राजस्थान सामान्य ज्ञान : साबुन और अपमार्जक

साबुन और अपमार्जक

(Soaps and Detergents)

 

  • इनका प्रयोग शोधन अभिकर्मक (cleansing agent) के रूप में किया जाता है। ये चिकनाई (वसा) के निष्कासन (removal) में सहायता करते हैं जो कपड़ों और त्वचा के साथ दूरे पदार्थों को चिपका देती है।

साबुन (Soaps)

साबुन दीर्घ शृंखला वाले वसा अम्लों (RCOONa) जैसे स्टिएरिक अम्ल (C17H35COOH),ओलिक अम्ल (C15H35COOH) और पामिटिक अम्ल (C15H31COOH) के सोडियम और पोटैशियम लवण है। इन्हें पेट्रोलियम उत्पादों से प्राप्त किया जाता है। साबुनों का उपयोग जल के शोधन गुण को बढ़ाने के लिए किया जाता है। ये जैव निम्नीकृत यौगिक हैं।

  • निर्माण (साबुनीकरण अभिक्रिया)[Manufacture (Saponification Reaction)]

जब वसा (वसा अम्लों के ग्लिसरिल एस्टरों) को जलीय सोडियम हाइड्रॅाक्साइड विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो साबुन (Soap) बनते है। यह अभिक्रिया साबुनीकरण अभिक्रिया कहलाती है। साबुन का अवक्षेपण करेन के लिए विलयन में सोडियम क्लोराइड मिलाया जाता है। केवल सोडियम और पोटैशियम साबुन जल में विलेय होते हैं और शोधन में प्रयुक्त किए जाते हैं।

  • साबुन के प्रकार(Types of Soaps)    
  1. प्रसाधन साबुन (Toilet Soaps)ये उत्तम प्रकार के वसा एवं तेलों से बनाये जाते हैं तथा इनमें से थार के आधिक्य का निकाल दिया जाता है। इन्हें आकर्षक बनाने के लिए इनमें रंग और सुगन्ध भी डाले जाते हैं।
  2. पानी में तैरने वाले साबुन(Floating Soaps) –  इन्हें बनाने के लिए इन्हें सख्त होने से पहले वायु के छोटे बुलबुले विस्पन्दित जाते हैं।
  3. पारदर्शी साबुन(Transparent Soaps) –  ये साबुन को एथेनॉल (एथिल ऐल्कोहॉल) में घोलकर और फिर विलायक के आधिक्य को वाष्पित करके बनाए जाते है।
  4. औषध-साबुन(Transparent Soaps) – इनमें औषधिय गुण वाले पदार्थ डाले जाते हैं।
  5. दाढ़ी बनाने वाले साबुन(Shaving Soaps) – जल्द सूखने से रोकने के लिए इनमें ग्लिसरॉल होता है। इन साबुनों में रोजिन नामक गोंद डाली जाती है जिससे सोडियम रोजिनेट बनता है जो अच्छी तरह झाग बनाता हैं।
  6. धुलाई के साबुन(Laundary Soaps) – इनमें पूरक जैसे सोडियम रोजिनेट, सोडियम सिलिकेट, बोरेक्स और सोडियम कार्बोनेट होती है।
  7. साबुन पाउडर और मार्जन साबुन(Soap Powders and Scouring Soaps) – इनमें कुछ साबुन, मार्जक (अपघर्षों) जैसे कि झामक चूर्ण (powdered pumice) या बारीक रेत तथा सोडियम कार्बोनट और ट्राइसोडियम फॉस्फेट जैसे बिल्डर होते हैं।
  8. दानेदार साबुन(Soap Granules) – ये सूखे हुए छोटे-छोटे साबुन के बुलबुले होते हैं।
  • अच्छे साबुन कीविशेषताएँ (Characteristics of a Good Soap) –
  1. इसमें मुक्त क्षार नहीं होना चाहिए।
  2. इसमें 10 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
  • यह ऐल्कोहॉल में विलेय होनी चाहिए तथा प्रयोग करते समय इसे चटकना नहीं चाहिए।
  • अपमार्जक(Detergents) – इनमें साबुन के सभी गुण होते हैं लेकिन ये वास्तव में साबुन नहीं होते। ये मृदु और कठोर दोनों प्रकार के जलद में उपयोग  किए जाते हैं, क्योंकि इनके कैल्सियम और मैग्नीशियम लवण जल में विलेय होते हैं। अतः मलफेन नहीं बनता हैं। ये अम्लीय माध्यम में भी उपयोग किए जा सकते हैं। अतः ये साबुनों की अपेक्षाकृत प्रबल शोधन गुण रखते हैं। रासायनिक तौर पर अपमार्जक लम्बी शृंखला वाले वसीय अम्लों के (12-18 कार्बन परमाणु वाले) के एल्किल सल्फेट या सल्फोनेट या अमोनियम लवण हैं, जैसे सोडियम लाॅराइल सल्फेट, सोडियम p-डोडेसिल बेन्जीन सल्फोनेट। सामान्यता इन्हें वनस्पति तेलों से प्राप्त किया जाता हैं।
  • संश्लेषित अपमार्जकों कावर्गीकरण (Classification of Synthetic Detergents) इन्हें मुख्यतया तीन वर्गों में बाँटा गया है-

(i) ऋणायनी अपमार्जक (Anionic Detergents) –  ये लम्बी शृंखला वाले ऐल्कोहॉलों अथवा हाइड्रोकार्बनों के सल्फोनित व्युत्पन्न होते हैं। उदाहरण सोडियम एल्किन बेन्जीन सल्फोनेट। इन उपमार्जकों का ऋणायनी भाग शोधन क्रिया में भाग लेता है।

उपयोग (Uses) सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड केश कण्डीशनारों में डाला जाता हैं।

(ii) धनायनी अपमार्जक (Cationic Detergents) – ये ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड ऋणायनों  के साथ बने ऐमीनों के चतुष्क अमोनियम लवण हैं। उदाहरण सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइउ। यह जीवाणुनाशक होते हैं।

उपयोग (Uses) – सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड केश कण्डीशनारों में डाला जाता हैं।

(iii) अनआयनिक अपमार्जक (Non-ionic Detergents)- इनकी संरचना में कोई आयन नहीं होता है। उदाहरण आंशिक एस्टरीकृत यौगि जेसे पेन्टाएरीथीटोल मोनोस्टिएरेट (Pentaaerythritol monostearate)

उपयोग (Uses) – बर्तन धोनें के द्रव अपमार्जक के रूप में।

  • साबुनों पर अपमार्जकोंकी हानियाँ (Disadvantages of Detergents over Soaps) –  साबुन जैवे निम्नीकृत होते हैं जबकि  अपमार्जक जिनमें हाइड्रोकार्बन श्ंखला अधिक शाखित होती हैं और जल प्रदूषण करते हैं।

आजकल सीधी हाइड्रोकार्बन शृंखला (या निम्नतम शाखित हाइड्रोकार्बन शृंखला) वाले अपमार्जक जो कि जैव निम्नीकृत (non-bioderadable) होते है। और जल प्रदूषण करते हैं। आजकल सीधी हाइड्रोकार्बन शृंखला (या निम्नीकृत) होते हैं का प्रयोग प्रदूषण रोकने के लिए किया जाता है।

 

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