राजस्थान प्रथम :
– वोलस्टोनाइट, जिप्सम, जॉस्पर, जिंक, मार्बल, फ्लोर्स्पार, एस्बेस्टस, सोपस्टोन, सिलिका सैण्ड, रॉक फॉस्फेट, वॉलक्ले, कैल्साइट, सैण्ड स्टोन, फ्लोराइड, चाँदी, टंगस्टन तथा गार्नेट इत्यादि के उत्पादन में।
अधात्विक :
अभ्रक :
– भीलवाड़ा (दांतड़ा-भूणास) की खान से। अभ्रक की इऔटे बनाई जाती है। बनेड़ी फूलिया।
– भारत का 25 प्रतिशत अभ्रक उत्पादित कर राजस्थान देश में झारखण्ड व आन्ध्रप्रदेश के पश्चात् तीसरे स्थान पर है।
– सफेद अभ्रक को रूबी अभ्रक और हल्का गुलाबीपन लिए अभ्रक को बायोटाईट अभ्रक कहते हैं। ताप विधुत व ध्वनि रोधी।
– यह अप्रज्वलित खनिज है इसका उपयोग इलेक्ट्रोनिक उद्योग, ताप भट्टियों, सजावट सामग्री, सुरक्षा उद्योगों में होता है।
जिप्सम :
– इसे हरसौंठ भी कहते है। यह अपने रवेदार रूप में सैलेनाईट कहलाता है।
– जिप्सम सर्वाधिक नागौर में। यह तीन स्थानों – भदवासी, गोठ मांगलोद और इंग्यार कसनाऊ से प्राप्त होता है। द्वितीय स्थान पर बीकानेर। बीकानेर में बिसरासर व जामसर में मिलता है। परतदार खनिज।
– जामसर बीकानेर की खान सबसे बड़ी जिप्सम उत्पादक खान है।
एस्बेस्टस :
– उदयपुर में ऋषभदेव (खेरवाड़ा) में सर्वाधिक पाया जाता है।
फ्लोर्सपार :
– मांडो की पाल (डूंगरपुर) में। बैनिफिंसिएशन संयंत्र भी यहीं पर है। यह सीमेन्ट व Paint (Colour) में काम आता है।
कैल्साइट :
– सीकर में रायपुरा जागीर गांव के पास निकलता है। कागज उद्योग में उपयोगी।
रॉक फॉस्फेट :
– यह झामरकोटड़ा (उदयपुर) में। यहां सुपर फॉस्फेट खाद बनाया जाता है इसके अलावा बिरमानिया (जैसलमेर) तथा बीकानेर में पाया जाता है। माटोन (उदयपुर), करपूरा(सीकर) सालाेपत
– देश के कुल उत्पादन का 90 प्रतिशत रॉक फॉस्फेट राजस्थान में उत्पादित होता है। लवणीय भूमि के उपचार में प्रयुक्त।
चूना पत्थर :
– चित्तौड़गढ़ में, यहां सर्वाधिक सीमेन्ट कारखानें हैं। यहां सर्वाधिक कार्यशील जनसंख्या है।
घीया पत्थर :
– देवपुरा, उदयपुर में। घीया पत्थर उद्योग – गलियाकोट, रमकड़ा (डूंगरपुर) में।
संगमरमर :
– सर्वश्रेष्ठ संगमरमर – मकराना (काली पहाड़ी) से। सर्वाधिक राजसमंद में निकलता है तथा प्रोसेसिंग यूनिट राजसमंद में है।
– संगमरमर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
(i) काला – भैंसलाना (कोटपुतली), जयपुर। पिस्ता मार्बल – आँधी (जयपुर) व झीरी(अलवर)
(ii) हरा – सबसे पहले डूंगरपुर में तथा वर्तमान में सर्वाधिक उदयपुर में।
(iii) गुलाबी – भरतपुर में।
(iv) पीला – जैसलमेर में।
(v) बैंगनी – त्रिपुर सुन्दरी (बांसवाड़ा)
(vi) सतरंगी – खांदरा की पाल (पाली) में। मार्बल मंडी – किशनगढ़।
– विश्व प्रसिद्ध ताजमहल मकराना (नागौर) के संगमरमर से बना है।
ग्रेनाइट :
– सर्वाधिक जालौर जिले में। 33 जिलों में से 23 में पाया जाता है। हरा ग्रेनाइट उदयपुर में तथा गुलाबी ग्रेनाइट जालौर में पाया जाता है। जालौर, सिरोही, बाड़मेर, अजमेर, जैसलमेर।
स्लेट पत्थर :
– अलवर (बहरोड़ के पास रासलाना-गीगलाना गांव) में।
Sand स्टोन :
– बंशी पहाड़पुर (भरतपुर) में। लाल पत्थर-धौलपुर (Red Diamond) में।
सोपस्टोन – देवपुरा – सालोज क्षेत्र (उदयपुर) भीलवाड़ा डूंगरपुर, राजसमंद
मिट्टियाँ :
- मुलतानी मिट्टी : पहला स्थान बीकानेर (कोलायत), इसी कारण नमकीन प्रसिद्ध। जमाव बाड़मेर में।
