– राज्य में सर्वाधिक पंजीकृत फैक्ट्रियाँ :- जयपुर व जोधपुर में।
राज्य में न्यूनतम पंजीकृत फैक्ट्रियाँ :- जैसलमेर व बारां में।
– उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिकों के लिए) की गणना के लिए जयपुर, अलवर व भीलवाड़ा को शामिल किया जाता है। अलवर की जगह पहले अजमेर को शामिल किया जाता था।
– कम्प्यूटर एडेड डिजाइन सेन्टर :- भीलवाड़ा में।
– कुमारप्पा हस्तशिल्प कागज राष्ट्रीय संस्थान :- सांगानेर (जयपुर)।
– ब्रह्मगुप्त अनुसंधान एवं विकास केन्द्र :- जोधपुर।
– सिरेमिक प्रशिक्षण प्रयोगशाला :- बीकानेर।
– एग्रोफुड पार्क :- कोटा, अलवर, जोधपुर, श्रीगंगानगर में।
– ग्लास एवं सिरेमिक हब :- घीलोट (अलवर)।
– रीको की स्थापना :- जनवरी 1980 में (कम्पनी अधिनियम 1956 के अधीन पंजीकृत कम्पनी)
– उद्यमिता एवं प्रबंध विकास संस्थान :- 19 फरवरी, 1996 को पंजीकृत। जयपुर में स्थापित स्वायतशासी संस्थान।
– राजस्थान खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड :- अप्रैल 1955 को स्थापना।
उद्देश्य :- राज्य में खादी व ग्रामोद्योग क्षेत्र के विकास द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करना तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
– राजस्थान कन्सलटेन्सी ऑर्गेनाइजेशन लिमिटेड (राजकॉन) :-
स्थापना :- 1978
मुख्यालय :- जयपुर
उद्देश्य :- राज्य में छोटे एवं मंझले परियोजना प्रवर्तकों को समग्र रूप से तकनीकी विपणन, प्रबन्धकीय, विकासात्मक व वित्तीय परामर्श सेवाएँ प्रदान करना।
– राजस्थान निवेश संवर्द्धन बोर्ड :- 8 जून, 2009 को गठन।
अध्यक्षता :- मुख्यमंत्री द्वारा।
– निवेश संवर्द्धन ब्यूरो :- 1991 में स्थापित।
यह 10 करोड़ से अधिक निवेश प्रस्तावों के लिए नोडल एजेन्सी हैं।
– राजस्थान फाउण्डेशन :- 30 मार्च, 2001 को स्थापना।
अध्यक्षता :- मुख्यमंत्री
उद्देश्य :- प्रवासी राजस्थानियों को प्रदेश के विकास में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।
– भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान :- जोधपुर में।
– भारतीय शिल्प व डिजाइन संस्थान :- 20 अप्रैल, 1995 को स्थापना जयपुर में।
– वर्ष 2015 में अजमेर जिले के सथाना (मसूदा तहसील) में सिरेमिक एवं काँच उद्योग के लिए विशेष औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गई है।
– दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा (DMIC) :-
90 बिलियन यूएस डॉलर की महत्वाकांक्षी मेगा ढांचागत परियोजना।
जापान की वित्तीय एवं तकनीकी सहायता से क्रियान्वित।
गलियारे की लम्बाई :- 1483 Km.
