राजस्थान सामान्य ज्ञान : राजस्थानी साहित्य एवं संस्कृति

 

 

–  नैणसी की मारवाड़ रा परगनां री विगत में प्रत्येक परगने की आबादी, रेख, भूमि किस्म, फसलों का हाल, सिंचाई के साधन आदि की जानकारियाँ मिलती हैं।

  • विलास-विलास काव्य कृतियों में राजनीतिक घटनाओं के अलावा आमोद-प्रमोद विषयक पहलुओं का भी वर्णन मिलता है। राजविलास, बुद्धिविलास, वृत्तविलास, विजय विलास, भीम विलास इत्यादि महत्वपूर्ण विलास ग्रन्थ हैं।
  • वेलि-वेलि का अर्थ वेल, लता व वल्लरी है। वल्लरी संस्कृत शब्द है, जिसका अपभ्रंश रूप वेल अथवा वेलि है। ऐतिहासिक वेलि ग्रंथ ‘वेलियों‘ छन्द में लिखे हुए मिलते हैं। इन वेलि ग्रन्थों से राजनीतिक घटनाओं के साथ-साथ सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताओं की जानकारी भी मिलती है। दईदास जैतावत री वेलि, रतनसी खीवावत री वेल तथा राव रतन री वेलि प्रमुख वेलि ग्रंथ हैं।
  • सबद-सन्त काव्य में ‘सबद‘ से तात्पर्य ‘गेय पदों से‘ है। ‘सबद‘ में प्रथम पंक्ति ‘टेक‘ अथवा स्थायी होती है, जिसको गाने में बार-बार दोहराया जाता है। ‘सबद‘ का शुद्ध रूप शब्द होता है। सभी सन्त कवियों ने शब्दों की रचनाएँ की हैं जिन्हें विभिन्न लौकिक और शास्त्रीय रागों में गाया जाता है।
  • साखी-साखी का मूल रूप साक्षी है। साक्षी का अर्थ ‘आँखों देखी बात का वर्णन करना‘ अर्थात् ‘गवाही देना‘ होता है। साखी परक रचनाओं में सन्त कवियों ने अपने अनुभूत ज्ञान का वर्णन किया है। साखियों में सोरठा छन्द का प्रयोग हुआ है। चौपाई, चौपई, छप्पय आदि का प्रयोग कम हुआ है। कबीर की साखियाँ प्रसिद्ध हैं।
  • सिलोका-संस्कृत के श्लोक शब्द का बिगड़ा रूप सिलोका है। राजस्थानी भाषा में धार्मिक, ऐतिहासिक और उपदेशात्मक सिलोके लिखे मिलते हैं। कुछ सिलोके प्रख्यात वीरों एवं कुछ ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर लिखे गए हैं। सिलोका साधारण पढ़े-लिखे लोगों द्वारा लिखे गये हैं, इसलिए ये जनसाधारण की भावनाओं का दिग्दर्शन कराते हैं। राव अमरसिंह रा सिलोका, अजमालजी रो सिलोको, राठौड़ कुसलसिंह रो सिलोको, भाटी केहरसिंह रो सिलोको इत्यादि प्रमुख सिलोके हैं।
  • स्तवन-स्तुतिपरक काव्यों को स्तवन कहा जाता है। ऐसे काव्यों को स्तुति, स्तोत्र, विनती और नमस्कार भी कहते हैं। इनका संबंध तीर्थंकरों, महापुरुषों, तीर्थाें, साधुओं और महासतियों आदि से होता है।
  • हकीकत-हकीकत का अर्थ वास्तविकता से है। इन लघु कृतियों का उद्देश्य किसी घटना, स्थान विशेष या राजवंश के बारे में सही जानकारी का बोध कराना है। मनसब री हकीकत, बीकानेर री हकीकत, हाड़ा री हकीकत इत्यादि महत्वपूर्ण हकीकत ग्रंथ हैं।

राजस्थानी भाषा के रूप

  • डिंगल –अपभ्रंश मिश्रित पश्चिमी राजस्थानी (मारवाड़ी) के साहित्यिक रूप को ही डिंगल कहा जाता है। चारण साहित्य इसी श्रेणी में आता है। डिंगल साहित्य प्रधानतः वीर रसात्मक है।
  • पिंगल –ब्रजभाषा एवं पूर्वी राजस्थानी के अपभ्रंश मिश्रित साहित्यिक रूप को पिंगल कहा जाता है।

