिए प्रसिद्ध है।
- सुल्तान का सबसे विवादास्पद निर्णय राजधानी परिवर्तन का था जिसके तहत राजधानी को दिल्ली से देवगिरि (दौलताबाद) स्थानान्तरित कर दिया गया।
- सुल्तान की दूसरी परियोजना थी प्रतीक मुद्रा का प्रचलन।
- सुल्तान की तीसरी परियोजना भी खुरासान अभियान।
- कराचिल अभियान के तहत सुल्तान ने खुसरो मलिक के नेतृत्व में एक विशाल सेना कुमायूं-गढ़वाल क्षेत्र में स्थित कराजिल को जीतने के लिए सेना भेजी गयी।
- अंतिम परियोजना के तहत सुल्तान ने ‘दोआब क्षेत्र’ में कर वृद्धि कर दी। दुर्भाग्यवश इसी समय अकाल पड़ गया तथा अधिकारियों द्वारा जबरन वसूली के कारण उस क्षेत्र में विद्रोह हो गया तथा परियोजना असफल रही।
- कृषि में विस्तार तथा विकास के लिए ‘दीवान-ए-अमीर-ए कोही’ नामक विभाग की स्थापना की गयी।
- मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में ही दक्षिण में 1336 में हरिहर तथा बुक्का नाम के दो भाइयों ने स्वतंत्र विजयनगर राज्य की स्थापना की।
सल्तनतकालीन पुस्तकें
1. तबकात – ए – नासिरी | मिनहाज – उल – सिराज (फारसी) |
2. तारीख – ए – फिरोजशाही | जियाउद्दीन बरनी (फारसी) |
3. फतवा – ए – जहांदारी | जियाउद्दीन बरनी (फारसी) |
4. खजान – ए – फुतूह | अमीर खुसरो (फारसी) |
5. नूहसिपेहर | अमीर खुसरो (फारसी) |
6. आशिका | अमीर खुसरो (फारसी) |
7. किरान – उल – सादेन | अमीर खुसरो (फारसी) |
8. खजाइन – उल – फुतूह | अमीर खुसरो (फारसी) |
9. तुगलकनामा | अमीर खुसरो (फारसी) |
10. फुतूह – उल – सलातीन | इसामी (फारसी) |
11. तारीख – ए – फिरोजशाही | अफीक (फारसी) |
12. फुतूहात – ए – फिरोजशाही | फिरोजशाह तुगलक (फारसी) |
13. तारीख – ए – मुबारकशाही | सरहिन्दी (फारसी) |
14. तारीख – ए – यामिनी | उत्वी |
15. जफरनामा | याज्दी |
- फिरोजशाह तुगलक राजपूत मां (रणमल की पुत्री बीबी नैला का पुत्र था) का पुत्र था।
- उसने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगा दिया।
- सिंचाई पर भी ‘हब-ए-शर्ब’ नामक सिंचाई कर लगाया गया।
- उसने उत्तम कोटि की फसलों का प्रचलन किया तथा फलों के 1200 बाग लगाये गये।
- सेना को नकद वेतन के बदले भू-राजस्व वाले गांव दिये जाते थे।
- 1361 में नगरकोट पर आक्रमण कर वहां के शासक को पराजित किया तथा ज्वालामुखी मंदिर को तोड़ा।
- निर्धनों की सहायता के लिए उसने ‘दीवान-ए-खैरात’ विभाग की स्थापना की।
- फिरोजाबाद, जौनपुर, हिसार, फतेहाबाद आदि नगरों की स्थापना भी उसी के शासनकाल में हुई।
- उसके शासनकाल में ही मेरठ एवं टोपरा में स्थित अशोक स्तम्भों को दिल्ली लाकर स्थापित किया गया।
- दासों के संरक्षण हेतु ‘दीवान-ए-बंदगान’ नामक एक अलग विभाग की स्थापना की गयी।
- उसने जियाउद्दीन बरनी तथा शम्स – ए – सिराज अफीफ को संरक्षण दिया।
- फिरोजशाह का अंतिम सैनिक अभियान 1365-67 में थट्टा में हुआ जो सफल नहीं रहा।
- सल्तनत के पतन तथा विघटन की जो प्रक्रिया मुहम्मद बिन तुगलक के शासन के अंतिम दिनों में प्रारम्भ हुई थी, वह फिरोजशाह के शासनकाल में और तीव्र हो गयी।
परवर्ती तुगलक सुल्तान :
- फिरोजशाह तुगलक के उपरान्त उसका एक पौत्र शाह गयासुद्दीन तुगलक II के नाम से गद्दी पर बैठा। अगले 5 वर्षों के दौरान तीन सुल्तान अबूबक्र, मुहम्मद शाह तथा अलाउद्दीन सिकन्दरशाह गद्दी पर बैठे।
- नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412) तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
- नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में मंगोल सेनानायक तैमूर का दिसम्बर 1398 में आक्रमण हुआ।
- महमूद के साम्राज्य के बारे में कहा जाता था कि शहंशाह की सल्तनत दिल्ली से पालम तक फैली हुई है।
सैय्यद वंश (1414-1451) :
- खिज्र खां सैयद वंश का संस्थापक था।
- तत्पश्चात् मुबारकशाह (1421-1434) उसका उत्तराधिकारी बना।
- अंतिम सैय्यद शासक शाह आलम को गद्दी से उतारकर वजीर बहलोल लोदी ने नये राजवंश की नींव रखी।
- मुबारकशाह के शासनकाल में याहिया बिन सरहिन्दी ने तारीख-ए-मुबारकशाही नामक ग्रंथ की रचना की।
बहलोल लोदी (1451-1489) :
- बहलोल लोदी अफगानिस्तान के गिलजाई कबीले की शाखा शाहूखेल में पैदा हुआ था।
- उसने जौनपुर के शर्की शासक को पराजित कर जौनपुर को पुनः सल्तनत में शामिल किया।
- ग्वालियर अभियान उसका अंतिम सैनिक अभियान था।
- उसने बहलोली सिक्के चलाये।
सिकन्दर लोदी (1489-1517) :
- उसने 1504 में आगरा नगर का निर्माण करवाया तथा उसके बाद अपनी राजधानी को आगरा स्थानान्तरित कर दिया।
- भूमि माप के लिए उसने ‘सिकन्दरी गज’ का प्रयोग किया।
- वह ‘गुलरुखी’ नाम से कविताएं लिखता था।
इब्राहिम लोदी (1517-1526) :
- उसने ग्वालियर के शासक विक्रमजीत सिंह को अपने अधीन किया लेकिन मेवाड़ शासक राणा सांगा के विरुद्ध उसका अभियान असफल रहा।
- पानीपत के प्रथम युद्ध में तैमूरवंशी शासक बाबर के साथ हुए युद्ध में 21 अप्रैल, 1526 को इब्राहिम लोदी पराजित हुआ।