Rajasthan GK || Indian Polity and Economy || नीति निदेशक तत्व (DIRECTIVE PRINCIPLES)

राज्य की नीतियों के लिए निर्देश-

  • कार्य करने की न्यायपूर्ण एवं मानवीय परिस्थितियों का निर्माण होगा। श्रमिकों को सामाजिक एवं सांस्कृतिक अवसर प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे गरिमापूर्ण जीवन यापन कर सकें।
  • राज्य के द्वारा संपत्ति और उत्पादन के साधनों के संकेन्द्रण को रोकने का प्रयास किया जाएगा तथा भौतिक संसाधनों का समुदाय में समान वितरण होगा।
  • राज्य, अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव और शाँति बनाए रखने का प्रयास करेगा।

(ii) सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता-

  • निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा।
  • शराब और नशीली वस्तुओं पर प्रतिबंध।
  • कुटीर उद्योगों का विकास।
  • कृषि और पशुपालन का आधुनिक तरीके से संगठन।
  • उपयोगी पशुओं के वध का प्रतिषेध, विशेषतः गाय, बछड़े और अन्य दुधारू पशु।
  • ग्राम पंचायत को स्वशासन की इकाई के रूप में संगठित करना।
  • कमजोर वर्गो के शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों की रक्षा करना।
  • ऐतिहासिक एवं कलात्मक धरोहर की रक्षा करना तथा इसे बनाए रखना।
  • न्यायपालिका और कार्यपालिका का पृथक्करण।

(iii) नागरिकों के अवादयोग्य अधिकार-

  • आजीविका का पर्याप्त अवसर।
  • पुरूष और महिला के लिए समान कार्य हेतु, समान वेतन।
  • आर्थिक शोषण के विरूद्ध अधिकार।
  • काम का अधिकार।
  • बेरोजगारी, वृद्धावस्था एवं बीमारी में सहायता का अधिकार।
  • श्रमिकों के लिए पर्याप्त आजीविका का अधिकार।
  • बच्चों को निःशुल्क, अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का अधिकार।

राज्य-नीति के निदेशक तत्व (भाग-4 अनुच्छेद- 36 से 51)-

  • अनुच्छेद-36 में नीति निदेशक तत्वों की व्याख्या की गयी है।
  • अनुच्छेद-37 में बताया गया है, कि नीति निदेशक तत्वों के उपबंध किसी न्यायालय द्वारा लागू नहीं होंगे, लेकिन फिर भी यह देश के शासन के आधार हैं तथा विधि बनाने में इन तत्वों को लागू करना राज्य का कर्त्तव्य होगा।
  • अनुच्छेद-38 में राज्य लोक कल्याण की सुरक्षा और अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करेगा।
  • अनुच्छेद-39 में राज्य विशिष्ठ आय की असमानताओं को कम करने तथा विभिन्न व्यवसायों में लगे लोगों के मध्य प्रतिष्ठा, सुविधाओं तथा अवसर की असमानताओं को समाप्त करने का प्रयास करेगा।
  • अनुच्छेद-39(A) में राज्य, स्त्री तथा पुरूष सभी नागरिकों को समान रूप से आजीविका के पर्याप्त साधन जुटाएगा।
  • अनुच्छेद-39(B) में समुदाय के भौतिक संसाधनों का नियंत्रण राज्य इस प्रकार करे, कि वह सामूहिक हित का सर्वोच्च रूप से साधन हो।
  • अनुच्छेद-39(C) में राज्य यह प्रयास करेगा, कि उत्पादन का तथा धन का अहितकारी संकेन्द्रण  हो।
  • अनुच्छेद-39(D) में राज्य ऐसी व्यवस्था करेगा, जिसके अंतर्गत् पुरूष तथा स्त्रियों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिल सके।
  • अनुच्छेद-39(E) में राज्य इस प्रकार का प्रंबध करे, कि कर्मकारों एवं बालकों के स्वास्थ्य एवं शक्ति का दुरूपयोग  हो।
  • अनुच्छेद-39(F) में बालकों को स्वतंत्र एवं गरिमामय वातावरण में स्वस्थ विकास के अवसर एवं सुविधाएँ दी जाएँ तथा उनकी नैतिक एवं आर्थिक शोषण से रक्षा की जाए।
  • अनुच्छेद-39(d) में सभी को समान न्याय तथा निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त हो। (42वें संशोधन 1976 द्वारा जोड़ा गया)
  • अनुच्छेद-40 में राज्य, ग्राम पंचायतों को स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में संगठित करेगा।
  • अनुच्छेद-41 में राज्य, काम तथा शिक्षा पाने के तथा बेरोजगारी, बुढ़ापा, बीमारी तथा निःशक्तता की स्थिति में लोक सहायता के लिए प्रंबध करेगा।
  • अनुच्छेद-42 में राज्य, काम की न्याय संगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए प्रसूति सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेगा।
  • अनुच्छेद-43 में राज्य, जनता के लिए काम, निर्वाह, मजदूरी, शिष्ट जीवन स्तर, अवकाश तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्रदान करने का प्रयास करेगा और ग्रामों में कुटीर उद्योगों को बढ़ाने का प्रयास करेगा।
  • अनुच्छेद-43(क) में राज्य, उपयुक्त विधान तथा अन्य किसी रीति से किसी उद्योग में लगे हुए उपक्रमों, संस्थापकों या अन्य संगठनों के प्रंबध में कर्मकारों के भाग लेने को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगा। (42वें संशोधन 1976 से जोड़ा गया)
  • अनुच्छेद-43(ख) राज्य सहकारी संस्थाओं की स्थापना को बढ़ावा देगा (97वें संविधान संशोधन (2012) में जोड़ा गया।)
  • अनुच्छेद-44 में भारत राज्य के समस्त राज्य क्षेत्र में सभी नागरिकों के लिए एक जैसी सिविल संहिता लागू करने का प्रयास करेगा।
  • अनुच्छेद-45 में राज्य, बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रंबध करेगा।
  • अनुच्छेद-46 में राज्य, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्ग़ों के शिक्षा और अर्थ  संबंधी हितों की अभिवृद्धि के लिए प्रयास करेगा।
  • अनुच्छेद-47 में राज्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार तथा मादक द्रव्यों और हानिकारक औषधियों का निषेध करेगा।
  • अनुच्छेद-48 में राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक तथा वैज्ञानिक ढंग से संगठित करने का प्रयास करेगा और दुधारू पशुओं के वध पर रोक लगाएगा।
  • अनुच्छेद-48(क) में राज्य, देश के पर्यावरण की संरक्षा तथा उसमें सुधार करने का, वन तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।
  • अनुच्छेद-49 में राज्य, ऐतिहासिक तथा राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की रक्षा करेगा।
  • अनुच्छेद-50 में राज्य, न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक् करेगा।
  • अनुच्छेद-51 में राज्य, अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की अभिवृद्धि का, राज्यों के मध्य न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाये रखने का, अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थता के द्वारा निपटाने के लिए प्रयास करेगा। यह अनुच्छेद भारत की विदेश नीति का आधार है। 

 

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