– प्राचीन काल में मानव को केवल आठ धातुओं के बारे में जानकारी थी। ये धातुएँ हैं – सोना, चांदी, टिन, तांबा, सीसा, लोहा, पारा तथा एण्टीमनी।
– सन 1869 में मैंडलीफ ने एक आवर्त सारणी बनाई जिसमें लगभग 50 तत्व थे।
धातुओं के भौतिक गुण –
- धातुएँ आघातवर्ध्य होती है। इसका अर्थ है कि उन्हें हथौड़े से पीटकर बहुत पतली चादरों के रूप में ढ़ाला जा सकता है। सोना व चांदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य धातुएँ हैं।
- तन्यता धातुओं का एक और अन्य लाक्षणिक गुण है। समस्त धातुएँ समान रूप से तन्य नहीं होती है।
- समस्त धातुएँ ऊष्मा की चालक होती है। चांदी ऊष्मा की सर्वोत्तम चालक है। धातुओं में सबसे कम चालक सीसा है।
- धातुओं का एक और सामान्य गुण वैद्युत चालकता है। वे विद्युत प्रवाह में बहुत ही कम प्रतिरोध उत्पन्न करती है। अतः उच्च वैद्युत चालकता दर्शाते है। विद्युत धारा के सर्वोत्तम चालक चांदी तथा तांबा हैं। इसके पश्चात विधुत चालकता में क्रमशः सोना, एलुमिनियम तथा टंगस्टन का स्थान आता है। पारा तथा लोहा विद्युत धारा के प्रवाह में अपेक्षाकृत अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करते है।
– मर्करी (पारे), सीजियम तथा गैलियम के अतिरिक्त अन्य सभी धातुएँ साधारण ताप पर ठोस होती है, परन्तु ये तीनों धातुएँ साधारण ताप पर द्रव अवस्था में पायी जाती है।
– धातुओं के गलनांक (Melting Point) तथा क्वथनांक (Boiling point) उच्च होते हैं, परंतु सीजियम और गैलियम का गलनांक बहुत कम होता है।
– धातुओं का घनत्व (सोडियम व पोटेशियम के अतिरिक्त) जल से उच्च होता है। ऑस्मियम (Os) सर्वाधिक भारी धातु है।
– धातुएँ सामान्यतः कठोर होती है, परंतु क्षारीय धातुएँ जैसे – लीथियम, सोडियम, पोटेशियम आदि इतनी मुलायम होती हैं कि इन्हें चाकू से भी काटा जा सकता है।
धातुओं के रासायनिक गुण –
– समस्त धातुएँ ऑक्सीजन के साथ संयोग कर धात्त्वीय ऑक्साइड बनाती है। धातुओं के परमाणु शिथिल (Loose) आबन्ध वाले इलेक्ट्रॉनों को आसानी से खो देते है तथा धातु का धनात्मक आयन बनाते है। इसके विपरीत ऑक्सीजन के परमाणु अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन प्राप्त करते है तथा ऋणात्मक ऑक्साइड आयन बनाते हैं।
– यद्यपि समस्त धातुएँ आक्सीजन के साथ अभिक्रिया करती है परन्तु इनकी अभिक्रियाशीलता (Reactivity) भिन्न-भिन्न होती है जैसे – सोडियम तथा पोटेशियम, ऑक्सीजन के साथ प्रबल अभिक्रिया करती है। यदि इनको केवल हवा में खुला छोड़ दिया जाए तो यह आग पकड़ सकती है। जबकि ऑक्सीजन से संयोग करने के लिए मैग्नीशियम को पहले गर्म करना आवश्यक है। इसी प्रकार O2 की तांबे के साथ अभिक्रिया अपेक्षाकृत मंद गति से होती है। इस अभिक्रिया को सम्पन्न करने हेतु बहुत अधिक उष्मा उपलब्ध करना आवश्यक है।