राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित कुछ तथ्य-
(i) डॉ. जाकिर हुसैन तथा फखरूद्दीन अली अहमद की मृत्यु कार्यकाल के दौरान हुई।
(ii) नीलम संजीव रेड्डी, निर्विरोध निर्वाचित होने वाले प्रथम राष्ट्रपति हैं।
(iii) वी. वी. गिरि (1969) निर्दलीय उम्मीदवार थे, जो द्वितीय चरण की मतगणना में विजयी हुए तथा उन्होंने कांग्रेस के अधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को पराजित किया।
शपथ-
- राष्ट्रपति, अनुच्छेद-60 के अनुसार शपथ लेते हैं। भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति को शपथ दिलाते हैं।
निर्वाचन की प्रक्रिया (अनुच्छेद-55)-
- राष्ट्रपति के चुनाव में ’आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय गुप्त मत प्रणाली‘ का प्रयोग किया जाता है।
- इसमें जीत के लिए उम्मीदवार को मतों का एक कोटा प्राप्त करना होता है।
- संविधान में यह प्रावधान है, कि राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो तथा राज्यों एवं संघ के मध्य भी समानता हो।
- इसके लिए राज्य विधान सभा के सदस्यों तथा संसद सदस्यों के मतों का मूल्य निर्धारित किया जाता है।
- एक विधायक के मत का मूल्य, राज्य की कुल जनसंख्या में उस राज्य के विधान सभा के कुल निर्वाचित सदस्यों का भाग दिया जाएगा, इसके बाद इसमें एक हजार का भाग दिया जाएगा।
- एक सांसद के मत का मूल्य, 28 राज्यों के विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों के मतों का मूल्य तथा दिल्ली और पाँडिचेरी के विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों का मूल्य, जिसमें कुल निर्वाचित सांसदों का भाग दिया जाएगा। इसके परिणाम स्वरूप प्राप्त होने वाला गुणांक ही, एक सांसद के मत का मूल्य होगा।
राष्ट्रपति का कार्यकाल (अनुच्छेद-56)-
- राष्ट्रपति, जिस तिथि से अपना पद ग्रहण करते हैं, उस तिथि से 5 वर्षो तक उनका कार्यकाल होगा।
- राष्ट्रपति, अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को सौंपते हैं।
- राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के समाप्त होने के बाद भी तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक कि नया राष्ट्रपति पद ग्रहण नहीं करता।
- राष्ट्रपति, पुनर्निर्वाचित भी हो सकते हैं। (अनुच्छेद 57 के तहत)