वैदिक संस्कृति
भारत में आर्य़ों का आगमन
- आर्य शब्द जाति का सूचक न होकर भाषा का सूचक है। अथर्ववेद का पृथ्वी सूक्त वैदिककालीन राष्ट्रगीत है।
- वेद शब्द ‘विद्’ धातु से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है जानना या ज्ञान।
- भारत में आर्य़ों के आगमन की मान्य तिथि 1500 ई.पू. लगभग है।
- वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया गया है- ऋग्वैदिक युग (1500 से 1000 ई.पू.) और उत्तरवैदिक काल (1000-600 ई.पू.)।
- आर्य किस प्रदेश के मूल निवासी थे यह इतिहासकारों के बीच एक विवादास्पद प्रश्न है।
- वेदों को अपौरुषेय कहा गया है। गुरु द्वारा शिष्यों को मौखिक रूप से कंठस्थ कराने के कारण वेदों को श्रुति की संज्ञा दी गयी है।
ऋग्वेद :
- ऋग्वेद देवताओं की स्तुति से संबंधित रचनाओं का संग्रह है।
- यह 10 मंडलों में विभक्त है। इसमें 2 से 7 तक के मंडल प्राचीनतम (वंश मंडल) माने जाते हैं। प्रथम एवं दशम मंडल बाद में जोड़े गये हैं। इसमें कुल 1028 सूक्त हैं।
- इसकी भाषा पद्यात्मक है।
यजुर्वेद :
- यजु का अर्थ होता है यज्ञ।
- यजुर्वेद में यज्ञ विधियों का वर्णन किया गया है।
- यजुर्वेद की भाषा पद्यात्मक तथा गद्यात्मक दोनों है।
सामवेद :
- सामवेद की रचना ऋग्वेद में दिये गये मंत्रों को गाने योग्य बनाने के उद्देश्य से की गयी थी।
- सामवेद को भारत की प्रथम संगीतात्मक पुस्तक होने का गौरव प्राप्त है।
अथर्ववेद :
- अथर्ववेद की रचना अथर्वा ऋषि ने की थी।
- इसमें रोग तथा उसके निवारण के साधन के रूप में जादू, टोनों आदि की जानकारी दी गयी है।
- इसे अनार्यों की कृति मानी जाती है।
- आरण्यक ग्रंथों की रचना जंगलों में ऋषियों द्वारा की गयी थी।
- उपनिषद् प्राचीनतम दार्शनिक विचारों का संग्रह है।
- ‘सत्यमेव जयते’ मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।
वेदांग और सूत्र साहित्य
- वेदांगों की संख्या छः है – शिक्षा, व्याकरण, कल्प, निरूक्त, छन्द, ज्योतिष।
- सूत्र साहित्य वैदिक साहित्य का अंग न होने के बावजूद उसे समझने में सहायक है।