तथ्य – 1941 की जनगणना के अनुसार जयपुर की कुल जनसंख्या 30 लाख थी।
- एकीकरण के समय जनसंख्या की दृष्टि से छोटी रियासत शाहपुरा।
तथ्य – 1941 की जनगणना के अनुसार शाहपुरा की कुल जनसंख्या 16 हजार थी।
- राजस्थान की सबसे पिछड़ी हुई रियासत – जैसलमेर थी।
- जैसलमेर रियासत को राजस्थान का अण्डमान कहा जाता है।
- जैसलमेर रियासत ने सन् 1942 के भारत छोड़ों आन्दोलन में भाग नहीं लिया था।
- अग्रेजों से संन्धि करने वाली पहली रियासत – करौली (18 नवम्बर 1817)।
- अग्रेजो से संधि करने वाली दूसरी रियासत – कोटा (1817)।
- अंग्रेजो से संधि करने वाली अन्तिम रियासत – सिरोही (1823)।
- रियासतों को तोप सलामी का अधिकार था जबकि ठिकानों को नहीं था।
तथ्य – शाहपुरा व किशनगढ़ राज्य की दो ऐसी रियासते थी जिन्हें तोप सलामी का अधिकार नहीं था।
- बाँसवाडा के शासक चन्द्रवीर सिंह ने एकीकरण के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा कि, “मैं अपने डेथ वारन्ट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।”
- शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाने वाली प्रथम रियासत – डूँगरपुर।
- शिकार एक्ट पारित करने वाली प्रथम रियासत – टोंक (1901)
- वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु कानून बनाने वाली रियासत – जोधपुर (1910)
- डाक टिकट व पोस्ट कार्ट जारी करने वाली प्रथम रियासत – जयपुर।
तथ्य – 1904 में माधोंसिंह द्वितीय के द्वारा सर्वप्रथम डाक टिकट जारी किया गया।
- भारतीय संविधान निर्मात्री सभा में राजस्थान के कुल – 12 सदस्यों ने भाग लिया।
- राजस्थान से संविधान निर्मात्री सभा में भाग लेने के लिए प्रथम सदस्य के रूप में बीकानेर के शासक सार्दूल सिंह के नेतृत्व में K.M. पन्निकर को भेजा गया।
- एकीकरण के समय राज्य में तीन ठिकाने थे – 1. नीमराणा (अलवर) 2. लावा (जयपुर) 3. कुशलगढ (बांसवाड़ा)।
- राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा ठिकाना कुशलगढ व क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा ठिकाना लावा था।
- एकीकरण के समय एक केन्द्र शासित प्रदेश अजमेर – मेरवाडा था।
- अजमेर – मेरवाडा की एक अलग से विधान सभा थी।
- अजमेर – मेरवाडा की विधान सभा को धारा सभा के नाम से जाना जाता था।
- अजमेर – मेरवाडा का मुख्यमंत्री – हरिभाऊ उपाध्यक्ष थे।
- अजमेर मेरवाडा ए श्रेणी का राज्य था।
- एकीकरण के समय भारत मुख्यत तीन श्रेणियों में विभाजित था।
- A श्रेणी – वे राज्य जो पूर्व में प्रत्यक्ष ब्रिटिश नियंत्रण में थे जैसे – बिहार, बम्बई, मद्रास आदि इनके प्रमुख का पद गवर्नर का पद था।
- B श्रेणी – छोटी – छोटी रियासमों से बने संघ इस श्रेणी में शामिल थे जैसे – राजस्थान, मध्य भारत।
- इनके प्रमुख का पद – राजप्रमुख का पद था।
- C श्रेणी – ये वे छोटे – छोटे राज्य थे, जिन्हें ब्रिटिश काल में चीफ कमिश्नर के प्रान्त कहा जाता था जैसे – अजमेर व दिल्ली।
- A, B व C तीनों श्रेणियों को 7वें संविधान संशोधन 1956 के द्वारा समाप्त कर दिया तथा राज्यपाल का पद सृजित किया गया।
- राजस्थान का प्रथम राज्यपाल – सरदार गुरूमुख निहांलसिंह।
- सबसे लम्बे कार्यकाल वाला राज्यपाल – सरदार गुरूमुख निहाल।
- सबसे छोटे कार्यकाल वाला राज्यपाल – दरबारासिंह।
- पद पर रहते मृत्यु को प्राप्त होने वाला प्रथम राज्यपाल – दरबारा सिंह।
- पद पर रहते अब तक चार राज्यपालो की मृत्यु हो चुकी है।1. दरबारा सिंह 2. निर्मल सिंह 3. शैलेन्द्र सिंह 4. प्रभाराव।
- पद पर रहते हुए मृत्यु को प्राप्त प्रथम महिला राज्यपाल – प्रभाराव।
- भारत की प्रथम महिला राज्यपाल – सरोजनी नायडू (उत्तर प्रदेश)
- राजस्थान की प्रथम महिला राज्यपाल – प्रतिभा देवी सिंह पाटिल
तथ्य – प्रतिभा पाटिल का जन्म जलगांव महाराष्ट्र में हुआ प्रतिभा पाटिल को छोटी लोसल सीकर की बबहु के उपनाम से जाना जाता है।
- अब्दुल रहमान किदवई के पश्चात् शैलेन्द्र सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया।
- शैलेन्द्र सिंह की मृत्यु के पश्चात् प्रभाराव को राज्यपाल बनाया जिसे बाद में स्थायी कर दिया गया।
