न्यायपालिका का निर्णय-
- शमशेर सिंह वाद तथा राम जवाया वाद में न्यायपालिका ने निर्णय दिया, कि अनुच्छेद-53 को अनुच्छेद-74, (1) के साथ मिलाकर पढ़ा जाना चाहिए। अतः राष्ट्रपति अपनी कार्यपालिकीय शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद् की सलाह एवं सहायता के आधार पर करेगा।
- उच्चतम न्यायालय के अनुसार, हमारे संविधान निर्माताओं ने संसदीय शासन प्रणाली का निर्माण किया है, जिसमें राष्ट्रपति, संवैधानिक प्रधान होते हैं तथा प्रधानमंत्री, वास्तविक प्रधान होते हैं।
उपराष्ट्रपति योग्यताएँ-
- वह भारत का नागरिक हो।
- वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
- राज्य सभा का सदस्य बनने के लिए योग्यता रखता हो।
- वह किसी लाभ के पद पर न हो। परंतु वर्तमान राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति, किसी राज्य का राज्यपाल और संघ अथवा राज्य का मंत्री को लाभ का पद नहीं माना जाऐगा।
निर्वाचन (अनुच्छेद-66)-
- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन, भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाता है।
- उपराष्ट्रपति का चुनाव, आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा कराया जाता है।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्य सभा और लोक सभा के सदस्य मतदान करते हैं।
- यह बिन्दु ध्यान देने योग्य है, कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य भी मतदान करते हैं, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य मतदान नहीं करते हैं।
- राज्य विधान मण्डलों के सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं करते हैं, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधान मण्डलों के सदस्य मतदान करते हैं।
- उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए 20 प्रस्तावक तथा 20 अनुमोदक होते हैं।
- उम्मीदवार के लिए जमानत राशि, 15,000 रूपये है। इस राशि को उम्मीदवार ’भारतीय रिजर्व बैंक‘ में जमा कराते हैं।
कार्यकाल (अनुच्छेद-67)-
- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण से 5 वर्ष तक होता है।
- उपराष्ट्रपति पद के लिए कोई व्यक्ति दोबारा भी चुना जा सकता है।
- 5 वर्ष की अवधि के पश्चात् भी उपराष्ट्रपति तब तक पद त्याग नहीं करता है, जब तक कि नया उपराष्ट्रपति पद ग्रहण न कर ले।
शपथ (अनुच्छेद-69)-
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति को शपथ ग्रहण कराते हैं।
पद से हटना-
- उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को इस्तीफा देकर पद त्याग कर सकता है।
- राज्य सभा के पूर्ण बहुमत से पारित संकल्प द्वारा जिससे लोक सभा सहमत हो, उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है। हटाने के प्रस्ताव का आरंभ राज्य सभा में होगा।
- उपराष्ट्रपति को हटाने संबंधित प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले सूचित किया जाता है।
उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ-
- संविधान में उपराष्ट्रपति के रूप में उसका कोई कार्य वर्णित नहीं है।
- राज्य सभा के पदेन सभापति तथा राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या पद रिक्ति के समय वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। उपराष्ट्रपति अपना वेतन राज्य सभा के सभापति के रूप में प्राप्त करता है।
भारत के उपराष्ट्रपति– नाम वर्ष
- डॉ. एस. राधाकृष्णन 1952 – (राष्ट्रपतिबने)
- डॉ. एस. राधाकृष्णन 1957
- डॉ. जाकिरहुसैन 1962 – (राष्ट्रपतिबने)
- वी. वी. गिरि 1967 – (राष्ट्रपतिबने)
- जी. एस. पाठक 1969
- बी. डी. जत्ती 1974
- एम. हिदायतुल्ला 1979
- आर. वेंकटरमन 1984 – (राष्ट्रपतिबने)
- डॉ. शंकरदयालशर्मा 1987 – (राष्ट्रपति बने)
- के. आर. नारायणन 1992 – (राष्ट्रपतिबने)
- कृष्णकांत 1997
- बी. एस. शेखावत 2002
- मो. हामिदअंसारी 2007
- मो. हामिदअंसारी 2012
- एम. वैंकेयानायडू 2017 सेअब तक
प्रधानमंत्री-
प्रधानमंत्री की नियुक्ति-
- संविधान में प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं दी गई है।
- संविधान के अनुच्छेद-75 (1) के अनुसार, ’राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा‘ परंतु संसदीय परंपरा के अनुसार वह बहुमत दल के नेता या गठबंधन के नेता की नियुक्ति करता है।
शपथ-
- प्रधानमंत्री को, राष्ट्रपति पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं।
कार्यकाल-
- प्रधानमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है।
- वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत अपने पद पर बना रहता है। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है, कि राष्ट्रपति किसी भी समय प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा दे।
- प्रधानमंत्री को जब तक लोक सभा में बहुमत प्राप्त है, राष्ट्रपति उसे हटा नहीं सकता है।
- लोक सभा में अपना बहुमत खो देने पर उसे अपने पद से त्याग पत्र देना होगा।
- त्याग पत्र न देने पर राष्ट्रपति उसे पद से हटा सकते हैं।