राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों को 5 प्रमुख भाग
- इसमें जयपुर, अलवर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर आदि जिले आते हैं।
2.इसमें पश्चिमी राजस्थान का विश्वविख्यात मरु प्रदेश आता है।
- इसमेंमेवाड़ का क्षेत्रआता है, जिसमें उदयपुर, चित्तौड़, आबू व रणकपुर शामिल हैं।
4.बूँदी और झालावाड़ का नवीन पर्यटन स्थल क्षेत्र भी सरकार द्वारा इस सूची में शामिल किया गया है।
- राज्य का शेखावाटी प्रदेश– इसमें सीकर व झुंझुनूं के कुछ क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें कई कलात्मक हवेलियाँ स्थित हैं।
राज्य के जिलेवार प्रमुख पर्यटक स्थल
- अलवर–
- अलवर नगर की स्थापना 1771 ई. में महाराजा प्रतापसिंह द्वारा की गई थी।
- अलवर एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है, जो अपने महलों, झरनों और अजायबघरों के लिए प्रसिद्ध है।
अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान –
- यह अलवर-जयपुर मार्ग पर स्थित है।
- यहाँ पर शेर, चीते, सांभर, जंगली सूअर, हिरण, नील गाय आदि वन्य जीव पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
(b) सिलीसेढ़ –
- अलवर में स्थित यह झील 10 वर्ग किमी. क्षेत्र में स्थित है।
- यह झील मछली पकड़ने और नौका विहार की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
(c) राजमहल –
- राजमहल के दरबार में अलवर का किला मौजूद है।
- इस किले में सलीम सागर, निकुम्भ महल, सूरजकुण्ड और सूरजमहल स्थापत्य कला की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं।
- यहाँ पर “मूसी महारानी की छतरी’ स्थित है, जिसका निर्माण महाराजा विनय सिंह ने सन् 1815 ई. में करवाया था। लाल पत्थर से निर्मित यह छतरी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
(d) अजायबघर –
- यह विनय विलास महल में स्थित है।
- यहाँ पर दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ, छायाचित्र, अस्त्र-शस्त्र, अरबी-फारसी के हस्तलिखित ग्रंथों (शेखसादी की गुलिस्तां तथा बाबरनामा) तथा 80 फीट की सचित्र भगवद् गीता आदि का संग्रह है।
(e) पाण्डुपोल –
- सरिस्का के दक्षिण-पूर्व में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक महत्त्व का स्थान।
- अलवर के अन्य महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल – पहाड़ी पर बना किला, भर्तृहरि, नीलकंठ, त्रिपोलिया, जयसमंद झील आदि।
- अजमेर–
- अजमेर जिले के चारों ओर स्थित अरावली पर्वत क्रम की पहाड़ियाँ “अजयमेरु’ के नाम से जानी जाती है, इसलिए अजमेर का प्राचीन नाम “अजयमेरु’ भी है।
- अजमेर की स्थापना अजयपाल चाैहान द्वारा 7वीं शताब्दी में की गई थी।
- इस नगर की सबसे प्रमुख विशेषता हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मावलम्बियों हेतु इसकी उपयोगिता है।
अजमेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) ख्वाजा साहिब की दरगाह –
- पर्यटन की दृष्टि से अजमेर का सबसे प्रमुख स्थल ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है।
- यहाँ प्रतिवर्ष उर्स के अवसर पर विश्वस्तरीय मेला लगता है, जिसमें लाखों व्यक्ति जियारत के लिए आते हैं।
(b) मैगजीन –
- अजमेर में स्थित मैगजीन का महल, वर्तमान में संग्रहालय के रूप में स्थित है।
(c) आना सागर –
- आनासागर का निर्माण 1130 से 1150 ई. के बीच पृथ्वीराज चौहान के पिता आनाजी ने करवाया था।
(d) तारागढ़ (गढबीठली) –
- तारागढ़ दुर्ग का निर्माण अजय देव चौहान द्वारा करवाया गया था, जो कि एक पहाड़ी पर स्थित है।
(e) सोनीजी की नसियाँ –
- मूलचंद सोनी द्वारा 1865 ई. में निर्मित इस मंदिर को सिद्धकूट चैत्यालय (वर्तमान में सोनीजी की नसियाँ) के नाम से जाना जाता है।
- लाल पत्थर से बना हुआ यह मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर “ऋषभदेव’ का मंदिर है।
- यह मंदिर गोल आकृति का है, जिसमें सृष्टि की रचना का चित्र बना हुआ है, जिसके मध्य भाग में सुमेरू पर्वत तथा दूसरे भाग में महावीर के जन्म के दृश्यों को दर्शाया गया है।
(f) ढाई दिन का झौंपड़ा –
- इसका निर्माण 1153 ई. में सम्राट बीसलदेव द्वारा संस्कृत महाविद्यालय के रूप में करवाया गया था।
- 1192 ई. में मोहम्मद गौरी ने इसको ध्वस्त कर इसे ढाई दिन में मस्जि़द का रूप दिया था, इसी कारण इसे ढाई दिन के झौंपड़े के नाम से जाना जाता है।
- यह हिंदू वास्तुकला का प्राचीनतम एवं सर्वोत्कृष्ठ नमूना है।
(g) पुष्कर –
- यह हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ पर ब्रह्मा जी एवं सावित्री का मंदिर स्थित है, जहाँ कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है, जिसमें पर्व स्नान किया जाता है।
- रमा बैकुंठ मंदिर, बाईजी का मंदिर, अटभटेश्वर जी का मंदिर आदि मंदिर दर्शनीय हैं।
- भरतपुर–
- भरतपुर नगर की स्थापना 1773 ई. में महाराजा सूरजमल ने की थी।
- यह राजस्थान के पूर्व में स्थित है, अत: इसे “राजस्थान का पूर्वी द्वार’ भी कहा जाता है।
- भरतपुर के किले को “लोहागढ़’ कहा जाता है।
- भरतपुर, केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण्य के कारण विश्वप्रसिद्ध है।