राजस्थान वित्त निगम (आर.एफ.सी)
- राजस्थान वित्त निगम की स्थापना राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, 1951 के अन्तर्गत वर्ष 1955 में की गई।
- वित्त निगम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राज्य में नवीन उद्योगों की स्थापना, विद्यमान उद्योगों के विस्तारीकरण एवं नवीनीकरण हेतु रू. 20 करोड़ तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
- यह औद्योगिक इकाइयों को ऋण स्वीकृत करने हेतु केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, IDBI व IFCI के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
- RFC द्वारा संचालित स्कीम :-
- फलेक्सी ऋण योजना
- टॉप-अप ऋण योजना
- महिला उद्यमनिधि योजना
- सेमफेक्स योजना
- शिल्पबाड़ी योजना (1987-88)
- “सिल्वर कार्ड’ योजना
- गोल्ड कार्ड स्कीम
- प्लेटिनम कार्ड स्कीम
युवा प्रोत्साहन योजना –
- राज्य सरकार ने युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए युवा उद्यमिता प्रोत्साहन योजना (वाई.यू.पी.वाई.) प्रांरभ की गई।
- योजना को अधिक व्यवहारिक एवं व्यापक बनाने हेतु राज्य सरकार ने कुछ संशोधन करते हुए योजनान्तर्गत 45 वर्ष की आयु तक एवं आई.टी.आई/डिप्लोमा/स्नातक योग्यताधारी पात्र उद्यमियों को रु. 5 करोड़ तक का ऋण आसान शर्त़ों पर दिया जा रहा है।
- राज्य में एम.एस.एम.ई को बढ़ावा देने हेतु निगम ने अपनी ब्याज दरों में कटौती की है। वर्तमान में एस.एस.एम.ई की ब्याज दर 11 प्रतिशत है, जो 02 जनवरी, 2017 से प्रभावी है।
- राजस्थान वित्त निगम ने एक योजना प्रांरभ की है, जिसके अन्तर्गत उद्योग, होटल एवं अस्पताल के लिए रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्र आवंटित भूखंड पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
- साथ ही राजस्थान में सोलर ऊर्जा की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता को देखते हुए एक योजना प्रांरभ की है, जिसके अन्तर्गत राज्य में स्थापित होने वाले सोलर ऊर्जा से संबंधित उद्योगों पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
- निगम ने उद्यमियो को राहत देते हुए प्रक्रिया शुल्क में 0.50 प्रतिशत की कटौती की गई है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक आधार वर्ष की तुलना में अर्थव्यवस्था में सामान्य स्तर पर हुई औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि या कमी को दर्शाता है।
- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक राज्य में औद्योगिक प्रगति का मुख्य सूचक है, जो मासिक आधार पर संकलित किया जाता है।
- मौजूदा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक श्रृंखला का आधार वर्ष 2004-05 है, जो कि 294 वस्तुओं या उत्पाद समूह पर आधारित यह सूचकांक तीन प्रमुख समूहों यथा-विनिर्माण, खनन एवं विद्युत के क्षेत्र में तैयार किए जा रहे हैं।
खादी एवं ग्रामोद्योग
- राज्य में खादी तथा ग्रामोद्योग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार उपलब्ध कराने में राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
- खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र के दस्तकारों को रोजगार प्रदान कर उच्च गुणवत्ता युक्त वस्तुओं के उत्पादन में सहयोग करने, कारीगरों को प्रशिक्षण दिलाने एंव स्वदेशी उत्पाद के उपयोग करने की भावना जागृत करने हेतु की गई थी।
प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (पी.एम.ई.जी.पी.)
- प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार के अन्तर्गत खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित किया जा रहा है।
- इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 133 ग्रामोद्योग इकाईयाँ स्वीकृत हुई एवं दिसंबर, 2016 तक 782 व्यक्तियों को अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
- अन्तर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर सुश्री बी.बी. रसैल (ढाका बांग्लादेश) को राज्य सरकार की सहमति से खादी में गुणवत्ता सुधार हेतु फैसिलेटर कम कंसलटेन्ट के रूप में नियुक्त किया गया है।
- कंसल्टेंट के निरीक्षण में फैशन-शो के लिए नए डिजाइन तैयार किए जा चुके हैं।
- फैशन-शो दिनांक 1-3 दिसंबर, 2016 तक डिग्गी पैलेस, जयपुर में आयोजित किया गया ।
- राष्ट्रीय फैशन तकनीकी संस्थान (NIFT), जोधपुर के माध्यम से अब तक 50 खादी संस्थाओं व व्यक्तिगत इकाईयों को कौशल विकास में प्रशिक्षण दिया गया है।
राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड (आर.एस.एम.एम.एल)
- राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड राज्य का सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख उपक्रम है।
- यह मुख्य रूप से राज्य के खनिज एवं औद्योगिक खनिजों के विपणन (Marketing) के कार्य़ों में कार्यरत है।
- कंपनी का मुख्य उद्देश्य लागत प्रभावी तकनीक का प्रयोग करते हुए खनिज संपदा का आधुनिक तकनीकों से दोहन करना है।
- प्रारंभ से ही आर.एस.एम.एम.एल द्वारा खनिज क्षेत्र में खनिजों के अन्वेषण/खुदाई के लिए नई दिशा में प्रयास किए गए।
- वित्तीय वर्ष 2016-17 में कंपनी द्वारा रु. 1,24,629.02 लाख के सकल राजस्व तथा रु. 23,648.06 लाख के कर पूर्व लाभ अर्जित करने का अनुमान है।