नहर का नाम | परिवर्तित नाम | सिंचित जिले |
1. बीकानेर-लूनकरणसर लिफ्ट नहर | कँवरसेन लिफ्ट नहर (सबसे लम्बी लिफ्ट नहर) | बीकानेर एवं गंगानगर |
2. गंधेली-साहवा लिफ्ट नहर | चौधरी कुम्भाराम आर्य | बीकानेर, हनुमानगढ़ व चूरू |
3. गजनेर लिफ्ट नहर | पन्नालाल बारूपाल | बीकानेर, नागौर |
4. बांगड़सर लिफ्ट नहर | (भैरूदान छंगाणी) व वीर तेजाजी | बीकानेर |
5. कोलायत लिफ्ट नहर | करणीसिंह | बीकानेर, जोधपुर |
6. फलौदी | गुरू जम्भेश्वर | जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर |
7. पोकरण | जयनारायण व्यास | जोधपुर, जैसलमेर |
- कुल लिफ्ट नहरे ‘7‘ हैं। एक प्रथम चरण में तथा छः द्वितीय चरण में।
- 2011-12 में इन लिफ्ट नहरों व IGNP को पूरा कर लिया जायेगा।
- यह 8 जिलों की सिंचाई व 10 जिलों को पेयजल उपलब्ध कराती है। जिले- गंगानगर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, हनुमानगढ़, नागौर, सीकर, चूरू, बाड़मेर सिंचाई व झुन्झुनूं में पेयजल के लिए।
- गंग नहर : 5 सितम्बर, 1921 को गंगासिंह द्वारा शीलान्यास। राज्य की प्रथम नहर सिंचाई परियोजना
- यह सतलज नदी पर हुसैनीवाला (पंजाब) से शिवपुर (गंगानगर) तक है।
- इसकी कुल लम्बाई 129 किमी. है। पंजाब में 112 किमी. है तथा गंगानगर में 17 किमी. है।
- चूने से निर्मित।
- सिंचाई क्षमता 3.08 लाख हैक्टेयर।
– लोकार्पण – लार्ड इरविन के द्वारा 1927 में।
– गंगनहर लिंक कैनाल (चैनल) – निर्माण 1980 में।
उद्देश्य- गंगनहर की मरम्मत के दौरान गंगानगर के लोगों को सिंचाई सुविधा देने के लिए इसका निर्माण किया गया।
– 2000 से इसकी मरम्मत शुरू हुई जो 2008 तक पूर्ण।
– यह लिंक कैनाल लोहगढ़ (हरियाणा) से साधुवाली (गंगानगर) तक बनाई गई।
- गुड़गांव नहर : ओखला बैराज यमुना नदी पर बना हुआ है।
– इस बैराज से गुड़गांव नहर बनाई गई है जो भरतपुर के ‘जुरहरा‘ गांव से राजस्थान में प्रवेश करती है।
– यह भरतपुर की ‘डींग‘ व ‘कामा‘ दो तहसीलों को यह सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराती है।
- भरतपुर नहर : आगरा के 111 किमी. वाले माइल स्टोन से भरतपुर नहर निकलती है।
– इसकी लम्बाई 28 किमी. है इसमें से 12 किमी. उत्तरप्रदेश में तथा 16 किमी. भरतपुर में है।
- बीसलपुर बांध :बनास नदी पर। दायीं व बायीं नहर दो नहरें निकाली गई है। लाभान्वित जिला टोंक है। अजमेर व जयपुर का पेयजल का सुविधा। बहुद्देशीय परियोजना।
- जाखम बांध : जाखम नदी पर, यह अनूपपुरा गांव के पास प्रतापगढ़ में है।
इसके नीचे (दक्षिण में) ‘नागलिया पिक अप वीयर‘ बांध बना है।
इस पिक अप वीयर से दो नहरें निकाली गई हैं। इससे लाभान्वित जिला प्रतापगढ़ है।
- राजीव गांधी सिद्धमुख–नोहर परियोजना : 2002 को लोकार्पण सिद्धमुख (चूरू) तथा नोहर (हनुमानगढ़) में। 113 गांव लाभावन्वित।
– भाखड़ा नहर की फेफाणा शाखा से निकाली गई नहर ‘नोहर‘ तक तथा भिराणी से निकाली गई नहर ‘सिद्धमुख‘ तक आती है।
– यह EEC ‘यूरोपीय आर्थिक समुदाय‘ के सहयोग से निर्मित है।
- सिद्धमुख–रतनपुरा वितरिका परियोजना : सिद्धमुख नहर से यह शाखा निकाली गई है। यह भी हनुमानगढ़ व चूरू को लाभान्वित करेगी।
- नर्मदा नहर : इस नहर में राजस्थान का हिस्सा .5 MAF या 5 लाख एकड़ फीट है।
- इस जल के उपयोग हेतु सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नहर निकाली गई।
- बालेरा, वांक, रतौडा, कैरिया, गांधव, जैसला, मानकी आदि इस नहर की प्रमुख वितरिकाएं है। 1541 गाँव लाभान्वित।
– राजस्थान में ‘सीलू‘ (जालौर) नामक स्थान से प्रवेश। 18 मार्च, 2008 को ‘सीलू‘ में पानी पहुंचा था। इसका लोकार्पण लालपुरा (सांचौर) में वसुंधरा राजे ने 27 मार्च, 2008 को किया।
– यह जालौर व बाड़मेर को पानी उपलब्ध कराती है। यह भारत की पहली सिंचाई परियोजना है जिसमें फव्वारा पद्धति को अनिवार्य किया गया है।
- ईसरदा बांध : सवाई माधोपुर में बनास नदी पर स्थित। लाभान्वित जिलें- टोंक, सवाई माधोपुर तथा जयपुर शहर को पेयजल मिलेगा।
- भीखाभाई सागवाड़ा साइफन नहर : डूंगरपुर में माही नदी पर स्थित। डूंगरपुर व बांसवाड़ा लाभान्वित जिले।
- यमुना जल सिंचाई परियोजना (प्रस्तावित) : यमुना जल सिंचाई समझौता 1994 में हुआ। यह हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व दिल्ली के बीच हुआ।
- राजस्थान को 1.119 BMC पानी दिया गया।
- इस परियोजना से तीन नहरें निकाली जायेंगी-
(i) पश्चिमी यमुना नहर (ii) जवाहरलाल नेहरू नहर (iii) लुहारू नहर।
- तीन लाभान्वित जिले – भरतपुर, झुन्झुनूं व चूरू