।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- रावी– व्यास जल समझौता : 1955 में हुआ। यह पंजाबा, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली के बीच हुआ।
- इस समझौते को 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब ने इसे तोड़ दिया।
- 1986 में ‘इराड़ी कमिशन‘ ने राजस्थान को 8.6 MAF पानी आवंटित किया।
- राजस्थान को मिलने वाला कुल पानी : 7.59 MAF – IGNP में, .33 – MAF गंग नहर में, .21 MAF भाखड़ा नहर में, .34 MAF सिद्धमुख नहर में तथा .13 MAF नोहर नहर में प्राप्त होता है।
- व्यास परियोजना का उद्देश्य : शीतकाल में IGNP को सतत् पानी उपलब्ध कराना।
- व्यास परियोजना पर स्थित पौग व पन्डोह बांधों के द्वारा IGNP व भाखड़ा नागल में पानी पहुंचाया जाता है।
मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ
- झालावाड़ : छापी मध्यम सिंचाई परियोजना (छापी नदी पर)।
– चाँवली मध्यम सिंचाई परियोजना (चँवली नदी पर)।
– भीमसागर मध्यम सिंचाई परियोजना (उजाड़ नदी पर)।
- दसवीं पंचवर्षीय योजना में प्रस्तावित व अब निर्माणाधीन परियोजनाएं :
– पिपलाद मध्यम सिंचाई परियोजना।
– गांगरोण मध्यम सिंचाई परियोजना। – आहू नदी पर झालावाड़ में
– राजगढ़ मध्यम सिंचाई परियोजना। – कन्थारी – आहू सगंम झालावाड़
- बारां : (i) परवन मध्यम सिंचाई परियोजना, (ii) बैथली मध्यम सिंचाई परियोजना, (iii) बिलास मध्यम सिंचाई परियोजना। (iv) ल्हासी सिंचाई परियोजना
- कोटा : (i) सावन भादो मध्यम सिंचाई परियोजना (ii) आलनिया मध्यम सिंचाई परियोजना (iii) हरिशचन्द्र सागर मध्यम सिंचाई परियोजना- पुराना नाम कालीसिंध। यह कोटा व झालावाड़ (15 : 3) के बीच। तकली बांध (रामगंज मण्डी)।
- बूंदी : गुढ़ा, पबैलपुरा, चाकण तथा गरदड़ा में।
- भीलवाड़ा : मेजा (कोठारी नदी पर), अडवान (मांसी नदी पर) शाहपुरा में, खारी बांध (आसीन्द के पास) खारी नदी पर।
- नारायण सागर : खारी नदी पर अजमेर में।
- जोधपुर : जसवंत सागर (लूनी नदी पर)।
- टोंक : टोरड़ी सागर (खारी नदी पर)।
- राजसमंद : राजसमंद (गोमती नदी पर) व नन्दसमंद (बनास नदी पर)।
- जालौर : बाँकली बांध (सुकड़ी नदी पर) व बाड़ी सेदड़ा (बांड़ी नदी पर)।
- पाली : जवाई बांध। सेई बाँध।
- उदयपुर : (i) जयसमंद तथा (ii) सेई परियोजना- इसके अन्तर्गत उदयपुर जिले की ‘कोटड़ा‘ तहसील में सेई बांध बनाया गया तथा अरावली में सुरंग बनाकर इसका पानी जवाई में डाला गया है।
(iii) सोम-कागदर-खैरवाड़ा तहसील में सोम नदी पर। कागदर गांव के पास खारी नदी पर।
- डूंगरपुर : सोम-कमला-अम्बा। लाभान्वित जिले डूंगरपुर तथा उदयपुर।
- सिरोही : वेस्ट बनास बांध तथा सुकली सेलवाड़ बांध।
- भरतपुर : बंध बारेठा बांध तथा अजान बांध। मोती झील।
- धौलपुर : पार्वती बांध।
- करौली : पांचना बांध, काली सील तथा इंदिरा सागर लिफ्ट योजना।
- सवाईमोधापुर : मोरेल बांध, पीपलदा, सूरवाल तथा मोरा सागर।
राजस्थान की प्रमुख पेयजल परियोजनाएँ
- मानसी वाकल परियोजना– मानसी वाकल नदी पर उदयपुर के निकट गोराण गाँव में मानसी वाकल बांध का निर्माण। यह देश की सबसे लम्बी जल सुरंग है। अरावली की पहाड़ियों में यह दूसरी सुरंग है जिससे उदयपुर शहर को जलापूर्ति की जायेगी।
- देवास द्वितीय परियोजना– साबरमती की सहायक वाकल नदी पर झाडोल तहसील के आकोदड़ा गांव में आकोदड़ा बांध और गिरवा तहसील के मादड़ी गांव में मादड़ी बांध बनाना प्रस्तावित है। जिसका मुख्य उद्देश्य उदयपुर की झीलों को भरना व उदयपुर को पेयजल आपूर्ति करना है।
- बघेरी का नाका परियोजना– राजसमंद जिले के माचीन्द गांव के निकट बनास नदी पर बांध का निर्माण कर इस जिले को पेयजल आपूर्ति की जायेगी।
- नागौर लिफ्ट योजना– इस योजना के तहत इन्दिरा गांधी नहर की कनासर वितरिका के पानी से बीकानेर के कोलायत व नोखा तथा नागौर जिले को पेयजल उपलब्ध होगा।
- राज्य की जल नीति– जल संसाधनों की आवश्यकता के अनुरूप अनुकूलतम उपयोग के लिए मंत्रिमण्डल ने 19 सितम्बर, 1999 को राज्य की जल नीति को मंजूरी दी।
- राष्ट्रीय जल नीति, 2002 – राष्ट्रीय जलसंसाधन परिषद् ने 11 अप्रेल, 2002 को राष्ट्रीय जल नीति को मंजूरी दी। इस नीति में ‘सबके लिए पेयजल‘ की व्यवस्था को सर्वाच्च प्राथमिकता दी गई है तथा राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे जल संसाधन के एकीकृत प्रबंधन और विकास के मकसद से संस्थागत उपाय करें।
- नवीन जल नीति-: 2010
- तेलीया पानी– जब पानी में कार्बोनेट की मात्रा अधिक एवं लवणीयता कम हो तो उसे तेलीया पानी कहते हैं। ऐसे पानी से सिंचाई करने से मृदा में क्षारीयता बढ़ जाती है। इसके उपचार हेतु जिप्सम का उपयोग किया जाता है।