- प्रभाराव की मृत्यु के बाद पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल को राज्यपाल बनाया गया।
- राजस्थान का प्रथम मुख्यमंत्री – हीरालाल शास्त्री।
- राजस्थान का प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री – टीकाराम पालीवाल।
- राजस्थान का प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री – हीरालाल शास्त्री।
- राजस्थान का प्रथम प्रधानमंत्री जो राज्य का मुख्यमंत्री बना – हीरालाल शास्त्री।
- हीरालाल शास्त्री सरकार के बाद C.S. वेंकटाचार्य को राज्य का मुख्यमंत्री मनोनीत किया।
- C.S. वेंकटाचार्य के पश्चात् जयनारायण व्यास को राज्य का मुख्यमंत्री मनोनीत किया गया।
- अब तक मनोनीत होने वाले मुख्यमंत्री 1. हीरालाल शास्त्री 2. C.S. वेंकटाचार्य 3. जयनारायण व्यास।
- जयनारायण व्यास एकमात्र मुख्यमंत्री है जो मनोनीत भी है और निर्वाचित भी है।
- सर्वाधिक लम्बे कार्यकाल वाला मुख्यमंत्री – मोहनलाल सुखाडिया।
- सबसे छोटे कार्यकाल वाला मुख्यमंत्री – हीरालाल देवपुरा।
- तीन बार शपथ लेने वाला मुख्यमंत्री – भैरोंसिंह शेखावत व हरिदेव जोशी है।
- हरिदेव जोशी एकमात्र मुख्यमंत्री है जिसने तीन बार शपथ ली तथा कार्यकाल एक बार भी पुरा नहीं किया।
- प्रथम अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री – जगन्नाथ पहाड़िया।
- प्रथम पद पर रहते हुए मृत्यु को प्राप्त मुख्यमंत्री – बरकतुल्ला खाँ।
- राजस्थान का प्रथम मुस्लिम मुख्यमंत्री – बरकतुल्ला खां।
- भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री – सुचेता कृपलानी।
- राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री – वंसुधराराजे।
- एकीकरण के समय राज्य में चार राजपुताना एजेन्सी थी।
- पश्चिमी राजपूताना स्टेट एजेन्सी– मुख्यालय जोधपुर।
- मेवाड राजपूताना स्टेट एजेन्सी – मुख्यालय– उदयपुर।
- जयपुर राजपूताना एजेन्सी – मुख्यालय– जयपुर।
- राजपूताना स्टेट एजेन्सी – मुख्यालय– कोटा।
- एजेन्ट टू गवर्नर जनरल की स्थापना (A.G.G.) विलियम बैंटिक के द्वारा की गई।
- प्रथम एजेन्ट टू गवर्नर मिस्टर लॉकेट को बनाया गया।
- A.G.G. की स्थापना अजमेर में की गयी।
- A.G.G. का मुख्यालय – माउण्ट आबू (सिरोही)
- A.G.G. का प्रमुख कार्य – सभी रियासतो पर निगरानी रखना था।
- मेवाड़ के महाराणा ने राजस्थान की सभी रियासतों को मिलाकर ‘राजस्थान यूनियन‘ का गठन करने हेतु 25-26 जून, 1946 को उदयपुर में राजपूताना, गुजरात एवं मालवा के नरेशों का सम्मेलन बुलाया। उनका राजस्थान यूनियन के गठन का प्रयास असफल रहा। इसी तरह के असफल प्रयास जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह, कोटा महाराव भीमसिंह एवं डूंगरपुर महारावल लक्ष्मणसिंह ने भी किए थे।
- भारतीय संविधान परिषद् में मेवाड़ से भेजे जाने वाले दो प्रतिनिधियों में सर टी.वी. राघवाचारी और माणिक्य लाल वर्मा थे। जोधपुर से सी.एस. वैंकटाचारी और श्री जयनारायण व्यास को भेजा गया।
- 19 जुलाई, 1948 को लावा ठिकाने (चीफशिप) को केन्द्रीय सरकार के आदेश से जयपुर रियासत में शामिल कर दिया गया।
- वी. पी. मेनन के ठीक समय पर किये गये प्रयासों व लॉर्ड माउन्टबैटन के समझाने के कारण जोधपुर नेरश हनुवन्त सिंह ने अपनी रियासत का पाकिस्तान में विलय करने का विचार त्याग दिया।
- मोहम्मद अली जिन्ना के कहने पर जोधपुर नरेश पाकिस्तान के साथ समझौता करने को उद्यत हुए तो उन्होंने जैसलमेर के राजकुमार से पूछा कि “तुम मेरे साथ पाकिस्तान में विलय पर हस्ताक्षर करोगे या नहीं।“ प्रत्युत्तर में जैसलमेर राजकुमार ने कहा कि “यदि हिन्दू व मुसलमानों के बीच कोई संकट उत्पन्न हुआ तो वह हिन्दुओं के विरूद्ध मुलसमानों का साथ नहीं देगा।“
- बीकानेर के महाराज शार्दूलसिंह ने 7 अगस्त, 1947 को ‘इन्ट्रटमेन्ट ऑफ एक्सेशन‘ पर हस्ताक्षर कर दिये। इस साहसपूर्ण कदम की सरदार पटेल ने भी प्रशंसा की और कहा महाराजा बीकानेर ने देश की इस नाजुक घड़ी में राजाओं को समुचित नेतृत्व प्रदान कर देश की बड़ी सेवा की।