– राजस्थान लघु उद्योग विकास निगम (राजसिको) की स्थापना :- जून 1961 में।
– राजस्थली एम्पोरियम :- राजसिको द्वारा हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन देने व उनके सामान के विपणन के लिए आयोजित एम्पोरियम।
– राजसिको द्वारा आदिवासी हस्तशिल्प प्रशिक्षण केन्द्र उमर गाँव (बूँदी) में दरी बुनाई, सीसारमा (उदयपुर) में फर्नीचर कार्य, बासी (चित्तौड़) तथा धरियाबाद में दरी बुनाई हेतु स्थापित किये गए है।
– राजस्थान की 14 वस्तुएँ GI टैग में शामिल हैं जिसमें –
- कोटा डोरिया 2. ब्ल्यू पॉटरी
- मोलेला क्ले वर्क 4. कठपुतली
- साँगानेरी हैण्ड ब्लॉक प्रिन्ट 6. थेवा कला
- कोटा डोरिया (लोगो) 8. बगरू हैण्ड ब्लॉक प्रिन्ट
- थेवा कला 10. मकराना मार्बल
- मोलेला क्ले वर्ग (लोगो) 12. ब्ल्यू पॉटरी (लोगो)
- कठपुतली (लोगो) 14. पोकरण पोटरी
फुलकारी के लिए राजस्थान, पंजाब, हरियाणा को संयुक्त रूप से GI टैग मिल चुका है।
– फैशन फोर डवलपमेंट योजना की शुरूआत :- 2008 में।
उद्देश्य :- खादी एवं ग्रामोद्योग को बढ़ावा देना।
– खरादी :- लकड़ी का ठप्पा तैयार करने वाले कारीगर को खरादी कहा जाता है। इस प्रिंट में लाल व काले रंग का विशेष प्रयोग किया जाता है।
– मेण/भेसा प्रिंट :- सवाईमाधोपुर।
– आजम प्रिंट :- आकोला (चित्तौड़गढ़)।
– कटारी प्रिंट :- बालोतरा (बाड़मेर)। इस प्रिंट को प्रसिद्ध करने में यासीन खान छीपा का विशेष योगदान रहा।
– खड्डी प्रिंट :- जयपुर और उदयपुर गहरी लाल रंग की ओढ़नी पर की जाती है।
– जयपुर का बंधेज विश्व प्रसिद्ध है।
– जोधपुर का प्रतापशाही ओर जयपुर का राजशाही लहरिया प्रसिद्ध है।
– लाल बूंद की पोमचा की बंधेज :- सवाईमाधोपुर।
– शेखावटी क्षेत्र चोपड़ की चूनरी, तिबारी की बंधेज प्रसिद्ध है।
– काँच की कशीदाकारी के लिए बाड़मेर व जैसलमेर प्रसिद्ध है।
– पेचवर्क शेखावटी की प्रसिद्ध हस्तकला है।
– तुडिया कला के लिए धौलपुर प्रसिद्ध है। यह काँसा, पीतल आदि से नकली जेवर बनाने की कला है।
– बेवाण और कठपुतली के लिए प्रसिद्ध जिला :- कोटा।
– पातरे-तिरपणे (जैन साधुओं के लिए लकड़ी के बर्तन) के लिए पीपाड़ (जोधपुर) प्रसिद्ध हैं।
– मोणक (मोण) :- मिट्टी का अण्डाकार मटका।
– फूल-पत्ती की साड़ियाँ :- श्रीनाथद्वारा (राजसमन्द)।
– ऊन के बने नमदे :- टोंक।
– हस्तशिल्प डिजाईन प्रशिक्षण केन्द्र :- जयपुर में।
– मारवाड़ में ‘दामणी’ ओढ़नी का एक प्रकार है।
– डूँगरपुर जिले में देवल की खान से परेवा पत्थर निकलता है।
– हैण्डलूम मार्क हैण्डलूम कपड़ों की प्रमाणिकता बतलाता है।
– छातों के लिए प्रसिद्ध :- फालना।
– अजमेर :- गोटा कलस्टर।
– किशनगढ़ :- सिल्क एवं वुडन पेंटिंग कलस्टर।
– स्ट्राबोर्ड का राज्य में एकमात्र कारखाना कोटा जिले में स्थित है।
– मुड़ढ़ा :- सरकण्डों से तैयार की गई कुर्सी।
– नरोत्तम शर्मा पिछवाई कला के प्रसिद्ध कलाकार है।
– बगरू के छीपों की छपाई का स्वर्णकाल :- 1976 से 1979 ई. तक।
– जैसलमेर में जरीभाँत के ओढ़ने ‘रेस्ति छपाई’ तकनीक से बनते हैं।
– कंवरजोड़ :- मामा द्वारा विवाह के अवसर पर अपनी भान्जी के लिए लाई गई ओढ़नी।