राजस्थान सामान्य ज्ञान : खनिज संसाधन

खनिज संसाधन

  • राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहते हैं।
  • सम्पूर्ण देश का 22 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में होता है।
  • भण्डार- दूसरा स्थान (पहला झारखण्ड, दूसरा राजस्थान)।
  • उत्पादन (मात्रा) – पांचवा स्थान (पहला झारखण्ड)।
  • उत्पादन (मूल्य) – पांचवा स्थान (प्रथम झारखण्ड)।
  • लोह खनिज – चतुर्थ स्थान। अलोह खनिज – प्रथम स्थान।
  • यहां 79 प्रकार के खनिज मिलते हैं- 58 प्रधान तथा 21 अप्रधान।
  • बिक्री मूल्य की दृष्टि से राजस्थान का प्रधान खनिज संगमरमर।
  • राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन इमारती पत्थर का।
  • देश में सर्वाधिक खानें राजस्थान में ही हैं।
  • खनन क्षेत्र में होने वाली आय की दृष्टि से राजस्थान का देश में पाँचवां स्थान है।
  • 57 प्रकार के खनिजों का विदोहन  किया जा रहा है
  • खनिजों की दृष्टि से राजस्थान में अरावली प्रदेश और पठारी प्रदेश सम्पन्न है।

लोहा :

 जयपुर- मोरीजा-बानोल में, दौसा – नीमला-राइसेला में, उदयपुर- थूर-हुण्डेर व नाथरा की पाल में हेमेटाइट पाया जाता है।

– राजस्थान में सर्वाधिक लोहा जयपुर जिले से प्राप्त होता है।

– राजस्थान में हेमेटाइट प्रकार का लोहा पाया जाता है।

तिरंगा क्षेत्र (भीलवाड़ा) एवं डाबला-सिंघाना (झुंझुनुं) लौह अयस्क के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

सोना :

– आनन्दपुर भुकिया (बांसवाड़ा) में भण्डार है।

– नवीन खोजे गये सोने के भण्डार :(i) सरपंच की ढ़ाणी, बासड़ी (दौसा) (ii) हाथीभाटा, श्रीनगर में (iii) रायपुर खेंडा, उदयपुर में (iv) तिमारण माता स्थान पर, बांसवाड़ा में।

– जगपुरा (बांसवाड़ा) में सोना दोहन का कार्य हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

सीसा :

– सीसा व जस्ता मिश्रित रूप में मिलता है, इस अयस्क को गेलेना कहते हैं।

कायड़ खान (अजमेर), सिंदेसर जुर्द खान (राजसमन्द), गुढ़ा किशोरीदास (अलवर)

(i) जावर माइन्स (उदयपुर)।

(ii) राजपुरा दरीबा (राजसमंद)

(iii) रामपुरा आंगूचा (भीलवाड़ा)

(iv) चौथ का बरवाड़ा (सवाई माधोपुर)

– चंदेरिया चित्तौड़गढ़ में एशिया का सबसे बड़ा प्लाण्ट, ब्रिटेन के सहयोग से स्थापित।

– जस्ता निकालने के बाद बचे अयस्क को अब चंदेरिया (चित्तौड़) में सीसा प्रद्रावक संयंत्र में साफ किया जाता है।

– उदयपुर के देबारी स्थान पर भारत सरकार का हिन्दूस्तान जिंक लिमिटेड कारखाना स्थापित है।

ताँबा :

– राजस्थान में सर्वाधिक ताँबा खेतड़ी (झुन्झुनूं) से निकाला जाता है (पहला स्थान)। तीन खानें-खेतड़ी कॉपर, कोलिहान ये भूमिगत है तथा चाँदमारी खुली खान है।

– 1976 में खेतड़ी में कॉपर स्मेल्टिंग प्लांट लगाया गया था। यह एशिया का सबसे बड़ा कॉपर स्मेल्टिंग प्लांट है जो अमेरिका के सहयोग से स्थापित। उत्खनन का काम NAP कम्पनी कर रही है

– दूसरा स्थान अलवर का है यहां तीन खाने हैं- खोदरीबा, गुढ़ा किशोरीदास तथा भगौनी। रेलमगरा (राजसमन्द), अंजनी (उदयपुर)

– नया खोजा गया स्थान अजारी (बसन्तगढ़), सिरोही में।

– ताँबा उत्पादन में राजस्थान का देश में दूसरा स्थान (प्रथम झारखण्ड) है।

– ताँबे को गलाने पर उप-उत्पाद के रूप में सल्फ्यूरिक अम्ल प्राप्त होता है जो सुपर फॉस्फेट के निर्माण में प्रयुक्त होता है।

मैंगनीज :

– इसका प्रमुख उपयोग लौह-इस्पात उद्योग में इस्पात को कठोर बनाने में किया जाता है।

– बांसवाड़ा में लीलवाना तथा तलवाड़ा में कासरा, कालाखूॅटा इसकी खानें हैं।

टंगस्टन :

– सर्वाधिक डेगाना (रेवत की पहाड़ी, नागौर) में। इसके अलावा नानाकराराबाव (पाली)। वाल्दा (सिरोही) में वर्तमान में सबसे अधिक निकल रहा है। विधुत बल्बो में प्रयुक्त।

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