भरतपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य –
- भरतपुर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य देशी-विदेशी पक्षियों के लिए शरणस्थली है।
- यह स्थल पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है।
(b) डीग –
- भरतपुर में जलमहलों की नगरी के रूप में प्राकृतिक बगीचों का दुर्ग “डीग’ स्थित है।
- डीग के प्रमुख स्थलों में पूरण महल, सूरजभवन व गोपाल भवन प्रमुख हैं।
(c) जवाहर बुर्ज –
- महाराजा जवाहर सिंह द्वारा देहली के ऊपर विजय के उपलक्ष में 1764 ई. मंे इसका निर्माण करवाया गया था।
(d) रूपवास –
- यह भरतपुर में स्थित एक कस्बा है, जिसके निकट ऐतिहासिक युद्ध स्थान “खानवा का मैदान’ है।
- यहाँ पर गुप्तकालीन चक्रधर द्विभुजी विष्णु तथा सर्पफणां बलराम रेवती की विशाल प्रतिमाएँ हैं।
- बीकानेर–
- इस नगर की स्थापना राठौड़ वंश के राव बीकाजी ने 1488 ई. में की थी।
- बीकानेर नगर परकोटे से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए 5 द्वार हैं और उनमें कोट गेट सबसे विशाल है।
बीकानेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) बीकानेर दुर्ग एवं महल –
- बीकानेर किले का निर्माण राजा रायसिंह द्वारा करवाया गया है।
- इस किले का मुख्य प्रवेश द्वार सूरजपोल है।
- इसमें अनेक महल स्थित हैं, जिसमें चंद्रमहल व कर्णमहल प्रमुख हैं।
(b) लाल गढ़ –
- लाल पत्थरों से निर्मित यह महल खुदाई कला का उत्कृष्ट नमूना है।
(c) गजनेर महल –
- यह एक मरु उद्यान के रूप में मरुस्थल में हरियाली का बोध करवाता है।
- यह स्थान झील के किनारे बना हुआ है।
(d) करणी माता का मंदिर –
- बीकानेर के देशनाेक गाँव में करणी माता का मंदिर स्थित है, जिसमें हज़ारों पवित्र चूहे हैं।
- बीकानेर के राजवंश करणी माता के प्रमुख भक्त हैं।
(e) कोलायत –
- मान्यतानुसार यह स्थल कपिल मुनि की तपोस्थली था।
- बूँदी–
- बूँदी राज्य की स्थापना 1342 ई. में हाड़ा वंश के राव देवा ने की थी।
- यहाँ स्थित नवलक्खा तालाब इसे आकर्षक बनाता है।
बूँदी के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) बूँदी का गढ़ –
- इसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में हुई थी।
- कर्नल जेम्स टॉड ने इसे समस्त रजवाड़ाें के गढ़ों में सर्वोत्कृष्ट माना।
- इस गढ़ में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण छत्र महल हैं, जिसे राजा छत्रसाल ने 1531 ई. में बनवाया था।
(b)बूँदी के अन्य दर्शनीय पर्यटन स्थल–
- चौरासी खंभों की छतरी, सूरज छतरी, फूल सागर, नवल सागर, जैत सागर आदि।
- जयपुर–
- राजस्थान की राजधानी जयपुर (गुलाबी नगर) की नींव 25 नवम्बर, 1727 ई. को तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा रखी गई थी।
- इसका नगर नियोजन विद्याधर भट्टाचार्य ने किया था।
- नगर की बनावट आयताकार है।
- पुराने शहर के चारों ओर 8 प्रवेश द्वार हैं, जो हैं – सांगानेरी गेट, घाट गेट व न्यू गेट, उत्तर में ध्रुव गेट, दक्षिण में अजमेरी गेट, पूर्व में सूरज पोल गेट व पश्चिम में चाँदपोल गेट।