श्वसन तंत्र
ऑक्सीय एवं अनाॅक्सीय श्वसन
- आन्तरिक श्वसन दो प्रकार का होता है- अनॉक्सी श्वसन तथा ऑक्सीश्वसन।
- अनॉक्सीश्वसन में ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोज (C6H12O6) का विघटन एथिल एल्कोहल व CO2 में होता है। इसमें 2 A.T.P. ऊर्जा प्राप्त होती है।
- ऑक्सीश्वसन में ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोस का विघटन CO2 व जल (H2O) के रूप में होता है व 36 A.T.P. ऊर्जा मुक्त होती है।
- सम्पूर्ण आन्तरिक या कोशकीय श्वसन में एक अणु ग्लुकोस से 38 A.T.P. ऊर्जा मुक्त होती है।
- मनुष्य में श्वसन तंत्र में नसिका रन्ध्र, श्वासनली, कूपिका वाहिनी, फेफड़े तथा डायफ्राम प्रमुख अंग होते हैं।
- श्वसन दर स्पीरोमीटर से नापते हैं।
- वयस्क पुरूष में श्वसन दर – 14-16/min। श्वसन गुणांक एक होता है।
- नवजात शिशु में श्वसन दर – लगभग 44/min।
- प्राणी– मछली, झींगा, सीप आदि क्लोम द्वारा। छिपकली, पक्षी, मनुष्य आदि फुफ्फुस द्वारा। केंचुआ त्वचा द्वारा। टिड्डे, मक्खी, तिलचट्ट आदि श्वासनली द्वारा श्वसन करते हैं।
किण्वन
- किणवन की खोज क्रइकशैन्क ने की थी। किण्वन शब्द का प्रयोग उन क्रियाओं के लिये किया जाता है जिनमें विभिन्न जीवाणुओं व कवकों के ऑक्सी व अनॉक्सी श्वसन द्वारा ग्लूकोज का अपूर्ण विघटन होकर CO2व एथिल एल्कोहल का निर्माण व साथ-साथ में दूसरे कार्बनिक अम्ल जैसे- एसिटिक अम्ल, ऑक्जेलिक अम्ल इत्यादि बनते हैं, किण्वन क्रिया में बनने वाले उत्पाद को निम्न प्रकारों में बांटा गया हैं-
- एल्कोहलीय किण्वन, 2. लेक्टिक अम्ल किण्वन, 3. एसिटिक अम्ल किण्वन, 4. ब्यूटाइरिक अम्ल किण्वन।
क्रेब्स चक्र
- इसका वर्णन हैन्स क्रेब ने सन् 1937 ई. में किया। इसको साइट्रिक अम्ल चक्र या ट्राइकार्बोक्सिलिक चक्र भी कहा जाता है। यह माइट्रोकॉन्ड्रिया के अन्दर विशेष एन्जाइम की उपस्थिति में ही सम्पन्न होता है। क्रैब्स चक्र श्वसन की द्वितीय व अंतिम अभिक्रिया है। इसमें पाइरूबिक अम्ल से विभिन्न कार्बनिक अम्लों का निर्माण होता है। इस क्रिया को अनेक एंजाइम नियंत्रित करते हैं। इस प्रक्रम में 36 ATP अणु बनते हैं। इस प्रकार श्वसन में कुल 38 ATP अणुओं का निर्माण होता है।
ग्लायकोलिसिस
- इसका अध्ययन सर्वप्रथम एम्बडेन मेयरहॉफ, पारसन ने किया था। इसलिए इसे EMP पथ भी कहते हैं। इसको अनॉक्सी श्वसन या शर्करा किण्वन भी कहा जाता है। इसमें ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ऊर्जा मुक्त होती है।
- विभिन्न सजीव ऊतकों में क्रमबद्ध विघटनकारी अभिक्रियाओं द्वारा हेक्जोसेस (प्रायः ग्लूकोज) के पाइरूविक अम्ल में परिवर्तन को ग्लाइकोलिसिस (Glycolysis) कहते हैं। ग्लाइकोलिसिस की समग्र प्रक्रिया को निम्नलिखित समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है-