जसवंतसिंह का दरबारी कवि व इतिहासकार मुहणौत नैणसी (ओसवाल जैन जाति) था।
मुहणौत नैणसी ने दो ऐतिहासिक ग्रन्थ, “नैणसी री ख्यात (राजस्थान की सबसे प्राचीन ख्यात) व ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ लिखे।
नोट – ख्यातें 16वीं शताब्दी में लिखनी शुरू की गयी ख्यातें भाट व चारण समाज के द्वारा लिखी जाती है लेकिन नैणसी री ख्यात इसका अपवाद है।
– “मारवाड़ रा परगना री विगत” में मुहणौत नैणसी ने इतिहास का क्रमबद्ध लेखन किया। अतः “मारवाड़ रा परगना री विगत” को राजस्थान का गजेटियर कहते हैं।
– नैणसी री ख्यात व मारवाड़ रा परगना री विगत राजस्थानी भाषा में लिखे गये हैं।
– राजस्थान में मारवाड़ के इतिहास को क्रमबद्ध लिखने का सर्वप्रथम श्रेय मुहणौत नैणसी को है।
- पद्मावत(मलिक मोहम्मद जायसी) –1543 ई. के लगभग रचित इस महाकाव्य मेंअलाउद्दीन खिलजी एवं मेवाड़ के शासक रावल रतनसिंह के मध्य हुए युद्ध (1301 ई) का वर्णन है, जिसका कारण अलाउद्दीन खिलजी द्वारा रतनसिंह की रानी पद्मिनी को प्राप्त करने की इच्छा थी।
- विजयपाल रासौ(नल्ल सिंह)– पिंगल भाषा के इस वीर-रसात्मक ग्रन्थ में विजयगढ़ (करौली) के यदुवंशी राजा विजयपाल की दिग्विजय एवं पंग लड़ाई का वर्णन है। नल्लसिंह सिरोहिया शाखा का भाट था और वह विजयगढ़ के यदुवंशी नरेश विजयपाल का आश्रित कवि था।
- नागर समुच्चय(भक्त नागरीदास) –यह ग्रन्थ किशनगढ़ के राजा सावंतसिंह (नागरीदास) की विभिन्न रचनाओं का संग्रह है। सावंतसिंह ने राधाकृष्ण की प्रेमलीला विषयक शृंगार रसात्मक रचनाएँ की थी।
- हम्मीर महाकाव्य(नयनचन्द्र सूरि) – संस्कृत भाषा के इस ग्रन्थ में जैन मुनि नयनचन्द्र सूरि ने रणथम्भौर के चौहान शासकों का वर्णन किया है।
- वेलि किसनरुक्मणि री(पृथ्वीराज राठौड़) – सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक कवि पृथ्वीराज बीकानेर शासक रायसिंह के छोटे भाई थे तथा ‘पीथल’ नाम से साहित्य रचना करते थे। इन्होंने इस ग्रन्थ में श्री कृष्ण एवं रुक्मणि के विवाह की कथा का वर्णन किया है। दुरसा आढ़ा ने इस ग्रन्थ को पाँचवा वेद व 19वाँ पुराण कहा है। बादशाह अकबर ने इन्हें गागरोन गढ़ जागीर में दिया था।
- कान्हड़दे प्रबन्ध(पद्मनाभ) पद्मनाभ जालौर शासक अखैराज के दरबारी कवि थे। इस ग्रन्थ में इन्होंने जालौर के वीर शासक कान्हड़दे एवं अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुए युद्ध एवं कान्हड़दे के पुत्र वीरमदे व अलाउद्दीन की पुत्री फिरोजा के प्रेम प्रसंग का वर्णन किया है।
- राजरूपक(वीरभाण) –इस डिंगल ग्रन्थ में जोधपुर महाराजा अभयसिंह एवं गुजरात के सूबेदार सरबुलंद खाँ के मध्य युद्ध (1787 ई.) का वर्णन है।
