राजस्थान सामान्य ज्ञान : राजस्थान के प्रमुख राजवंश एंव उनकी उपलब्धियां

 

 

महाराजा जसवंतसिंह (प्रथम) (1638-78 .)

  • महाराजा जसवंत सिंह प्रथम का जन्म 26 दिसम्बर, 1626 ई. में बुहरानपुर में हुआ था।
  • गजसिंह के पुत्र जसवन्तसिंह की गिनती मारवाड़ के सर्वाधिक प्रतापी राजाओं में होती है।
  • शाहजहाँ ने उसे ‘महाराजा’ की उपाधि प्रदान की थी। वह जोधपुर का प्रथम महाराजा उपाधि प्राप्त शासक था।
  • शाहजहाँ की बीमारी के बाद हुए उत्तराधिकारी युद्ध में वह शहजादा दाराशिकोह की ओर से धरमत (उज्जैन) के युद्ध (1657 ई.) में औरंगजेब व मुराद के विरुद्ध लड़कर हारा था।
  • वीर दुर्गादास इन्हीं का दरबारी व सेनापति था।
  • मुहता (मुहणोत) नैणसी इन्हीं के दरबार में रहता था। नेणसी ने ‘मारवाड़ री परगना री विगत’ तथा ‘नैणसी री ख्यात’ नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे। इसे ‘मारवाड़ का अबुल फजल‘ कहा जाता है।
  • उसने मुगलों की ओर से शिवाजी के विरूद्ध भी युद्ध में भाग लिया था।
  • इनकी मृत्यु सन् 1678 ई. में अफगानिस्तान के जमरूद नामक स्थान पर हुई थी।
  • महाराजा जसवंत सिंह ने ‘भाषा-भूषण’ नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की।
  • जसवंतसिंह द्वारा रचित अन्य ग्रंथ अपरोक्ष सिद्धान्त सार व प्रबोध चन्द्रोदय नाटक हैं।

अजीतसिंह (1678-1728 .)

  • अजीतसिंह जसवन्त सिंह प्रथम का पुत्र था।
  • वीर दुर्गादास राठौड़ ने अजीतसिंह को औरंगजेब के चंगुल से मुक्त कराकर उसे मारवाड़ का शासक बनाया था।
  • अजीतसिंह ने अपनी पुत्री इन्द्रकुंवरी का विवाह मुगल बादशाह फर्रूखशियर से किया था। अजीतसिंह की हत्या उसके पुत्र बख्तसिंह द्वारा की गयी।
  • अजीतसिंह के दाह संस्कार के समय अनेक मोर तथा बन्दरों ने स्वेच्छा से अपने प्राणों की आहुति दी।

महाराजा मानसिंह (1803-1843 .)

  • 1803 में उत्तराधिकार युद्ध के बाद मानसिंह जोधपुर सिंहासन पर बैठे। जब मानसिंह जालौर में मारवाड़ की सेना से घिरे हुए थे, तब गोरखनाथ सम्प्रदाय के गुरु आयस देवनाथ ने भविष्यवाणी की, कि मानसिंह शीघ्र ही जोधपुर के राजा बनेंगे। अतः राजा बनते ही मानसिंह ने आयस देवनाथ को जोधपुर बुलाकर अपना गुरु बनाया तथा वहां नाथ सम्प्रदाय के महामंदिर का निर्माण करवाया।
  • गिंगोली का युद्ध : मेवाड़ महाराणा भीमसिंह की राजकुमारी कृष्णा कुमारी के विवाह के विवाद में जयपुर राज्य की महाराजा जगतसिंह की सेना, पिंडारियों व अन्य सेनाओं ने संयुक्त रूप से जोधपुर पर मार्च, 1807 में आक्रमण कर दिया तथा अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया। परन्तु शीघ्र ही मानसिंह ने पुनः सभी इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया।
  • सन् 1817 ई. में मानसिंह को शासन का कार्यभार अपने पुत्र छत्रसिंह को सौंपना पड़ा। परन्तु छत्रसिंह की जल्दी ही मृत्यु हो गई। सन् 1818 में 16, जनवरी को मारवाड़ ने अंग्रेजों से संधि कर मारवाड़ की सुरक्षा का भार ईस्ट इंडिया कम्पनी को सौंप दिया।

दुर्गादास राठौड़

  • वीर दुर्गादास जसवन्त सिंह के मंत्री आसकरण का पुत्र था।
  • उसने अजीतसिंह को मुगलों के चंगुल से मुक्त कराया।
  • उसने मेवाड़ व मारवाड़ में सन्धि करवायी।
  • अजीतसिंह ने दुर्गादास को देश निकाला दे दिया तब वह उदयपुर के महाराजा अमर सिंह द्वितीय की सेवा मे रहा।
  • दुर्गादास का निधन उज्जैन में हुआ और वहीं क्षिप्रा नदी के तट पर उनकी छतरी (स्मारक) बनी हुई है।

अमरसिंह राठौड़

  • जोधपुर के गजसिंह का पुत्र व महाराजा जसवन्त सिंह का भाई जो नाराज होकर शाहजहाँ की सेवा में चला गया।
  • सन् 1644 ई. मे उसने शाहजहाँ के साले व मीरबक्शी सलावत खाँ की भरे दरबार में हत्या कर दी थी।
  • सन् 1644 ई. में ‘मतीरे की राड‘ नामक युद्ध अमर सिंह राठौड़ व बीकानेर के कर्णसिंह के मध्य लड़ा गया।
  • अमरसिंह को नागौर का शासक बनाया गया।
  • वीरता के कारण वह आज भी राजस्थानी ख्यालों में प्रसिद्ध।

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