जनजातियों का भौगोलिक वितरण
– राजस्थान में भौगोलिक वितरण की दृष्टि से जनजातियों को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता हैं।
दक्षिणी क्षेत्र –
– राज्य की कुल जनजातियों का 57 प्रतिशत इस क्षेत्र में निवास करता हैं।
– इस क्षेत्र में निवास करने वाली मुख्य जनजातियाँ भील, मीणा, डामोर तथा गरासिया हैं।
– विस्तार – इस क्षेत्र में सिरोही, चितौड़गढ़, राजसमन्द, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर आदि जिलें शामिल हैं।
– 70 प्रतिशत गरासिया जनजाति सिरोही जिले की पिण्डवाड़ा एवं आबूरोड़ तहसीलों में निवास करती हैं।
– 98 प्रतिशत डामोर जनजाति डूंगरपुर जिले की सीमलवाड़ा तहसील में निवास करती हैं।
पूर्वी व दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र –
– प्रमुख जनजातियाँ – इस क्षेत्र में भील, मीणा, सहरिया व सांसी जनजाति का बाहुल्य हैं। इस क्षेत्र में मीणा जाति की अधिकता हैं।
– सांसी जनजाति भरतपुर में निवास करती हैं।
– विस्तार – अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, कोटा, बूँदी, बारां, अजमेर, भीलवाड़ा, झालावाड़, टोंक आदि जिलों में।
उत्तर पश्चिम क्षेत्र –
– इस क्षेत्र में राज्य की लगभग 7.14 प्रतिशत जनजातियाँ पाई जाती हैं।
– प्रमुख जनजातियाँ – भील, गरासिया व मीणा।
– विस्तार – यह जनजाति पश्चिमी राजस्थान के 12 जिलों यथा चुरू, हनुमानगढ, गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली बाड़मेर, जालौर, सीकर, झुंझुनूं आदि में निवास करती हैं।
राजस्थान की प्रमुख जनजातियाँ
- मीणा –
– मीणा शब्द का अर्थ मत्स्य या मछली होता हैं।
– मीणा जनजाति की 51.20 प्रतिशत जनसंख्या राज्य के 5 जिलों जयपुर, करौली, दौसा, उदयपुर, सवाई माधोपुर में पाई जाती हैं।
– राज्य में सर्वाधिक मीणा जनसंख्या जयपुर में निवास करती हैं।
– जनसंख्या के आधार पर राज्य की सबसे बड़ी एवं शिक्षित जनजाति।
– टोंक में जन्मे मीणा के धर्मगुरु जैन मुनि मगन सागर द्वारा लिखित मीणा पुराण में मीणाओं को ‘भगवान मीन’ का वंशज बताया है। इसमें मीणाओं के 5200 गौत्र का वर्णन है।
– कच्छवाहा वंश के संस्थापक दुल्हेराय ने मीणा जाति के शासक को पराजित कर आमेर पर अधिकार स्थापित कर लिया।
– मीणा जनजाति में मछली का सेवन निषेध हैं।
मीणा जनजाति की उपजातियाँ –
– मीणा जनजाति में दो प्रमुख वर्ग है – (i) जमीदार मीणा व (ii) चौकीदार मीणा।
– जमीदार मीणा जयपुर के आस-पास के भागों में रहते हैं। जबकि चौकीदार मीणा उदयपुर, कोटा, बॅूंदी चितौड़गढ़ आदि जिलों में पाये जाते हैं।
मीणा जनजाति में अन्य सामाजिक वर्ग –
– आद मीणा, रावत मीणा, सुरतेवाल मीणा, ठेढ़िया मीणा, पड़िहार मीणा, भील मीणा, चौथिया मीणा
सामाजिक जीवन –
– मीणा जनजाति की सबसे बड़ी पंचायत :- चौरासी।
– पटेल :- पंचायत का मुखिया।
– इस जनजाति में रक्त सम्बन्धों को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं।
– इनमें गोद प्रथा पाई जाती हैं।
– मीणा जनजाति के लोग ढाणी, गाँव और पाल में रहते हैं।
– इनमें पितृवंशीय परम्परा तथा संयुक्त परिवार प्रथा पाई जाती हैं।
– इस जनजाति में बाल विवाह का प्रचलन है।
– नाता प्रथा:- मीणा जनजाति में महिला अपने जीवित पति को छोड़कर अन्य किसी पुरुष के साथ भाग जाए या रहने लगे तो इसे ‘नाता प्रथा’ कहते हैं।
– छेड़ा फाड़ना :- तलाक की एक प्रथा।
धर्म –
– इनका धर्म हिन्दू हैं तथा ये दुर्गा माता की पूजा करते हैं।
– जादू-टोने में विश्वास रखते हैं।
– आराध्य देवी :- बाण माता।
– कुलदेवी :- जीणमाता।
– लोक देवता :- बूझ देवता।
– इष्टदेव :- भूरिया बाबा (गोतम ऋषि)।
– मीणा जाति का प्रयागराज :- रामेश्वरम (सवाईमाधोपुर)।