राजस्थान में साहित्यिक विकास हेतु कार्यरत संस्थाएँ

  1. राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर –राजस्थान में साहित्य की प्रोन्नति तथा साहित्यिक संचेतना के प्रचार-प्रसार हेतु 28 जनवरी 1958 को स्थापित। अकादमी द्वारा राजस्थानी क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार मीरा-पुरस्कार है। संस्थान की पत्रिका-मधुमति।
  2. राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर –संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने, संस्कृत मौलिक लेखन को प्रोत्साहन देने, संस्कृत साहित्य को प्रकाशित करने तथा नवोदित प्रतिभाओं को प्रकाश में लाने हेतु वर्ष 1980 में राजस्थान संस्कृत अकादमी की स्थापना की गई। माघ पुरस्कार इस अकादमी द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पत्रिका -स्वर मंगला
  3. राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर –ब्रजभाषा के सम्यक प्रचार-प्रसार एवं विकास हेतु वर्ष 1985-86 में स्थापित।
  4. राजस्थान सिंधी अकादमी, जयपुर –सिंधी साहित्य के प्रचार-प्रसार एवं विकास हेतु इस अकादमी की स्थापना की गई।
  5. राजस्थान उर्दू अकादमी, जयपुर –उर्दू भाषा एवं साहित्यिक कार्यकलापों को प्रोत्साहित करने हेतु सन् 1979 में स्थापित। पत्रिका – नखलिस्तान।
  6. राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर –हिन्दी में विश्वविद्यालय स्तरीय मानक पाठ्य पुस्तकों एवं संदर्भ ग्रंथों के निर्माण, प्रकाशन तथा हिन्दी भाषा के उन्नयन हेतु 15 जुलाई, 1969 को स्थापित।
  7. राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर-जनवरी, 1983 में राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के विकास हेतु इस अकादमी की स्थापना बीकानेर में की गई।  पत्रिका – जागती जोत, पुरस्कार – सूर्यमल्ल मिश्रण शिखर पुरस्कार।
  8. मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान, टोंक –अरबी-फारसी भाषा एवं साहित्य के शोध एवं विकास हेतु 4 दिसम्बर, 1978 को अरबी-फारसी शोध संस्थान की स्थापना टोंक में की गई। इसके भवन का नाम ‘कसरे इल्म’ है।

राजस्थान का साहित्य

(अ) संस्कृत साहित्य

पुस्तकलेखकविशेष विवरण
1. पृथ्वीराज विजयजयानकदिल्ली व अजमेर के चौहान शासकों

का राजनीतिक व सांस्कृतिक इतिहास

2. हम्मीर महाकाव्यनयनचन्द्र सूरीरणथम्भौर के चौहानों व अलाउद्दीन

खिलजी के आक्रमण की जानकारी

3. राज वल्लभमण्डन15वीं सदी की स्थापत्य कला
4. राज विनोदसदाशिव भट्ट16वीं सदी के समाज का रहन-सहन
5. एकलिंग महात्म्यकान्ह व्यास

व कुम्भा

गुहिल वंश की जानकारी
6. अमरसारपं.जीवाधरमहाराणा प्रताप व अमरसिंह

के बारे में जानकारी

7. राज रत्नाकरसदाशिव भट्टराजसिंह (उदयपुर) के बारे में
8. अमरकाव्यरणछोड़ भट्टमेवाड़ का सामाजिक व

धार्मिक जीवन वंशावली

9. अजीतोदयजगजीवन भट्टमारवाड़ के जसवन्त सिंह

व अजीत सिंह के बारे में

 

(ब) राजस्थानी साहित्य

 

पुस्तकलेखकविवरण
1. पृथ्वीराज रासोचन्दवरदाईपृथ्वीराज चौहान तृतीय

के विषय में

2. बीसलदेव रासोनरपति नाल्हविग्रहराज चतुर्थ

(बीसलदेव) के विषय

3. हम्मीर रासोसारंगधर

(जोधराज)

हम्मीर (रणथम्भौर)

के विषय में

4. खुमाण रासोदलपति विजय
5. वंश भास्करसूर्यमल्ल मिश्रणबूँदी के राजाओं का

वंशाक्रमानुसार इतिहास

6. सूरज प्रकाशकरणीदानअभयसिंह (जोधपुर)

के विषय में

7. वीर सतसईसूर्यमल्ल मिश्रण
8. वीर विनोदश्यामल दास
9. राज रूपकवीरभाण
10. गुण रूपककेशवदास
11. गुण भाष्यहेमकवि
12. कान्हड़दे प्रबंधपद्मनाभअलाउद्दीन खिलजी के

जालौर आक्रमण

के विषय में

13. अचलदास खींची री वचनिकाशिवदास गाडण
14. वेलि क्रिसन रुकमणि रीपृथ्वीराज राठौड़
15. राम रासोमाधोदास
16. मुहता नेणसी

री ख्यात

मुहणोत नेणसी
17. राजिये रा सोरठाकृपाराम
18. चेतावनी रा

चुंगट्या

केसरी सिंह बारहठ

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