Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || न्यायपालिका (JUDICIARY)

जिला न्यायालय

  • जिला न्यायालय, ट्रायल कोर्ट होते हैं।
  • जिला न्यायालय में किसी भी मामले की सुनवाई की जा सकती है।
  • जिला न्यायालय, अधिकतम दण्ड, मृत्युदण्ड दे सकता है।
  • जिला न्यायालय एवं निचले न्यायालयों को अधीनस्थ न्यायालय कहा जाता है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति-

  • जिला न्यायाधीश की नियुक्ति, राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय की सलाह से की जाती है।
  • जिला न्यायाधीश के अलावा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय एवं राज्य लोक सेवा आयोग की सलाह से की जाती है।

 जिला न्यायाधीश की भूमिका- 

  • जिला न्यायाधीश की भूमिका दो रूपों में होती है-

(i) जब जिला न्यायाधीश, दाण्डिक मामलों में सुनवाई करता है, तो वह सत्र न्यायाधीश कहलाता है।

(ii) जब जिला न्यायाधीश, सिविल मामलों की सुनवाई करता है, तो वह जनपद न्यायाधीश कहलाता है।

जिला न्यायालयों की संरचनासिविल मामले-

जनपद न्यायाधीश

अधीनस्थ न्यायाधीश

मुंसिफ मजिस्ट्रेट

न्याय पंचायत

  • जिले में सिविल मामलों का प्राथमिक न्यायालय, मुंसिफ न्यायालय तथा न्याय पंचायत होते हैं।

दाण्डिक मामले (आपराधिक मामले)-

सत्र न्यायाधीश या महानगरों में मेट्रो पोलीटियन मजिस्ट्रेट

अधीनस्थ न्यायालय

मजिस्ट्रेट

पंचायत अदालत

  • दाण्डिक या सेशन मामलों में जिले की सबसे निचली अदालत को पंचायत अदालतकहा जाता है।

ग्राम न्यायालय-

  • ग्राम न्यायालय अधिनियम-2008 के द्वारा 2 अक्टूबर, 2009 से ग्राम न्यायालयों की स्थापना की गई है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति-

  • ग्राम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति, राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय की सलाह से की जायेगी।
  • ग्राम न्यायालय का न्यायाधीश, न्यायाधिकारी कहलायेगा।

 ग्राम न्यायालयों की विशेषताएँ- 

  • ग्राम न्यायालय, प्रत्येक पंचायत के खण्ड स्तर पर (मध्यवर्ती स्तर) स्थापित किये जायेंगे।
  • ग्राम न्यायालय चलते-फिरते न्यायालय (मोबाईल कोर्ट) होंगे, जो अपने पास के गाँवों में जाकर मामलों की सुनवाई करेंगे।
  • ग्राम न्यायालय को सिविल  दाण्डिक दोनों तरह के मामलों की सुनवाई का अधिकार होगा।
  • ग्राम न्यायालयों का मुख्य उद्देश्य, ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उनके द्वार पर ही निःशुल्क न्याय प्रदान करना है।

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