गरीबी एवं बेरोजगारी – अवधारणा , प्रकार, कारण, निदान एवं वर्तमान फ्लेगशिप योजनाएं
बेरोजगारी
- बेरोजगारी से तात्पर्य – किसी राष्ट्र/ समाज में योग्यता होने के बावजूद भी रोजगार का न मिल पाना। अर्थव्यवस्था में सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था चलाने के लिए रोजगार का होना अनिवार्य अनुच्छेद 39 (समान कार्य के लिए समान वेतन), अनुच्छेद 41 (रोजगर अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार (ILO) – बेरोजगारी की समस्या एक वैश्विक चुनौती है।
- ILO के अनुसार किसी देश की श्रमशक्ति से अभिप्राय = 15-65 वर्ष की आयु तक के लोग, जो किसी रोजगार हेतु उपयोगी है।बेरोजगार = श्रमबल -कार्यबल (कार्यबल वह कार्यशील जन से है जो किसी न किसी रूप में रोजगार में लीन है)
- श्रमबल – रोजगार नहीं है तथा वे श्रम में शामिल नहीं है।
- कार्यबल – जिनके पास रोजगार है (सरकारी/प्राइवेट कोई भी) कार्य करता है)।
- श्रम ब्यूरों, शिमला के अनुसार 2013-14 में भारत में बेरोजगारी की दर – 4.9% (1000 लोगों पर 49 व्यक्ति बेरोजगार)
- राजस्थान में बेरोजगारी की दर 2013-14 में – 6.5% (1000 लोगों पर 65 लोग बेरोजगार)
- भरत में सबसे कम बेरोजगारी (वर्ष 2013-14) गुजरात में 1.2% (1000 पर 12 व्यक्ति बेरोजगार)।
- भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी (वर्ष 2013-14) – सिक्किम में 15.8% (1000 पर 1258 व्यक्ति बेरोजगार)
- बेरोजगारी से सम्बन्धित सभी कार्य श्रम ब्यूरो के अन्तर्गत होते है।
बेरोजगारी के प्रकार-
- चक्रीय बेरोजगारी –माँग और उत्पादन में वृद्धि के साथ रोजगार का बढ़ जाना तथा मांग और उत्पादन में कमी के साथ रोजगार में कमी आना, इससे उत्पन्न स्थिति को चक्रीय बेरोजगारी कहते है। जैसे –
- कम्पनी में जरूरत पड़ने पर लोगों की आवश्यकता पड़ती है तथा कम्पनी के घाटे में जाने पर उन लोगों को निकाल दिया जाता है।
- बेरोजगारी का यह प्रकार विकसित देशों में पाया जाता है।
- भारत के निजी संस्थानों में भी देखा जा सकता है।
- घर्षण जनित बेरोजगारी-रोजगार पलायन की वजह से जो बेरोजगारी की स्थिति उभरती है उसे घर्षण जनित बेरोजगारी कहते है। एक नौकरी को छोड़ कर दूसरी नौकरी करना इनके बीच की बेरोजगारी ही घर्षण है।
- विकसित देशों में ऐसी स्थिति अधिक पाई जाती है।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी (छिपी हुई बेरोजगारी) –उत्पादन की प्रक्रिया में कुछ ऐसे व्यक्ति भी शामिल होते है जिनको उस प्रक्रिया से हटाने पर उत्पादन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, ऐसे लोगों को प्रच्छन बेरोजगारी में रखा जाता है।
- खेत में परिवार के 5 सदस्य काम करते है तथा 10 बोरी धान होता है। तथा खेत में पूरा परिश्रम 2 सदस्य करते है तथा अन्य 3 सदस्य भी अपने को किसान कहते है तथा जो 10 बोरी 2 सदस्य का परिश्रम है तथा 5 सदस्य शामिल है उनके (3 सदस्य) के न होने पर भी धान 10 बोरी होता। कोई उनका प्रभाव नहीं होता है।
- इनकी सीमान्त उत्पादकता = 0 होगी।
- भारत में कृषि क्षेत्र में ऐसी स्थिति पाई जाती है।
- संरचनात्मक बेरोजगारी –भारत में मुख्यतः यही बेरोजगारी पाई जाती है। जनसंख्या अधिक होने, बुनियादी ढ़ाचा कमजोर होने प्रतिस्पर्द्धा अधिक होने तथा कौशल विकास में कमी होने के कारण बेरोजगारी की जो स्थिति उभरती है उसे संरचनात्मक बेरोजगारी कहते है। (योग्यता के बावजूद रोजगार नहीं मिलता)।
- शिक्षित बेरोजगारी, 6. तकनीकि बेरोजगारी 7. मौसमी बेरोजगारी।
- बेरोजगारी का मापन – 1973 में भगवती कमेटी की सिफारिश के आधार पर NSSD (राष्ट्रीय सैंम्पल सर्वे संगठन) ने बेरोजगारी के आँकडे़ एकत्रित किये।
- बेरोजगारी मापन तीन आधार पर किया गया।
- कौशल विकास – अर्थव्यवस्था में सभी लोगों को रोजगार देने के लिए लोगों में कौशल विकास करना अनिवार्य है। भारत सरकार के द्वारा इसे गंभीर लेते हुए अलग से कौशल विकास मंत्रालय बनाया गया तथा इसमें राजीव प्रताप रूडी को कौशल विकास मंत्री बनाया गया।
- पहली बार 2015 में 15 जुलाई को कौशल विकास दिवस के रूप में मनाया गया तथा सरकार ने इसी दिन Skill Devepment Compaign चलाया तथा सम्पूर्ण भारत में कौशल विकास योजना को लागू किया।
- अर्थशास्त्रियों का मानना है कि केवल न्यूनतम डिग्री लेने से पूर्ण रोजगार मिलना सम्भव नहीं है इसीलिए युवा जनसंख्या को सक्षम बनाने के लिए उनमें कौशल विकास अनिवार्य है। चीन जैसी अर्थव्यवस्था के जहाँ जनसंख्या अधिक होने से सभी लोगों को पर्याप्त रोजगार देना सम्भव नहीं हो पाया था। इसीलिए चीन में छोटे-छोटे व्यवसायियों को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर लोगों का कौशल विकास किया गया। इसीलिए चीन में उत्पादन और मांग बढ़ी जिस से चीन के निर्यात को पूरी दुनिया में बाजार मिला। इसीलिए भारत में भी चीन के समान कौशल विकास को महत्व दिया गया। राजस्थान सरकार ने भी उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए कौशल विकास योजना लागू की।
- भारत में पुरूषों से अधिक महिलाएं बेरोजगार है। महिला सशक्तिकरण के लिए भी उनके लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
- राजस्थान और भारत के बजट का अधिकांश भाग इन कार्यक्रमों पर खर्च होता है।