राजस्थान की मिटि्टयों का नवीन पद्धति से वर्गीकरण :- 5 भागों में।
(1) एरिडीसोल्स :- खनिज मृदा शुष्क जलवायु में पाई जाती है। चूरू, सीकर, झुंझुनूं, नागौर, जोधपुर, पाली तथा जालौर जिले में विस्तृत। उपमृदाकरण :- ऑरथिड।
(2) अल्फीसोल्स :- कृषि की दृष्टि से उपजाऊ मिट्टी। यह मृदा जयपुर, दौसा, अलवर, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़ में विस्तृत। इसकी प्रोफाइल मध्यम से लेकर पूर्ण विकसित तक होती है। इन मृदाओं में ऑरजिलिक संस्तर की उपस्थिति होती है।
उपमृदाकण :- हेप्लुस्तालफस।
(3) एन्टिसोल्स :- इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार की जलवायु में स्थित मृदाओं का समावेश होता है। पश्चिमी राजस्थान के लगभग सभी जिलों में इस समूह की मृदाएँ पाई जाती हैं। इसका रंग प्राय: हल्का पीला, भूरा रंग होता है। इस मृदा का निर्माण सबसे बाद में हुआ है।
उपमृदाकण :- सामेन्ट्स और फ्लुवेन्ट्स।
(4) इन्सेप्टीसोल्स :- यह मृदा आर्द्र जलवायु प्रदेश में पायी जाती है। ये मृदा सिरोही, पाली, राजसमन्द, उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ जिलों में विस्तृत हैं। इस मृदाकण के एक वृहत वर्ग उस्टोक्रेप्टस के अन्तर्गत राज्य की मृदाएँ शामिल हैं।
(5) वर्टीसोल्स :- मृतिका की अधिकता वाली मिट्टी। ये मृदाएँ झालावाड़, बारां, कोटा एवं बूंदी में विस्तृत हैं। इस मिट्टी को काली मिट्टी, कपास मिट्टी, रेंगुर मिट्टी के नाम से जाना जाता है।
राज्य के सर्वाधिक क्षेत्र पर एरिडीसोल्स एवं एन्टीसोल्स मृदा पाई जाती है।
– मृदा अपरदन को “रैंगती हुई मृत्यु’ कहा जाता है।
मिट्टी के प्रकार | जलवायु प्रदेश | |
एरिडीसोल्स | – | शुष्क एवं अर्द्धशुष्क जलवायु प्रदेश |
एन्सेप्टीसोल्स | – | अर्द्धशुष्क एवं आर्द्र जलवायु प्रदेश |
अल्फीसोल्स | – | उपआर्द्र एवं आर्द्र जलवायु प्रदेश |
वर्टीसोल्स | – | आर्द्र एवं अतिआर्द्र जलवायु प्रदेश |
- राजस्थान में सबसे ज्यादा बंजर व अकृषि (खेती योग्य नहीं) भूमि जैसलमेर जले में है।
- चम्बल, गंगानगर परियोजना व इंदिरा गांधी नहर के क्षेत्रों में सेम/जलाधिक्य/जल मग्नता की समस्या उत्पन्न होती है।
- लवणीय व क्षारीय मिट्टी को उपचारित करने में जिप्सम, गंधक, जैविक खाद व उर्वरक उपयोग में लाये जाते हैं।
- काली मिट्टी में चूना व पोटाश की अधिकता होती है, इस कारण यह मिट्टी ज्यादा उपजाऊ होती है।
- पणो– तालाब में या बड़े खड़े में पानी एवं दलदल सूखने पर जमी उपजाऊ मिट्टी की परत को पणो कहा जाता है।
- बाँझड़– अनुपजाऊ या वर्षा में बिना जोती गई (पड़त) भूमि को बाँझड़ कहा जाता है।
- राजस्थान में सबसे पहले मृदा परीक्षण प्रयोगशाला केन्द्र सरकार की सहायता से जोधपुर जिले में क्षारीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई।
- राजाड़ परियोजना– यह परियोजना चम्बल क्षेत्र में सेम की समस्या के समाधान हेतु शुरू की गई है।
- पी.एच. (pH) मान के द्वारा मिट्टी की क्षारीयता व लवणीयता का निर्धारण होता है। मिट्टी का पी.एच. मान कम होने पर अम्लीय, अधिक होने पर क्षारीय तथा नहीं होने पर उदासीन मिट्टी मानी जाती है।