शपथ-
- तीसरी अनुसूची के अनुसार, राष्ट्रपति, मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं।
मंत्रियों के उत्तरदायित्व-
- मंत्रिपरिषद्, लोक सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
- सामूहिक उत्तरदायित्व का अर्थ है, कि मंत्रिपरिषद् का निर्णय सामूहिक होता है। इसलिए कोई भी मंत्री इससे असहमत नहीं हो सकता। अतः एक मंत्री के द्वारा लिया गया निर्णय सभी मंत्रियों का निर्णय माना जाता है।
- यदि किसी एक मंत्री के निर्णय से लोक सभा असहमत है, तो समूचे मंत्रिपरिषद् के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है तथा पूरे मंत्रिपरिषद् को त्याग पत्र देना होता है।
व्यक्तिगत उत्तरदायित्व-
- मंत्री, व्यक्तिगत रूप में राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
मंत्रिपरिषद् की संरचना-
- संविधान में मंत्रियों की कोई श्रेणी नहीं दी गई है परंतु व्यवहार में मंत्रियों की निम्नलिखित चार श्रेणियाँ होती हैं-
(i) कैबिनेट मंत्री– ऐसे मंत्री को मंत्रिमण्डल (कैबिनेट) की प्रत्येक बैठक में उपस्थित होने और भाग लेने का अधिकार है। यह मंत्रिपरिषद् का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है, इसी के द्वारा सभी निर्णय सामूहिक रूप में लिये जाते हैं। कैबिनेट मंत्रियों की लिखित सलाह पर ही राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद-352) की घोषणा करते हैं।
(ii) राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)- राज्य मंत्री, जो किसी कैबिनेट मंत्री के अधीन काम नहीं करता। जब उसके विभाग से संबंधित कोई विषय मंत्रिमण्डल की कार्यसूची में होता है, तो उसे बैठक में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
(iii) राज्य मंत्री– इस मंत्री के पास किसी विभाग का स्वतंत्र प्रभार नहीं होता, यह कैबिनेट मंत्री के अधीन कार्य करता है। ऐसे मंत्री को उसका कैबिनेट मंत्री कार्य आवंटित करता है। यह आमंत्रण मिलने पर ही बैठक में भाग लेते हैं।
(iv) उप मंत्री– ऐसा मंत्री कैबिनेट मंत्री या स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के अधीन कार्य करता है। जिस मंत्री के अधीन वह कार्य करता है, वही उसे कार्य आवंटित करता है। यह कभी भी मंत्रिमण्डल की बैठक में भाग नहीं लेता।
Note- प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों को और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री को विभाग आवंटित करता है। अन्य मंत्रियों को कार्य का आवंटन उनके कैबिनेट मंत्री करते हैं।
मंत्रिमण्डल की भूमिका-
- मंत्रिमण्डल, केन्द्रीय सरकार का मुख्य नीति निर्धारक अंग होता है।
- मंत्रिमण्डल, राष्ट्रपति की सलाहकारी संस्था होती है तथा इसकी सलाह के अनुसार कार्य करता है।
- मंत्रिमण्डल, सभी विधायी और वित्तीय मामलों को देखती है।
- मंत्रिमण्डल, विदेश नीति और विदेश मामलों को भी देखती है।
मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमण्डल में अंतर-
मंत्रिपरिषद्-
- यह एक बड़ा निकाय है, जिसमें 60 से 70 मंत्री होते हैं।
- इसमें मंत्रियों की चारों श्रेणियाँ-कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), राज्य मंत्री, उप मंत्री शामिल होते हैं।
मंत्रिमण्डल-
- यह एक छोटा निकाय है, जिसमें 15 से 20 मंत्री होते हैं।
- इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।
- अतः यह मंत्रिपरिषद् का एक भाग है।