- 14 फरवरी, 1930 ई. को साबरमती में कांग्रेस की एक बैठक में गांधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का निश्चय किया।
- दांडी मार्च (1930 ई.) : 12 मार्च, 1930 को गांधी जी अपने 78 सहयोगियों के साथ साबरमती आश्रम से 200 मील दूर समुद्र तट पर बसे दांडी गांव में 6 अप्रेल को पहुंचकर नमक बनाया और नमक कानून का उल्लंघन किया।
- उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त में खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में खुदई खिदमतगार आन्दोलन (लाल कुर्ती आन्दोलन) चला।
- सपू एवं जयकर के प्रयासों से गांधी जी एवं इर्विन के मध्य 5 मार्च, 1931 को एक समझौता हुआ, जिसे गांधी जी को यरवदा जेल से रिहा कर दिया गया।
- कांग्रेस द्वारा सरकार को आश्वासनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापस, कांग्रेस द्वितीय गोलमेज में भाग लेगी।
- आन्दोलन वापस ले लिया गया परन्तु समझौते की असफलता के बाद आन्दोलन पुनः शुरू हो गया और 1934 में अंतिम रूप से इसे समाप्त कर दिया गया।
प्रथम गोलमेज सम्मेलन :
- 12 सितम्बर, 1930 को लंदन में सम्राट जार्ज पंचम द्वारा इस सम्मेलन का उद्घाटन, अध्यक्षता प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने की।
- कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया।
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन :
- 7 सितम्बर, 1931 को प्रारम्भ, कांग्रेस की ओर से गांधी जी ने भाग लिया।
- एनी बेसेंट और मदन मोहन मालवीय ने व्यक्तिगत रूप से इस सम्मेलन में भाग लिया।
- अल्पसंख्यकों के प्रश्न पर तथा साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति पर सहमति के अभाव में यह सम्मेलन असफल रहा।
- फ्रांक मोरीस ने गांधी जी के बारे में कहा, ’अर्द्धनंगे फकीर के ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वार्ता हेतु सेण्ट जेम्स पैलेस की सीढ़ियां चढ़ने का दृश्य अपने आप में अनोखा एवं दिव्य प्रभाव उत्पन्न करने वाला था।‘
तृतीय गोलमेज सम्मेलन :
- 17 नवम्बर, 1932 से प्रारम्भ।
- कांग्रेस के किसी प्रतिनिधि ने भाग नहीं लिया।
श्रम संघ आन्दोलन
- मजदूरों के हित एवं सुविधाओं के लिए प्रयास 1881 (रिपन) में ही प्रारम्भ हो गए थे, जब प्रथम कारखाना कानून बनाया गया तथा दूसरा कारखाना कानून 1891 में पारित हुआ। प्रथम नियमित टेड यूनियन 1918 ई. में मद्रास में टेक्सटाइल लेबर यूनियन के नाम से वी. पी. वाडिया द्वारा शुरू किया गया। 1920 ई. में अखिल भारतीय टेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई। इसका पहला सम्मेलन 31 अक्टूबर, 1920 को बम्बई में हुआ जिसकी अध्यक्षता लाला लाजपतराय ने की।
- एन. एम. जोशी ने एक नए संगठन ऑल इंडिया टेड यूनियन फेडरेशन का गठन किया।
पूना समझौता
- 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने साम्प्रदायिक पुरस्कार की घोषणा की। इस घोषणा के तहत प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विधान मण्डल में कुछ सीटे आरक्षित की गयी थी।
- इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात थी कि दलित वर्ग़ों को अल्पसंख्यक करार देकर उन्हें पृथक् निर्वाचन द्वारा प्रतिनिधि चुनने एवं साधारण निर्वाचन में मत देने का अधिकार मिला।
- इस निर्णय द्वारा अंग्रेजी सरकार भारतीय समाज में फूट डालना चाहती थी इस कारण 20 सितम्बर, 1932 में गांधी जी ने यरवदा जेल में आमरण अनशन किया।
- अंततोगत्वा मदनमोहन मालवीय तथा एम.सी. रजा के प्रयासों से गांधी जी एवं भीमराव अम्बेडकर के बीच समझौता हो गया। इसे ’पूना समझौता‘ के नाम से जाना जाता है।
कांग्रेस समाजवादी पार्टी :
- 1933 ई. में नासिक जेल में कांग्रेस के अन्दर एक समाजवादी दबाव समूह बनाने का विचार आया। विचारकों में जय प्रकाश नारायण, अशोक मेहता, मीनू मसानी तथा अच्युत पटवर्द्धन आदि शामिल थे।
- मई, 1934 में ’कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी‘ की स्थापना हुई। आचार्य नरेन्द्र देव इसके प्रथम अधयक्ष थे तथा पहला सम्मेलन पटना में हुआ।
1937 के चुनाव :
- 1937 ई. के असेम्बली चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत प्राप्त कर कई प्रान्तों में सरकार बनाई।
- भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में बिना उद्देश्य बताए शामिल करने के विरोध में 1939 में कांग्रेसी मंत्रिमण्डल ने सामूहिक त्याग पत्र दे दिया।
- इससे मुस्लिम लीग को बहुत प्रसन्नता हुई और उसने 22 दिसम्बर को मुक्ति दिवस मनाया तथा 1940 के लाहौर अधिवेशन में मुसलमानों के लिए पृथक् राष्ट्र पाकिस्तान की मांग की।
- 1930 में सर मुहम्मद इकबाल ने सर्वप्रथम द्वि राष्ट्र सिद्धान्त की बात कही थी। परन्तु पाकिस्तान शब्द का सृजन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के स्नातक रहमत अली ने किया था।
