आर्यों के आदिस्थल एवं उनके बारे में विचार
विद्वान | आदिस्थल के बारे में मत |
बाल गंगाधार तिलक | उत्तरी धुव |
मैक्समूलर | मध्य एशिया |
दयानंद सरस्वती | तिब्बत |
पेनका, हर्ट | जर्मनी |
गाइल्स | हंगरी अथवा डेन्यूब घाटी |
विलियम जोंस | यूरोप |
ऋग्वैदिक काल :
- इस काल की सम्पूर्ण जानकारी हमें ऋग्वेद से मिलती है।
- ऋग्वेद में आर्य निवास के लिए सर्वत्र सप्त सैंधव शब्द का प्रयोग हुआ है।
- आर्यों का भौगोलिक विस्तार पंजाब, अफगानिस्तान, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश या यमुना नदी के पश्चिम भाग तक था।
- दाशराज्ञ युद्ध परुष्णी (रावी) नदी के किनारे हुआ था।
राजनीतिक अवस्था :
- ऋग्वैदिक काल में सामान्यतः राजतंत्र का प्रचलन था परन्तु राजा का पद दैवीय नहीं माना जाता था।
- कबीलाई सभा द्वारा राजा को चुने जाने की सूचना मिलती है। सभा, समिति व विदथ का ऋग्वेद में उल्लेख है।
- सभा श्रेठ जनों की संस्था थी जबकि समिति आम जन – प्रतिनिधि सभा थी जिसमें जन के समस्त लोग सम्मिलित होते थे।
- इस काल में कोई नियमित कर व्यवस्था नहीं थी।
सामाजिक स्थिति :
- ऋग्वैदिक समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार थी। कई परिवार मिलकर ग्राम तथा कई ग्राम मिलकर ‘विश’ एवं कई विश मिलकर जन का निर्माण करते थे।
- पितृसत्तात्मक परिवार वैदिकालीन सामाजिक जीवन का केन्द्र बिन्दु था।
- प्रारम्भ में इस काल का समाज वर्गविभेद से रहित था।
- ऋग्वेद में वर्ण शब्द कहीं – कहीं रंग तथा कहीं – कहीं व्यवसाय के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
- ऋग्वेद के दशम मंडल के ‘पुरुष सूक्त’ के अनुसार ब्राह्मण की उत्पत्ति मुख से, क्षत्रिय की बाहू से, वैश्य की जांघ से तथा शूद्र की पैरों से हुई बताई गयी।
- स्त्रियां सभा और समिति में भाग लेती थीं।
- विधवा विवाह, नियोग प्रथा, अंतर्जातीय विवाह, बहुपत्नीत्व, बहुपतित्व प्रथा का प्रचलन था।
- बाल विवाह, सती प्रथा तथा पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था।
- ऋग्वेद काल में दास प्रथा विद्यमान थी।
आर्थिक स्थिति :
- ऋग्वेद काल में आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था। ऋग्वेद सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी।
- इस काल के लोग लोहे से अपरिचित थे।
- कृषि कार्यों की जानकारी लोगों को थी।
धार्मिक स्थिति :
- ऋग्वेद आर्य बहुदेववादी होते हुए भी ईश्वर की एकता में विश्वास करते थे।
- इस काल में लोगों ने प्राकृतिक शक्ति का मानवीयकरण कर पूजा की।
- ऋग्वैदिक आर्यों की देवमंडली तीन भागों में विभाजित थी।
- ऋग्वेद काल में इन्द्र सबसे प्रमुख देवता था। यह युद्ध, बादल एवं वर्षा का देवता था। इसे पुंदर कहा गया है।
- बोगजकोई अभिलेख में वैदिक देवता इन्द्र, मित्र, वरुण और नासत्य का उल्लेख है।
- सोम वनस्पति का देवता था।
उत्तर वैदिक काल :
- जिस काल में यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, आरण्यक तथा उपनिषद् की रचना हुई उसे उत्तरवैदिक काल (1000-600 ई.पू.) कहते हैं।