यह गलियारा मुम्बई के जवाहरलाल नेहरू एयरपोर्ट को दादरी (UP) से जोड़ता है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अलावा राजस्थान सहित 6 राज्यों से गुजरेगा।
राजस्थान में इसकी लम्बाई 576 किमी. (39%) होगी।
इस गलियारे में औद्योगिक कलस्टर, औद्योगिक पार्क, स्पेशल इकोनॉमिक जोन, पॉवर प्रोजेक्टस, औद्योगिक टाउनशिप आदि को विकसित किया जायेगा।
DMIC राजस्थान के 7 जिलों (अलवर, सीकर, नागौर, जयपुर, अजमेर, पाली व सिरोही) से होकर गुजरेगा।
– हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड :- 10 जनवरी, 1966 को स्थापित।
जिंक स्मेल्टर :- देबारी (उदयपुर) व चन्देरिया (चित्तौड़गढ़)
– हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड :- खेतड़ी। नवम्बर 1967 में USA की सहायता से स्थापना।
– हिन्दुस्तान मशीन टूल्स :- अजमेर, चेकोस्लोवाकिया की मदद से 1967 में स्थापित।
– सांभर साल्टस लिमिटेड :- 1964 में स्थापित।
– माडर्न बैकरीज :- 1965 में स्थापित।
– राजस्थान आवासन मण्डल :- 1970 में स्थापित।
– महिन्द्रा ग्रुप ने रीको (RIICO) के सहयोग से जयपुर में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की स्थापना की है।
– राजस्थान MSME दिवस :- 17 सितम्बर (विश्वकर्मा जयंती) के उपलक्ष्य में।
– औद्योगिक सम्भावनाओं के आधार पर राजस्थान के A श्रेणी के जिले :- उदयपुर, अलवर, कोटा, भीलवाड़ा, जोधपुर, पाली, अजमेर।
– राजस्थान में टायर एवं ट्यूब बनाने का सबसे बड़ा कारखाना :- कांकरोली (राजसमन्द)
– राज्य में बिजली के मीटर बनाने के लिए प्रसिद्ध फैक्ट्री :- जयपुर मेटल्स एण्ड इलेक्ट्रीकल्स (जयपुर)
– अशोका लीलेण्ड कारखाना :- अलवर।
– नेशनल बॉल बियरिंग कारखाना :- जयपुर।
– सेमकोर ग्लास लिमिटेड :- कोटा।
– माणिक्यलाल वर्मा टेक्सटाइल्स इंस्टीट्यूट :- भीलवाड़ा में।
– देश का पहला MSME सेन्टर :- (भिवाड़ी) अलवर में।
– राजस्थान का पहला इंटीग्रेटेड स्टील प्लान्ट :- पुर (भीलवाड़ा) में।
– प्रदेश का पहला राइस कलस्टर :- बूँदी में।
– राजस्थान सूचना एवं प्रौद्योगिकी दिवस :- 21 मार्च।
– शून्य उद्योग वाले जिले :- जैसलमेर, बारां, बाड़मेर, चूरू व सिरोही।
– अर्जुन सेन गुप्ता समिति :- राज्य में सार्वजनिक उपक्रमों की दशा सुधारने के लिए सुझाव देने हेतु गठित समिति।
– रमकड़ा उद्योग :- गलिया कोट (डूंगरपुर)।
– कागज उद्योग :- सांगानेर (जयपुर) व घोसूण्डा (उदयपुर)
– अगरबत्ती उद्योग :- अजमेर, अलवर।
– ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला :- बीकानेर।
– नमदे, खस व दरियां बनाने के लिए प्रसिद्ध शहर :- टोंक।
– एशिया में सबसे बड़ी ऊन की मंडी :- बीकानेर।
– दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा सीमेन्ट कारखाना :- बावरा (सवाईमाधोपुर)
– हीरागढ़ व साम्बरा नमक की खानों के लिए प्रसिद्ध हैं।
– घड़िया बनाने का उद्योग :- अजमेर व जयपुर।
– सिमको वेगन फैक्ट्री :- भरतपुर।
– अरावली पानी के मीटर बनाने का कारखाना :- अलवर।
– राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स :- डीडवाना में।
– गोटा उद्योग – जयपुर, अजमेर और खण्डेला।
– खेसला उद्योग :- गुढ़ा, बालोतरा, फालना, सुमेरपुर।
– मसूरिया साड़ी :- कोटा।
– कृत्रिम रेशम (टसर) का विकास कोटा, उदयपुर, बाँसवाड़ा जिलों में किया जा रहा है।
– जयपुर का हाथीदांत का कार्य पूरे देश में विख्यात है।
– स्ट्रॉबोर्ड का कारखाना :- कोटा में।
– सूंघनी (नसवार) बनाने का कारखाना :- ब्यावर।
– भामाशाह रोजगार सृजन योजना :- 2015 में शुरूआत।