वनों के सरंक्षण के लिए केन्द्र/राज्य सरकार के कार्यक्रम :
- सामाजिक वानिकी(Social Forestory) – यह 1975-76 में प्रारम्भ हुआ। ग्रामीण समुदाय के सहयोग से ग्राम पंचायत या नगरपालिका की भूमि पर वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है जिसे वे स्वयं की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम में ले सकते हैं।
- अरावली वृक्षारोपण कार्यक्रम (1992)– 10 जिलों में (5 उत्तर, 5 दक्षिण)। पहले 5 वर्ष के लिए चलाया गया फिर 5 वर्ष और बढ़ाया गया।
- उत्तरी भाग – जयपुर, अलवर, झुन्झुनूं, सीकर, नागौर।
- दक्षिणी भाग – पाली, चित्तौड़, उदयपुर, सिरोही, बांसवाड़ा।
- उद्देश्य – वृक्षों का विकास, जल ग्रहण क्षेत्र का विस्तार करना। यह कार्य जापान की एक संस्था Overceas Economic Copration Fund (O.E.C.F.) की सहायता से।
- वानिकी विकास परियोजना (1995)–उद्देश्य–Development of biodiversity। 15 गैर मरूस्थलीय जिलों में चलाई गई।
- प्रारम्भ मेंE.C.F. के सहयोग से चलाई गई इसका नाम अब J.B.I.C. (Japan Bank for International Copration) है। यह 2004 में समाप्त हो गई।
- बनास भू–जल संरक्षण कार्यक्रम (1999-2000)– राज्य सरकार द्वारा यह 4 जिलों में चलाया गया – टोंक, जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर।
- राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना– जापानी संस्था JICA (Japan Agency of International Corporation) वर्ष-2003-04 से राजस्थान के 18 जिलों में प्रारम्भ।
- राष्ट्रीय बाँस मिशन कार्यक्रम(National Bamboo Mission Programme) शत प्रतिशत भारत सरकार की योजना। राज्य के 11 जिलों में प्रारम्भ। वर्तमान में 8 जिलों में सचांलित। 2006-07 में शुरूआत।
पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन-: 24 अप्रैल 2018 को अनुमोदित।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
– प्रदेश का कुल वन क्षेत्र :- 32,828.37 वर्ग किमी.
– राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत वन क्षेत्र :- 9.59%
– प्रदेश का कुल वनावरण :- 16,572 वर्ग किमी. (4.84%)
– प्रदेश का कुल वृक्षावरण :- 8,266 वर्ग किमी.
– प्रदेश का कुल वनावरण व वृक्षावरण :- 24,838 वर्ग किमी. (7.26%)
– देश में वन क्षेत्र की दृष्टि से 9वॉ स्थान राजस्थान का हैं।
– प्रति व्यक्ति वनावरण एवं वृक्षावरण :- 0.04 हैक्टेयर।
– राज्य के वनों में कुल कार्बन स्टॉक :- 89.66 मिलियन टन।
– राज्य के तीन जैविक पार्क :- सज्जनगढ़ (उदयपुर)। 2015 में
नाहरगढ़ (जयपुर) जून 2016 में उद्घाटन
माचिया पार्क (जोधपुर)
चौथा जैविक पार्क “बीछवाल’ (बीकानेर) में स्थापित करने की घोषणा।
– नेचर पार्क :- चूरू।
– जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध “साबेला जलाशय’ डूंगरपुर में है।
– श्री कर्पूरचन्द कुलिश स्मृति वन :- झालाना (जयपुर)
– राजस्थान में खैर वन झालावाड़, कोटा, बारां, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर में पाये जाते हैं।
– आदिवासियों का हरा सोना :- बाँस।
– वागड़ का चिकू :- टीमरू।
– विभूति पार्क :- उदयपुर।
– सवाई तेजसिंह (अलवर शासक) ने 1947 में फोरेस्ट सेटलमेंट पुनरीक्षण पुस्तक (पीली किताब) तैयार करवाई।
– पंचकुड नर्सरी :- अजमेर में 1879 में स्थापित राज्य की प्राचीनतम पौधशाला।
– वन व पर्यावरण से सम्बन्धित दिवस :-
वन्य जीव प्राणी सप्ताह :- 1 से 7 अक्टूबर
विश्व पर्यावरण दिवस :- 5 जून।
विश्व वानिकी दिवस :- 21 मार्च।
अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस :- 22 मई
विश्व ओजोन दिवस :- 16 सितम्बर
विश्व पृथ्वी दिवस :- 22 अप्रैल
– वन महोत्सव :- 1 से 7 जुलाई।
– खेजड़ली दिवस :- 12 सितम्बर
– रेगिस्तान के प्रसार को रोकने में उपयोगी वृक्ष :- खेजड़ी
– आकलवुड कौसिल पार्क :- जैसलमेर में
– राज्य की प्रथम वन नीति :- 17 फरवरी, 2010। इस नीति के अनुसार राज्य के सम्पूर्ण भू-भाग के 20% भाग को वृक्षाच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया।
– सामाजिक वानिकी कार्यक्रम पाँचवी पंचवर्षीय योजना में शुरू किया गया। (1975-76)
– राजस्थान में चन्दन वन :- हल्दीघाटी (खमनौर) व देलवाड़ा क्षेत्र (सिरोही)।
– धामण, करड़, अंजन, मुराल :- घास की प्रजाति।
– कैक्टस गार्डन :- कुलधरा (जैसलमेर)
– “हरित राजस्थान’ योजना :- 18 जून, 2009 को शुरू।
– हर्बल गार्डन :- पुष्कर (अजमेर)। (22 जून, 2017)
– वन-धन योजना :- 2015-16 के बजट में घोषणा।
– वर्तमान में राजस्थान में 13 वन वृत्त हैं।
– राज्य में धोकड़ा के वन सर्वाधिक हैं।
– मरुस्थल का सागवान, मरुटीक, राजस्थान की “मरुशोभा’ रोहिड़ा (टिकोमेला अन्डुलेटा) को कहा जाता है। रोहिड़ा को 1983 में राजस्थान का राज्य पुष्प घोषित किया गया।
– राज्य का सबसे छोटा वन मण्डल :- सिरोही वन मण्डल
– राज्य का सबसे नया वन मण्डल :- बारां वन मण्डल
समाज | पवित्र पेड़ |
मुण्डा | महुआ |
बिश्नोई | खेजड़ी |
ओड़िसा की जनजातियाँ | इमली |
बौद्ध | पीपल |
– राजस्थान में शुष्क सागवान वृक्षारोपण हेतु उपयुक्त जिले :- डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर
– नीम के वृक्ष में पुष्प मई-जून में खिलते हैं।
– शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) :- जोधपुर में। (1988 में स्थापना)।
– 1994 से शुरू अमृतादेवी विश्नोई स्मृति पुरस्कार के तहत संस्था को 1 लाख रुपये की राशि एवं व्यक्तिगत श्रेणी में 50 हजार रुपये की राशि दी जाती है।
2017 :- डॉ. रागिनी शाह (बाँसवाड़ा)
– राजीव गाँधी पर्यावरण पुरस्कार विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) को प्रदान किये जाते हैं।
– मरूधरा बायोलॉजिकल पार्क :- बीकानेर
– दादू पर्यावरण संस्थान :- टोंक
– 2015 का अमृता देवी पुरस्कार :- जलधारा विकास संस्थान (भीलवाड़ा)