राजस्थान सामान्य ज्ञान : वैदिक संस्कृति

वैदिक संस्कृति

भारत में आर्य़ों का आगमन

  • आर्य शब्द जाति का सूचक न होकर भाषा का सूचक है। अथर्ववेद का पृथ्वी सूक्त वैदिककालीन राष्ट्रगीत है।
  • वेद शब्द ‘विद्’ धातु से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है जानना या ज्ञान।
  • भारत में आर्य़ों के आगमन की मान्य तिथि 1500 ई.पू. लगभग है।
  • वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया गया है- ऋग्वैदिक युग (1500 से 1000 ई.पू.) और उत्तरवैदिक काल  (1000-600 ई.पू.)।
  • आर्य किस प्रदेश के मूल निवासी थे यह इतिहासकारों के बीच एक विवादास्पद प्रश्न है।
  • वेदों को अपौरुषेय कहा गया है। गुरु द्वारा शिष्यों को मौखिक रूप से कंठस्थ कराने के कारण वेदों को श्रुति की संज्ञा दी गयी है।

ऋग्वेद :

  • ऋग्वेद देवताओं की स्तुति से संबंधित रचनाओं का संग्रह है।
  • यह 10 मंडलों में विभक्त है। इसमें 2 से 7 तक के मंडल प्राचीनतम (वंश मंडल) माने जाते हैं। प्रथम एवं दशम मंडल बाद में जोड़े गये हैं। इसमें कुल 1028 सूक्त हैं।
  • इसकी भाषा पद्यात्मक है।

यजुर्वेद :

  • यजु का अर्थ होता है यज्ञ।
  • यजुर्वेद में यज्ञ विधियों का वर्णन किया गया है।
  • यजुर्वेद की भाषा पद्यात्मक तथा गद्यात्मक दोनों है।

सामवेद :

  • सामवेद की रचना ऋग्वेद में दिये गये मंत्रों को गाने योग्य बनाने के उद्देश्य से की गयी थी।
  • सामवेद को भारत की प्रथम संगीतात्मक पुस्तक होने का गौरव प्राप्त है।

अथर्ववेद :

  • अथर्ववेद की रचना अथर्वा ऋषि ने की थी।
  • इसमें रोग तथा उसके निवारण के साधन के रूप में जादू, टोनों आदि की जानकारी दी गयी है।
  • इसे अनार्यों की कृति मानी जाती है।
  • आरण्यक ग्रंथों की रचना जंगलों में ऋषियों द्वारा की गयी थी।
  • उपनिषद् प्राचीनतम दार्शनिक विचारों का संग्रह है।
  • ‘सत्यमेव जयते’ मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।

वेदांग और सूत्र साहित्य 

  • वेदांगों की संख्या छः है – शिक्षा, व्याकरण, कल्प, निरूक्त, छन्द, ज्योतिष।
  • सूत्र साहित्य वैदिक साहित्य का अंग न होने के बावजूद उसे समझने में सहायक है।

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