बायोमास
- देश के ग्रामीण इलाकों में ईंधन का प्रमुख स्रोत लकड़ी तथा उसके बाद कृषि अवशिष्ट पदार्थ है ये सभी बायोमास के अन्तर्गत आते हैं तथा इन्हें जलाने से ऊर्जा की प्राप्ति होती है। अर्थात् बायोमास जैव ऊर्जा का एक स्रोत है।
- बायोमास को सीधे ही अकुशल रूप से जलाने की सामान्य पद्धति से कम ऊर्जा की प्राप्ति होती है तथा प्रदूषण फैलने से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है अतः बायोमोस के अधिक कुशल व वैज्ञानिक तकनीक से जैवाण्विक संवर्द्धन द्वारा मिथेन का निर्माण कर अथवा यीस्ट फमेंटेशन द्वारा इथेनॉल का निर्माण कर ऊर्जा प्राप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
- बायोमास कार्यक्रम के दो प्रमुख अंग है।
- बायोमास उत्पादन –
इसके अन्तर्गत तीव्रता से बढ़ने वाली और कम अवधि में तैयार होने वाली प्रजातियों का विकास किया जा रहा है। ताकि जलाऊ लकड़ी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
- बायोमास उपयोग – दो घटक
बायोमास ब्रिकेटिंग और बायोमास गैसीकरण
ब्रिकेटिंग घटक के तहत् कृषि, वन एवं औद्योगिक अवशिष्टों से बायोमास पिंड (ब्रिकेट) का निर्माण होता है।
बायोमास गैसीकरण घटक के तहत् औद्योगिक उपयोगों के लिए ताप ऊर्जा उत्पादन करने, पानी की पंपिंग और विद्युत पैदा करने के लिए बायोमास गैसीफायर के तीन किलोवाट से 500 किलोवाट तक की क्षमता वाली 12 डिजाइन तैयार किए गए है इस गैसीफायरों में लकड़ी के टुकड़े, नारियल के खोलों आदि बायोमास का प्रयोग किया जाता है।
ऊर्जा के विभिन्न स्रोत
- ऊर्जा कार्य, गति, प्रगति, जीवन का आधार है। कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। कार्य व ऊर्जा एक दूसरे के तुल्य होते हैं। ऊर्जा के मात्रक- जूल, कैलोरी, व अर्ग होते हैं। 1 कैलोरी = 186 जूल तथा 1 अर्ग = 107जूल होता है।
- ऊर्जा सजीव व निर्जीव दोनों में पाई जाती है।
ऊर्जा के स्रोत –
(1) यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy) –
- प्रत्येक गतिशील या स्थिर वस्तु में यांत्रिक ऊर्जा होती है। यांत्रिक ऊर्जा दो प्रकार की होती है स्थितिज एवम् गतिज।
- वस्तु की स्थिति व आकृति में परिवर्तन करने से उसमें स्थितिज ऊर्जा संचित हो जाती है। जैसे किसी वस्तु को ऊपर उठाते हैं तो हमें पृथ्वी के गुरूत्व बल के विरूद्ध कार्य करना पड़ता है। यह क्रिया गरल कार्य वस्तु में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। गतिमान वस्तुओं में गति के कार्य करने की क्षमता होती है। यह गतिज ऊर्जा कहलाती है।