राजस्थान सामान्य ज्ञान : संत एवं सम्प्रदाय

संत एवं सम्प्रदाय

राजस्थान के प्रमुख सम्प्रदाय

हिन्दू धर्म राजस्थान प्रदेश का मुख्य धर्म है। हिन्दू धर्म के अंतर्गत विष्णु पूजक अर्थात वैष्णव धर्म में आस्था रखने वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक हैं। वैष्णवों के अतिरिक्त शैव एवं शाक्त मतावलम्बी भी प्रदेश में न्यून संख्या में निवास करते हैं। वैष्णव, शैव एवं शाक्त तीनों ही मत अनेक पंथों एवं सम्प्रदायों में बंटे हुए हैं।

सगुण सम्प्रदायनिर्गुण सम्प्रदाय
रामानुज सम्प्रदायविश्नोई सम्प्रदाय
वल्लभ सम्प्रदायजसनाथी सम्प्रदाय
निम्बार्क सम्प्रदायदादू सम्प्रदाय
नाथ सम्प्रदायरामस्नेही सम्प्रदाय
गौड़ीय सम्प्रदायपरनामी सम्प्रदाय
पाशुपत सम्प्रदायनिरंजनी सम्प्रदाय
निष्कलंक सम्प्रदायकबीरपंथी सम्प्रदाय
चरणदासी सम्प्रदायलालदासी सम्प्रदाय
मीरादासी सम्प्रदाय

 

वैष्णव धर्म एवं उसके सम्प्रदाय :-

वैष्णव :- विष्णु के उपासक

वैष्णव धर्म के विषय में प्रारम्भिक जानकारी उपनिषदों से मिलती है। वैष्णव धर्म को भागवत धर्म भी कहा जाता है।

प्रवर्तक :- वासुदेव श्रीकृष्ण

 आधार :- अवतार

विष्णु के 14 अवतार हैं। मत्स्य पुराण में इसके 10 अवतारों का वर्णन हैं।

सबसे पवित्र अवतार :- वराह का अवतार

 दक्षिण भारत में वैष्णव भक्ति आन्दोलन को सक्रिय करने में तमिल के आलवार सन्तों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एकमात्र महिला आलवार सन्त :- अंडाल

 दिव्य प्रबधम :– 12 आलवार सन्तों की काव्य रचना।

राजस्थान में वैष्णव धर्म का सर्वप्रथम उल्लेख द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व के घोसुण्डी अभिलेख में मिलता है।

वैष्णव धर्म के सम्प्रदाय :- (i) रामानुज सम्प्रदाय (ii) रामानन्दी सम्प्रदाय (iii) निम्बार्क सम्प्रदाय (iv) वल्लभ सम्प्रदाय (v) ब्रह्म या गौड़ीय सम्प्रदाय

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