न्यायपालिका (JUDICIARY)
न्यायपालिका-
- भारत में न्यायपालिका का एकीकृत रूप है। संघ और राज्यों दोनों के लिए एक ही न्यायपालिका है।
- अमेरिका में संघ एवं राज्यों के लिए अलग-अलग न्यायालय है। ’भारत में उच्चतम न्यायालय, मूल अधिकारों का रक्षक और संविधान का संरक्षक भी है।‘
- भारतीय संविधान में स्वतंत्र एवं स्वायत्त न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है।
- न्यायपालिका की संरचना निम्नलिखित है-
उच्चतम न्यायालय
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उच्च न्यायालय
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जिला न्यायालय
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ग्राम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय –
उच्चतम न्यायालय का गठन (अनुच्छेद-124)-
- उच्चतम न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश एवं 30 अन्य न्यायाधीश होंगे।
- प्रारंभ में संविधान में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 7 अन्य न्यायाधीशों का प्रावधान किया गया था।
उच्चतम न्यायालय की पीठ (अनुच्छेद-130)-
- उच्चतम न्यायालय की पीठ ’नई दिल्ली‘ में है।
- मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकार है, कि उच्चतम न्यायालय की पीठ किसी और स्थान पर भी राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से स्थापित कर सकता है।
उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश की नियुक्ति की योग्यताएँ-
- वह भारत का नागरिक हो।
- किसी उच्च न्यायालय में कम से कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो।
- वह कम से कम 10 वर्ष किसी एक उच्च न्यायालय में वकालत कर चुका हो।
- राष्ट्रपति की राय में विख्यात या कुशल विधिवेत्ता हो।
शपथ-
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, तीसरी अनुसूची के अनुसार शपथ ग्रहण करते हैं।
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रपति, शपथ ग्रहण कराते हैं।
उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीशों के लिए आयु सीमा-
- न्यायाधीशों की नियुक्ति की किसी न्यूनतम आयु का वर्णन नहीं है।
- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।
तदर्थ न्यायाधीश-
- जब उच्चतम न्यायालय में कोरम/गणपूर्ति का अभाव हो, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को जो उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति की योग्यता रखते हों, उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के पूर्व सहमति से की जाएगी और उन्हें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की सभी उपलब्धियाँ प्राप्त होंगी। (अनुच्छेद-127)
अवकाश प्राप्त न्यायाधीश (अनुच्छेद-128)-
- भारत के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की सहमति से उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश होने की योग्यता रखते हैं की नियुक्ति कर सकते हैं।
- अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों के वेतन एवं भत्ते, राष्ट्रपति के द्वारा निर्धारित होते हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश-
- राष्ट्रपति के द्वारा कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति हो सकती है, जब-
(i) भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो।
(ii) मुख्य न्यायाधीश कुछ समय के लिए अनुपस्थित हों अथवा मुख्य न्यायाधीश अपने कार्यो को करने में सक्षम न हों। (अनुच्छेद-126)
संवैधानिक प्रावधान- मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति-
- 121वां संविधान संशोधन – 16वीं लोकसभा के दौरान न्यायिक नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था को समाप्त कर नयी प्रणाली लागू की गयी है। इस हेतु आधे से अधिक राज्यों के विधानसभा के अनुसमर्थन की भी आवश्यकता थी। राजस्थान विधानसभा ने सर्वप्रथम इस संविधान संशोधन को मंजूरी दी। इसके तहत ’राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग‘ का गठन किया गया।
नोट – 1 जनवरी, 2015 से यह 99वाँ संविधान संशोधन के रूप में लागू हुआ। लेकिन 16 अक्टूबर, 2015 को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (2015) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया।