राजस्थान सामान्य ज्ञान : मुगल साम्राज्य

मुगल प्रशासन :

  • मुगल बादशाह राजत्व के दैवी सिद्धान्त में विश्वास करते थे।
  • दक्कन विजय के बाद अकबर के प्रान्तों की संख्या 15 थी। नये प्रान्त थे – खानदेश, अहमदनगर तथा बरार।
  • शाहजहां के शासनकाल में तीन नये सूबे/प्रान्त बनाये गये – कश्मीर, थट्टा तथा उड़ीसा।
  • औरंगजेब के शासनकाल में सूबों की संख्या 21 हो गयी। नये सूबे थे – असम, बीजापुर तथा गोलकुंडा।
  • मुगलकालीन अमीर वर्ग़ों का गठन मनसबदारी व्यवस्था के अंतर्गत होता था।
  • जागीरदारी प्रथा का आरम्भ अकबर के समय हुआ जिसके माध्यम से भू-राजस्व के वितरण से वेतन भुगतान किया जाता था।
  • भूमिकर राज्य की आय के प्रमुख स्रोत थे।
  • बर्नियर के अनुसार मुगलकाल में सम्पूर्ण भूमि पर बादशाह का अधिकार होता था।
  • अकबर मुगल भू-राजस्व व्यवस्था का संस्थापक था।
  • प्रारम्भ में अकबर ने शेरशाह की भू-राजस्व व्यवस्था को अपनाया, जिसमें खेतों की पैमाइश तथा उत्पादकता के आधार पर भू-राजस्व का निर्धारण किया जाता था।
  • 1580 में अकबर द्वारा आइन-ए-दहसाला पद्धति अपनायी गयी।
  • आइन-ए-दहसाला में वास्तविक उत्पादन, स्थानीय कीमतें तथा उत्पादकता को आधार बनाया गया था। अलग-अलग फसलों के पिछले 10 वर्ष के उत्पादन और इसी अवधि में उनकी कीमतों का औसत निकालकर औसत के आधार पर उपज का 1/3 भूराजस्व होता था। यह प्रणाली लाहौर से कड़ा (इलाहाबाद) तथा मालवा एवं गुजरात में लागू थी।
  • शाहजहां के शासनकाल में भू-राजस्व वसूली की इजारेदारी (ठेकेदारी) प्रथा की शुरुआत हुई।
  • अकबर ने जलाली सिक्का चलाया।
  • इलाही स्वर्ण निर्मित सिक्का था।
  • शाहजहां ने रुपये तथा दाम के मध्य ‘आना’ सिक्का प्रचलित किया।
  • दैनिक लेन देन में ताम्बे का दाम प्रयुक्त होता था।
  • जहांगीर ने निसार नामक सिक्का चलाया।
  • मनसबदारी व्यवस्था का उद्भव सम्भवतः चंगेज खां से हुआ जिसने अपनी सेना का दशमलव पद्धति के आधार पर गठित किया।
  • मुगल काल में अकबर द्वारा मनसबदारी प्रथा का आरम्भ किया गया।
  • जहांगीर ने दु अस्पा, सि-अस्पा अवस्था शुरू की।
  • शाहजहां के शासनकाल में भी मनसबदारी व्यवस्था में कुछ परिवर्तन किये गये जिसके तहत जात की संख्या में बिना वृद्धि किये सवारों की संख्या में वृद्धि की गयी थी।
  • औरंगजेब के शासनकाल में सर्वाधिक हिन्दू मनसबदार थे।
  • ढाका मलमल के लिए तथा कश्मीर एवं लाहौर शाल तथा गलीचा उद्योग के लिए प्रसिद्ध था।

मुगलकालीन कला एवं संस्कृति :

  • अपनी बहुमुखी सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण मुगल काल को द्वितीय स्वर्ण युग की संज्ञा दी गयी है। गुप्तयुग को प्रथम स्वर्ण युग कहा गया था।
  • भवन साज-सज्जा के संदर्भ में संगमरमर के पत्थर पर जवाहरात से की गयी जड़ावट (पित्राडुरा) को विशेष महत्व दिया गया।
  • प्रतिकूल राजनीतिक परिस्थितियों के कारण हुमायूं को कोई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य आरम्भ करने का अवसर नहीं मिला। फिर भी दिल्ली में दीनपनाह नगर का निर्माण करवाया गया।
  • शेरशाह के शासनकाल में दीनपनाह को तोड़वाकर पुराना किला का निर्माण किया गया। इसी किले के भीतर किला-ए-कुहना मस्जिद स्थित है।
  • सहसाराम स्थित शेरशाह का मकबरा हिन्दू-मुस्लिम वास्तुकला का विशिष्ट उदाहरण है।
  • हुमायूं के मकबरे का निर्माण अकबर के शासनकाल में हाजीबेगम के निरीक्षण में हुआ। दोहरी गुम्बद वाला यह भारत में पहला मकबरा है।
  • आगरा के किले (अकबर) का निर्माण 1565 में आरम्भ हुआ तथा 1573 में तैयार हुआ।
  • लाहौर तथा इलाहाबाद में अकबर द्वारा किले का निर्माण किया गया।
  • 1572 में अकबर ने अपनी नयी राजधानी का नाम गुजरात विजय की स्मृति में फतेहपुर सीकरी रखा। इस नगर में जोधाबाई का महल, मरियम का महल, बीरबल का महल, पंचमहल, खास महल, जामा मस्जिद, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्मी का मकबरा, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास आदि स्थित है।
  • आगरा से 6 किमी. पश्चिम में सिकन्दरा में अकबर का मकबरा है जिसे जहांगीर ने 1613 में पूरा किया।
  • जहांगीर ने कश्मीर में शालीमार बाग की स्थापना की।
  • उसके शासनकाल में लाल बलुआ पत्थर के स्थान पर संगमरमर का प्रयोग होने लगा।
  • लाहौर के निकट शाहदरा में जहांगीर का मकबरा है।
  • एत्माद्उद्दौला का मकबरा आगरा में नूरजहां के द्वारा बनवाया गया। यह पूर्णतः संगमरमर से निर्मित प्रथम मकबरा है।
  • शाहजहां ने आगरा के लाल किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल, अंगूरी बाग तथा मोती मस्जिद का निर्माण करवाया।
  • 1639 में शाहजहां ने अपनी नवीन राजधानी शाहजहांनाबाद की दिल्ली में नींव रखी जो 1648 में बनकर पूरा हुआ।
  • इस नगर के भीतर लाल किले का निर्माण किया गया। मुगलों द्वारा निर्मित यह अंतिम किला था। इसमें लाल बलुआ पत्थर तथा संगमरमर दोनों का प्रयोग हुआ हें इस किले के भीतर दीवान-ए-आम, मुमताज महल, रंग महल आदि है। दीवान-ए-खास  में एक लाख तोले स्वर्ण तथा रत्नों से निर्मित तख्त-ए-ताउस मयूर सिंहासन प्रतिस्थापित किया गया था।
  • दिल्ली के जामा मस्जिद का निर्माण भी शाहजहां ने करवाया था।
  • आगरा स्थित शाहजहां की पत्नी अर्जुमंदबानो बेगम का मकबरा ताजमहल सर्वोत्कृष्ट है।
  • औरंगजेब के शासनकाल में दिल्ली के लालकिला में मोती मस्जिद और लाहौर में बादशाही मस्जिद का निर्माण किया गया।
  • औरंगाबाद स्थित औरंगजेब की पत्नी रबिया दुर्रानी का मकबरा दक्षिण का ताजमहल कहलाता है।
  • बाबर ने अपनी पुस्तक में बेहजाद तथा शाह मुजफफ्र नामक चित्रकारों की चर्चा की है।
  • वस्तुतः मुगल चित्रकला शैली की नींव हुमायूं ने रखी। उसने अफगानिस्तान तथा फारस में अपने प्रवास के दौरान मीर सैयद अली तथा अब्दुल समद नामक दो इरानी चित्रकारां की सेवाएं ली।
  • मुगलकालीन चित्र संग्रह ‘दास्तान-ए-अमीर हम्जा’ या हम्जानामा में 1200 चित्र हैं।
  • अकबरकालीन चित्रकारों में दसवंत, बसावन, लाल, मुकुन्द आदि प्रमुख हैं।
  • जहांगीर ने हेरात के आकारीजा की देखरेख में आगरा में चित्रणशाला की स्थापना की।
  • उसके दरबार में फारुख बेग, दौलत, मनोहर दास, बिशनदास, मंसूर, अबुल हसन आदि प्रसिद्ध चित्रकार थे।
  • जहांगीर ने उस्तार मंसूर को नादिर-उल-अत्र तथा अबुल हसन को नादिर-उल-जमा की उपाधियों से सम्मानित किया।
  • मनोहर तथा बिशनदास छवि चित्र बनाने में श्रेष्ठ थे।
  • मंसूर दुर्लभ पक्षियों के चित्र बनाने में निपुण था।
  • अकबर के शासनकाल में तानसेन तथा बाज बहादुर को संरक्षण दिया गया।
  • शाहजहां ने लाल खां को ‘गुण समंदर’ की उपाधि प्रदान की।
  • औरंगजेब ने संगीत पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

 

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