प्रकाश का परावर्तन व इसके नियम
- प्रकाश का किसी चमकीले एवं चिकने पृष्ठ से टकराकर पुनः उसी माध्यम में लौट जाने की घटना ‘परावर्तन‘ (Reflection) कहलाता है।
- दर्पण(Mirror) – परावर्तन का अच्छा उदाहरण है।
- परावर्तन की घटना में\angle∠i = \angle∠r होता है।
- आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
Ex. :
(i) ग्रहों, उपग्रहों जैसे शुक्र एवं चांद का चमकना।
(ii) दर्पण में प्रतिबिम्ब का दिखाई देना।
(iii) वस्तुओं के रंग का निर्धारण-जो वस्तु सभी सातों प्रकाशीय रंगों को परावर्तित करते हैं वह वस्तु श्वेत (सफेद) तथा जो सभी रंगों को अवशोषित करने वाली काली (Black) दिखाई देती है।
नोट – कोई भी वस्तु उसी रंग के प्रकाश एवं सूर्य के प्रकाश के प्रकाश में वस्तु उसी रंग की दिखाई देती है अन्य रंगों में काली (Black) दिखाई देगी।
जैसे लाल-फूल, हरे, पीले, नीले, बैंगनी, गुलाबी सभी रंगों में काला दिखाई पड़ता है। लाल एवं sunlight में RED दिखेगा।
नोट – ‘पेरिस्कोप‘ तथा ‘केलिडोस्कोप‘ उपकरण परावर्तन पर आधारित होते हैं तथा कोण से झूके दो दर्पण के मध्य रखी वस्तु के बने प्रतिबिम्बों की संख्या- N =\frac{360}{\theta}-1θ360−1 होती है। जैसे : \thetaθ = 60º तो प्रतिबिम्बों की संख्या = 5 होगी।
यदि \frac{360}{\theta}θ360 का मान विषम हो तो 1 नहीं घटाते हैं।
- यदि दर्पण समानान्तर रखे हो तो प्रतिबिम्ब ‘अनन्त‘ होंगे।
- ‘L’ लम्बाई के व्यक्ति को अपनी पूरी लम्बाई देखने हेतु (L/2) लम्बाई के दर्पण की आवश्यकता होती है। जैसे- 6 फुट व्यक्ति को 3 फुट दर्पण की आवश्यकता होती है। पूरा प्रतिबिम्ब देखने हेतु।
- विसरित परावर्तन (खुरदरी सतह से परावर्तन) के कारण छायादार पेड़ के नीचे तथा कमरे के अन्दर भी प्रकाश प्राप्त होता है।