- बिहारी सतसई(महाकवि बिहारी) –मध्यप्रदेश में जन्मे कविवर बिहारी जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। ब्रजभाषा में रचित इनका यह प्रसिद्ध ग्रन्थ शृंगार रस की उत्कृष्ट रचना है।
- बाँकीदास री ख्यात(बाँकीदास) (1838-90 ई.) –जोधपुर के राजा मानसिंह के काव्य गुरु बाँकीदास द्वारा रचित यह ख्यात राजस्थान का इतिहास जानने का स्रोत है। इनके ग्रन्थों का संग्रह ‘बाँकीदास ग्रन्थावली’ के नाम से प्रकाशित है। इनके अन्य ग्रन्थ मानजसोमण्डन व दातार बावनी भी हैं।
- कुवलयमाला(उद्योतन सूरी) –इस प्राकृत ग्रन्थ की रचना उद्योतन सूरी ने जालौर में रहकर 778 ई. के आसपास की थी जो तत्कालीन राजस्थान के सांस्कृतिक जीवन की अच्छी झाँकी प्रस्तुत करता है।
- ब्रजनिधि ग्रन्थावली –यह जयपुर के महाराजा प्रतापसिंह द्वारा रचित काव्य ग्रन्थों का संकलन है।
- हम्मीर हठ, सुर्जन चरित –बूँदी शासक राव सुर्जन के आश्रित कविचन्द्रशेखर द्वारा रचित।
- प्राचीन लिपिमाला,राजपुताने का इतिहास(पं. गौरीशंकर ओझा) – पं.गौरीशंकर हीराचन्द ओझा भारतीय इतिहास साहित्य के पुरोधा थे, जिन्होंने हिन्दी में सर्वप्रथम देशी राज्यों का इतिहास भी लिखा है। इनका जन्म सिरोही रियासत में 1863 ई. में हुआ था।
- वचनिका राठौड़ रतनसिंह महेसदासोत री(जग्गा खिड़िया) – इस डिंगल ग्रंथ में जोधपुर महाराजा जसवंतसिंह के नेतृत्व में मुगल सेना एवं मुगल सम्राट शाहजहाँ के विद्रोही पुत्र औरंगजेब व मुराद की संयुक्त सेना के बीच धरमत (उज्जैन, मध्यप्रदेश) के युद्ध में राठौड़ रतनसिंह के वीरतापूर्ण युद्ध एवं बलिदान का वर्णन है।
- बीसलदेव रासौ(नरपति नाल्ह) – इसमें अजमेर के चौहान शासक बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) एवं उनकी रानी राजमती की प्रेमगाथा का वर्णन है।
- रणमल छंद(श्रीधर व्यास) –इसमें पाटन के सूबेदार जफर खाँ एवं ईडर के राठौड़ राजा रणमल के युद्ध (संवत् 1454) का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती इनकी अन्य रचना है। श्रीधर व्यास राजा रणमल का समकालीन था।
- अचलदास खींची रीवचनिका(शिवदास गाडण) – सन् 1430-35 के मध्य रचित इस डिंगल ग्रन्थ में मांडू के सुल्तान हौशंगशाह एवं गागरौन के शासक अचलदास खींची के मध्य हुए युद्ध (1423 ई.) का वर्णन है एवं खींची शासकों की संक्षिप्त जानकारी दी गई है।
- राव जैतसी रो छंद(बीठू सूजाजी) –डिंगल भाषा के इस ग्रन्थ में बाबर के पुत्र कामरान एवं बीकानेर नरेश राज जैतसी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है।
- रुक्मणी हरण, नागदमण(सायांजी झूला) –ईडर नरेश राव कल्याणमल के आश्रित कवि सायांजी द्वारा इस डिंगल ग्रन्थों की रचना की गई।
