लकड़ी, हाथीदाँत व चन्दन का कार्य :-
हाथीदाँत का काम भरतपुर, जयपुर, मेड़ता, पाली एवं उदयपुर में होता है। हाथीदाँत के प्रमुख कारीगर मालचंद, रमेश चन्दनवाला, गोवर्धन, फकीरचन्द, लालचन्द है।
– किशोरी ग्राम (अलवर) :- संगमरमर की मूर्तियों एवं घरेलू उपयोग की वस्तुृओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध।
– सिकन्दरा (दौसा) :- इमारती पत्थरों के डिजाइन व पशु-पक्षियों की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध।
– रमकड़ा उद्योग :- गलियाकोट (डूंगरपुर)।
– तलवाड़ा (बाँसवाड़ा) :- काले पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध।
– थानागाजी (अलवर) :- लाल पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध।
– पेपरमेशी के प्रसिद्ध कलाकार :- पातीराम, चिरंजीलाल, श्रीचन्द, कुंवरसिंह, देवकीनन्दन शर्मा, मन्जू शर्मा, वीरेन्द्र शर्मा।
– राजस्थान में कागज उद्योग का प्रमुख केन्द्र :- सांगानेर (जयपुर)।
– कुमारप्पा राष्ट्रीय हाथ कागज संस्थान :- सांगानेर (जयपुर) में। इस संस्थान की स्थापना UNDP व खादी ग्रामोद्योग आयोग के संयुक्त प्रयासों से की गई है।
– पटवा :- आभूषणों को विभिन्न प्रकार के डोरों में पिरोकर पहनने योग्य बनाने वाला कारीगर।
– जीणपोश :- घोड़े की पीठ पर डाला जाने वाला विशेष वस्त्र।
– घोड़े की सजावट में प्रयुक्त वस्तुएँ :- जीणपोश, सपाट, गजगाव, हवाई, मेलखोरा, जेरबंद, कंदोरा, झूल।
– ऊँट की सजावट में प्रयुक्त वस्तुएँ :- पलाण, सिंघाड़े, पागड़ा, मोहरी, कोड़ियाला, गोरबन्द, छींकी, कमरबन्द।
– मिरर वर्क के लिए प्रसिद्ध जिला :- बाड़मेर।
– गोटा उद्योग के प्रमुख केन्द्र :- खंडेला (सीकर), भिनाय (अजमेर) एवं जयपुर।
– पेपरमेशी :- कागज की लुगदी बनाकर उसे विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनाना पेपरमेशी कहलाता है। राजस्थान के जयपुर व उदयपुर जिले पेपरमेशी कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं।
– राजस्थान में कागज निर्माण का कार्य साँगानेर (जयपुर) व सवाईमाधोपुर में किया जाता है।
– खांडे :- लकड़ी की तलवारनुमा कलात्मक आकृति।
– हाटड़ी :- घर में मसालों व अन्य सामान रखने हेतु चार या छ: खाने वाले कलात्मक डब्बे बनाए जाते हैं, जिसे पश्चिमी राजस्थान में ‘हाटड़ी’ कहते हैं। हाटड़ी को चोपड़ा भी कहा जाता है।
– हस्तकलाओं का तीर्थ :- जयपुर को।
– हरजी गाँव (जालौर) :- मामाजी के घोड़े बनाने के लिए प्रसिद्ध।
कला | स्थान | ||
1. | नांदणे | – | शाहपुरा (भीलवाड़ा) |
2. | तारकशी के जेवर | – | नाथद्वारा (राजसमन्द) |
3. | सुराही | – | रामसर (बीकानेर) |
4. | दर्पण पर कार्य | – | जैसलमेर |
5. | मेहन्दी | – | सोजत (पाली) |
6. | कृषि औजार | – | गजसिंहपुरा (नागौर) |
7. | सूंघनी नसवार | – | ब्यावर |
8. | मौठड़े | – | जोधपुर |
9. | जस्ते की मूर्तियाँ | – | जोधपुर |
10. | तलवार | – | सिरोही |
11. | खेल सामग्री | – | हनुमानगढ़ |
12. | कशीदाकारी जूतियाँ | – | भीनमाल (जालौर) |
13. | चंदन की मूर्तियाँ | – | चूरू |
14. | पाव रजाई | – | जयपुर |
15. | लाख की पॉटरी | – | बीकानेर |
16. | कल्चर्ड मोती | – | बाँसवाड़ा |
17. | लकड़ी के झूले | – | जोधपुर |
18. | सॉफ्ट टॉयज | – | श्रीगंगानगर |
19. | भीलों की चूनड़ | – | आहड़ (उदयपुर) |
20. | शीशम का फर्नीचर | – | हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर |
21. | मलमल व जटा | – | मथानिया व तनसुख (जोधपुर) |