- गैरू मिट्टी : चित्तौड़गढ़ में सर्वाधिक। जयपुर को 1876 में पहली बार इस मिट्टी से रंगा गया था। इस मिट्टी को कानोता (जयपुर) से लाया गया।
- वॉल क्ले : बीकानेर की प्रसिद्ध।
- फायर क्ले : यह बीकानेर तथा धौलपुर में पाई जाती है।
- चाइना क्ले : यह बीकानेर में गुढ़ा रानेरी तथा पलाना में।
- सिलिका सैण्ड : बनास के क्षेत्र की प्रसिद्ध मिट्टी। बूँदी, सवाईमाधोपुर, जयपुर।
आण्विक खनिज :
- यूरेनियम : प्रथम स्थान ऊमरा व शिकारबाड़ी (उदयपुर) में तथा दूसरा स्थान रॉयल (रोहिल), सीकर।
- थोरियम : भद्रावन, (पाली) तथा भीलवाड़ा में।
- लीथियम : अजमेर व राजगढ़।
- बेरिलियम : बड़ी शिकार बाड़ी, उदयपुर तथा गुर्जरवाड़ा, जयपुर में। बादरसिदंरी (अजमेर) तोरड़ा, बूचरा, चूरला(सीकर)।
कीमती रत्न :
- हीरा : केसरपुरा, प्रतापगढ़ में।
- पन्ना : राजस्थान में सर्वप्रथम इसका पता 1943 में राजसमंद जिले के कालागुमान क्षेत्र में लगा।
- कंज का खेड़ा (राजसमन्द) बुबानी (अजमेर)
- जयपुर में पन्ने की अन्तर्राष्ट्रीय मंड़ी है।
- – यह मणमल के समान हरे रंग का रत्न है जिसे हरी अग्नि भी कहा जाता है।
- गार्नेट : राजमहल (टोंक) में।
- एक्वामेरिन : नीला (फिरोजा), टोंक में। इसे तंजेनाइट के स्थान पर काम लेते हैं।
- ईधन : लिग्नाइट : सर्वाधिक जमाव कपूरड़ी, जालीपा, गिरल (बाड़मेर) में। बीकानेर में सर्वाधिक निकलता है। बीकानेर में यह पलाना, बरसिंहसर, रानेरी गुढ़ा तथा बिठनोक में। नागौर में भदवासी, मेड़ता रोड़ तथा माता सुख स्थान पर। हीरा की ढ़ाणी, नापासर, रीरी, वानिया लिग्नाइट के लिए प्रसिद्ध।
खनिज तेल
- खनिज तेल अवसादी चट्टानों से प्राप्त होता है।
- 1955 में पहली बार भारत सरकार के द्वारा राजस्थान में खनिज तेल का अन्वेषण किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप 1966 में मणिहारी टिब्बा के पास कमली ताल में गैस के भण्डार मिले। तथा सादेवाला में तेल के भण्डार मिले।
- 1988 में मणिहारी टिब्बा व घोटारू में गैस के भण्डार मिले।
- तेल की खोज के लिए राजस्थान को चार भागों में बांटा गया है-
(i) राजस्थान शैल्फ बेसिन- जैसलमेर का क्षेत्र। इसे अब इटली की कम्पनी E.N.I. व ब्रिकबेक को दे दिया गया है।
(ii) बाड़मेर-सांचौर बेसिन- केयर्न एनर्जी लिमिटेड (ब्रिटेन)।
(iii) बीकानेर-नागौर बेसीन- फोकस एनर्जी (शाहगढ़ में गैस खोजी), फीनिक्स (यूरोपीय कम्पनी)।
(iv) विन्ध्यन बेसीन- केयर्न एनर्जी लिमिटेड व ONGC को दिया गया।
- तेल के मुख्य कुएँ : (i) रागेश्वरी (ii) मंगला (iii) कामेश्वरी (iv) ऐश्वर्या (v) विजया (vi) भाग्यम।
- जोगासरिया (नगाणा) – बाड़मेर के बायतु क्षेत्र के इस गाँव में खोदे गये कुएं में 5 फरवरी, 2004 को तेल के विशाल भण्डार मिले।
- रामगढ़ (जैसलमेर) में गैस आधारित बिजलीघर स्थापित किया गया है।
- कोसलू(बाड़मेेर) से तेल भण्डार के प्रमाण मिले है।
तेल, पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस की खोजकर्ता कम्पनियाँ
कम्पनी | देश |
केयर्न एनर्जी इण्डिया लिमिटेड | ब्रिटेन |
शैल इंटरनेशनल कम्पनी | नीदरलैण्ड (हॉलैण्ड) |
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड | भारत |
ऑयल इण्डिया | भारत |
पोलिश ऑयल एंड गैस कम्पनी | पोलैण्ड |
एस्सार ऑयल | भारत |
खनिज संसाधन के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- राजस्थान सीसा – जस्ता (100%), जास्पर, वोलेस्टोनाइट (100%), केल्साइट (98%) सेलेनाइट (100%) व गार्नेट का देश में एकमात्र उत्पादक राज्य है।