- वंश भास्कर(सूर्यमल्ल मिश्रण)(1815-1868 ई.) – बूँदी के महाराव रामसिंह के दरबारी कवि सूर्यमल्ल मिश्रण ने इस पिंगल काव्य ग्रन्थ में बूँदी राज्य का विस्तृत, ऐतिहासिक एवं राजस्थान के अन्य राज्यों का संक्षिप्त रूप में वर्णन किया है। वंश भास्कर को पूर्ण करने का कार्य इनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने किया था। इनके अन्य ग्रन्थ हैं- बलवंत विलास, वीर-सतसई व छंद मयूख, उम्मेदसिंह चरित्र, बुद्धसिंह चरित्र।
- वीर विनोद(कविराज श्यामलदासदधिवाड़िया) – मेवाड़ (वर्तमान भीलवाड़ा) में 1836 ई. में जन्मे एवं महाराणा सज्जनसिंह के आश्रित कविराज श्यामदास ने अपने इस विशाल ऐतिहासिक ग्रन्थ की रचना महाराणा के आदेश पर प्रारंभ की। चार खंडों में रचित इस ग्रन्थ पर कविराज को ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि प्रदान की गई। इस ग्रन्थ में मेवाड़ के विस्तृत इतिहास वृत्त सहित अन्य संबंधित रियासतों का इतिहास वर्णन है। मेवाड़ महाराणा सज्जनसिंह ने श्यामदास को ‘कविराज’ एवं सन् 1888 में ‘महामहोपाध्याय’ की उपाधि से विभूषित किया था।
- चेतावणी रा चूँगट्या(केसरीसिंह बारहठ) –इन दोहों के माध्यम से कवि केसरसिंह बारहठ
ने मेवाड़ के स्वाभिमानी महाराजा फतेहसिंह को 1903 ई. के दिल्ली दरबार में जाने से रोका था। ये मेवाड़ के राज्य कवि थे।
राजस्थान के आधुनिक साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ –
यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ | उपन्यास- हूँ गोरी किण पीवरी, खम्मा अन्नदाता, मिट्टी का कलंक, जमानी ड्योढ़ी हजार घोड़ों का सवार। तासरो घर (नाटक), जमारो (कहानी)। |
रांगेय राघव | उपन्यास- घरौंदे, मुर्द़ों का टीला, कब तक पुकारुँ, आज की आवाज। |
मणि मधुकर | उपन्यास- पगफैरों, सुधि सपनों के तीर। रसगंधर्व (नाटक)। खेला पालेमपुर (नाटक) |
विजयदान देथा (बिज्जी) | उपन्यास- तीड़ो राव, मां रौ बादलौ। कहानियाँ अलेखूँ, हिटलर, बाताँ री फुलवारी। |
शिवचन्द्र भरतिया
| कनक सुंदर (राजस्थानी का प्रथम उपन्यास), केसरविलास (राजस्थानी का प्रथम नाटक)। |
स्व.नारायणसिंह भाटी | कविता संग्रह साँझ, दुर्गादास, परमवीर, ओलूँ, मीरा। बरसां रा डिगोड़ा डूँगर लांघिया। |
श्रीलाल नथमल जोशी | उपन्यास- आभैपटकी, एक बीनणी दो बींद। |
स्व. हमीदुल्ला नाटक | दरिन्दे, ख्याल भारमली। इनका नवम्बर, 2001 में निधन हो गया। |
भरत व्यास | रंगीलो मारवाड़। |
जबरनाथ पुरोहित | रेंगती हैं चींटियाँ (काव्य कृतियाँ)। |
लक्ष्मी कुमारी चूँडावत | कहानियाँ मँझली रात, मूमल, बाघो भारमली। |
चन्द्रप्रकाश देवल | पागी, बोलो माधवी। |
सत्यप्रकाश जोशी | बोल भारमली (कविता)। |
कन्हैयालाल सेठिया | बोल भारमली (कविता)। पातळ एवं पीथळ, धरती धोरां री, लीलटांस ये चूरू निवासी थे। |