- ’सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा‘ नामक गीत की रचना मुहम्मद इकबाल ने की थी।
अगस्त प्रस्ताव (1940 ई.) :
- संवैधानिक गतिरोध को दूर करने के लिए औपनिवेशक स्वराज्य संदर्भ में 8 अगस्त, 1940 को एक प्रस्ताव की घोषणा लार्ड लिनलिथगो ने भारतीयों के लिए की। जिसे अगस्त प्रस्ताव कहते हैं।
व्यक्तिगत सत्याग्रह :
- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान राष्ट्रीय आन्दोलन की स्थिरता को तोड़ने के लिए गांधी जी ने 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आरम्भ किया।
- 17 अक्टूबर, 1940 को पवनार में बिनोवा भावे ने सत्याग्रह आरम्भ किया। वे प्रथम सत्याग्रही थे।
क्रिप्स मिशन (1942 ई.) :
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीयों का सक्रिय सहयोग पाने के उद्देश्य से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने ब्रिटिश संसद के सदस्य स्टेफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक मिशन बनाया।
- 23 मार्च, 1942 को क्रिप्स मिशन दिल्ली पहुंचा और 30 मार्च को अपनी योजना प्रस्तुत की।
- एम. एन. राय एवं ए. घोष ने इस योजना पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं व्यक्त की। गांधी जी ने इसे ’पोस्ट डेटेड चेक’ की संज्ञा दी।
भारत छोड़ो आन्दोलन
- कांग्रेस ने 8 अगस्त, 1942 को ’भारत छोड़ो‘ प्रस्ताव पास किया। इससे पहले गांधी जी के इस अहिंसक प्रस्ताव को जुलाई, 1942 में वर्धा में कांग्रेस कार्यकारिणी ने स्वीकृति प्रदान कर दी थी।
- गांधी जी ने बम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में लोगों को करो या मरो का नारा दिया।
- 9 अगस्त को सरकार ने कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजों ने इस कार्य को ’ऑपरेशन जीरो आवर‘ की संज्ञा दी।
- मुस्लिम लीग इस आन्दोलन से अलग रही। जिन्ना ने 23 मार्च, 1943 को ’पाकिस्तान दिवस‘ मानने का आह्वान किया।
- पूर्ण समर्थन के अभाव में तथा सरकारी दमन के कारण यह आन्दोलन असफल हो गया।
राजगोपालाचारी फार्मूला (1944 ई.) :
- सी. राजगोपालाचारी ने 1944 में एक प्रस्ताव तैयार किया। यह प्रस्ताव सी. आर. फार्मूला के नाम से विख्यात है।
- सी. आर. फार्मूला की मुख्य बातें : मुस्लिम लीग भारत की स्वतंत्रता की मांग का समर्थन करेगी तथा अस्थायी सरकार के गठन में कांग्रेस को सहयोग देगी।
- देश के बंटवारे की स्थिति में आवश्यक विषयों पर आपसी समझौता।
- जिन्ना ने इस प्रस्ताव को अमान्य कर दिया और कहा कि इसमें गाड़ी को घोड़े के आगे लगाया गया है।
वेवेल योजना (1945 ई.) :
- गवर्नर जनरल लार्ड वेवेल ने ब्रिटिश सरकार से परामर्श के पश्चात्, भारतीय नेताओं के सामने भारतीय समस्या का नवीन हल प्रस्तुत किया। इसे ’वेवल योजना‘ के नाम से जाना जाता है। 1945 ई. में उन्होंने अपनी योजना प्रस्तुत की।
- मुख्य प्रावधानः गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में भारतीय सदस्यों की नियुक्ति, विदेशी विभाग भारतीयों के हाथों में, ब्रिटिश हाई कमिश्नर की नियुक्ति, युद्धोपरान्त भारतीयों द्वारा संविधान का निर्माण, गवर्नर जनरल के निषेधाधिकार पर नियंत्रण आदि।
शिमला समझौता (1945 ई.) :
- वेवेल योजना पर विचार करने के लिए जून, 1945 में शिमला में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कांग्रेस, मुस्लिम लीग, केन्द्रीय विधानसभा यूरोपीयन दल आदि ने भाग लिया। परन्तु जिन्ना ने मुस्लिम लोग को ही मुसलमानों की एक मात्र संस्था मानते हुए कोई समझौता करने से इंकार कर दिया। फलतः सम्मेलन असफल हो गया।
आजाद हिन्द फौज
- जनवरी, 1941 को सुभाषचन्द्र बोस भारत से निकलकर अफगानिस्तान और इटली होते हुए जर्मनी पहुंचे। इसके बाद जापान गये।
- मार्च, 1942 में टोकियों में रह रहे रास बिहारी बोस ने ’इंडियन नेशनल आर्मी’ के गठन पर विचार के लिए सम्मेलन बुलाया। कैप्टन मोहन सिंह, रास बिहारी बोस एवं निरंजन मिल के सहयोग से ’इंडियन नेशनल आर्मी‘ का गठन किया गया।
- 4 जुलाई, 1943 को सुभाष चन्द्र बोस ने इंडियन लीग की कमान संभाली। सिंगापुर में उन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया।
- 21 अक्टूबर को सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज और आजाद हिंद सरकार की स्थापना की।
- दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की पराजय से आजाद हिन्द फौज को भी पराजित होना पड़ा और 1945 में अंग्रेजों ने इसके अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
- कर्नल सहगल, कर्नल ढिल्लो एवं मेजर शाहनवाज खां पर राजद्रोह का मुकदमा चला परन्तु लार्ड वेवेल ने अपने विशेषाधिकारों का प्रयाग करके इन्हें मृत्यु दंड से मुक्त कर दिया।
- इस मुकदमें के पक्ष में तेज बहादुर, सपू, जवाहर लाल नेहरू, भुलाभाई देसाई तथा के. एन. काटजू ने दलीलें दी।