- देश की पहली खनन (माइनिंग) अकादमी :- उदयपुर में।
- केन्द्र सरकार द्वारा 2015 में 31 खनिजों को गौण खनिज (माइनर मिनरल्स) के रूप में चिन्हित किया गया है – क्वार्ट्ज, केल्साइट, गेरू, अभ्रक, संगमरमर, बेराइट्स, ग्रेनाइट, सोपस्टोन, फायरक्ले, पाइरोफाइलाइट, कोरंडम, लेटेराइट आदि।
- राजस्थान खनिज नीति-2015 :- 4 जून, 2015 को जारी।
- प्रथम ग्रेनाइट नीति :- वर्ष 1991 में घोषित।
- प्रथम मार्बल नीति :- अक्टूबर 1994 में घोषित।
- राज्य की प्रथम खनिज नीति :- 24 जून, 1978 में घोषित।
- मैंगनीज अवसादी शैलों से प्राप्त होता है।
– “हरि अग्नि’ की उपमा :- पन्ना
– “हरसौठ’ की उपमा :- जिप्सम
– गार्नेट को तामड़ा या रक्तमणि भी कहा जाता है।
– एस्बेस्टॉस को “Rock Wool’ या “Mineral Silk’ भी कहा जाता है। एस्बेस्टॉस अग्नि व विद्युत का कुचालक होता है। एम्फीबॉल राजस्थान में पाई जाने वाली एस्बेस्टॉस खनिज की किस्म है।
– राजस्थान में क्वार्ट्जाइट का उत्पादन सवाईमाधोपुर में होता है।
– नीम का थाना (सीकर) :- चीनी मिट्टी धुलाई का कारखाना।
– “Yellow Cake’ की उपमा :- यूरेनियम को।
– ग्रेफाइट :- “Black Head’ या “Mineral Carbon’ की उपमा
– हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड :- नवम्बर 1967 में स्थापना
– हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड :- जनवरी 1966 में स्थापित
– पूनम :- ऑयल इण्डिया लिमिटेड द्वारा बीकानेर – नागौर बेसिन में खोजा गया तेल क्षेत्र।
– राजस्थान में पेट्रोलियम निदेशालय की स्थापना :- 1997 में।
– रॉक फॉस्फेट :- अम्लीय भूमि को उपजाऊ बनाने में उपयोगी।
जिप्सम :- क्षारीय भूमि को उपजाऊ बनाने में उपयोगी।
– राजस्थान राज्य खान व निगम लिमिटेड (RSMML) की स्थापना :- 1974 में।
– राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (RSMDC) की स्थापना :- 27 सितम्बर, 1979
20 फरवरी, 2003 को RSMDC का RSMML में विलय।
– प्रोजेक्ट सरस्वती :- ONGC की 1000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसके तहत जैसलमेर जिले में मीठे भूमिगत जलस्रोत खोजने के लिए कुएँ खोदेगी।
– बायोफ्यूल प्राधिकरण :- सितम्बर 2005 को स्थापित।
– गोटन व खारिया खंगार :- सफेद सीमेंट के कारखाने।
– केल्साइट :- मकराना में मिलने वाले विश्व प्रसिद्ध संगमरमर की किस्म।
– मार्बल आयात नीति :- 1 अक्टूबर, 2016
– मंगला तेल क्षेत्र से 29 अगस्त, 2009 को खनिज तेल उत्पादन प्रारम्भ किया गया।
– राजस्थान में गौण खनिजों की संख्या :- 55
– राजस्थान में रीको व कोटरा (कोरिया ट्रेड इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन एजेन्सी) ने मिलकर घीलोठ (अलवर) में साउथ कोरियन इण्डस्ट्रियल जोन की स्थापना करने का निर्णय लिया है।
– भीलवाड़ा के हमीरगढ़ क्षेत्र की पहाड़ियों में लौहे के भण्डार मिले हैं।
– डी. ए. पी. उर्वरक कारखाना :- कपासन (चित्तौड़गढ़)
– खनिज नीति 2015 के अनुसार राजस्थान में 79 किस्म के खनिज पाये जाते हैं जिनमें से 57 का व्यवसायिक दृष्टि से विदोहन किया जा रहा है।
– राजस्थान का सीसा-जस्ता, जिप्सम, सोपस्टोन, बॉलक्ले, कैल्साइट, रॉक फॉस्फेट, फेल्सपार, कैओलीन, तांबा, जास्पर, गार्नेट, वोलस्टोनाइट चाँदी के उत्पादन में एकाधिकार है।