हृदय की संरचना एवं कार्य
- सबसे व्यस्त मानव अंग हृदय है।
- विश्व में पहला हृदय प्रत्यारोपणडॉ. क्रिस्टियन बर्नाड द्वारा किया गया था
- सर्वप्रथम कृत्रिम हृदय का प्रयोग (शल्य चिकित्सा के दौरान)माइकेल डी बाने ने किया था।
- पेस-मेकर हृदय की धड़कन को नियंत्रित करता है।
- स्वस्थ व्यक्ति की हृदय धड़कन 72 बार प्रति मिनट होती है।
- हृदय की ध्वनियाँ (लब, डब) को स्टैथोस्कोप से सुना जा सकता है।
- धमनियां शुद्ध रक्त या ऑक्सीकृत रक्त को हृदय से विभिन्न अंगों तक ले जाती है। इनमें कपाट का अभाव, दीवार मोटी व रक्त लाल होता है।
- शिरा अशुद्ध रक्त या अनाक्सीकृत रक्त को विभिन्न अंगों से हृदय तक लाती है। इनमें कपाट होते हैं, दीवार पतली होती है एवं रक्त बैगनी होता है।
- फुफ्फुसीय धमनी में अशुद्ध रक्त एवं फुफ्फसीय शिरा में शुद्ध रक्त बहता है।
- हृदय के बांये आलिन्द एवं निलय में शुद्ध रक्त तथा दांये आलिन्द एवं निलय में अशुद्ध रक्त बहता है।
- रक्तदान के समय रक्त शिराओं में से ही लिया जाता है एवं शिराओं में ही डाला जाता है।
- हृदय एक धड़कन में लगभग 70 मि.ली. रूधिर पम्प करता है।
- ECG हृदय से सम्बन्धित है जो हृदय की गति का मापन करती है।
- अम्लीयता हृदय की गति को अधिक एवं क्षारीयता हृदय की गति को कम करती है।
- सामान्य व्यक्ति के हृदय का वजन लगभग 350 ग्राम होता है।
- हृदय की रक्त पम्प करने की क्षमता 5 लीटर प्रति मिनट होती है।
एन्टीजन एवं एन्टीबॉडी
- कार्ल लैंडस्टीनर ने सन् 1900 ई. में पता लगाया कि मनुष्य में रूधिर के चार वर्ग होते हैं तथा इन वर्गों को A, B, AB और 0 नाम दिया।
- विभिन्न रूधिर वर्गों में भिन्नता का कारण B.C. की कोशिका झिल्ली पर पाये जाने वाले विशेष ग्लाइकोप्रोटीन होते हैं जिन्हें एन्टीजन कहते हैं।
वर्ग | कोशिका R.B.C. में एन्टीजन | प्लाज्मा में प्रतिरक्षी | दिया जाने वाला रूधिर वर्ग | न दिया जाने वाला रूधिर वर्ग |
A | A (Antigen) | B(Antibody) | A तथा O | B तथा AB |
B | B | A | B तथा O | A तथा AB |
AB | A तथा B | कोई नहीं | A, B, AB, O | – |
O | कोई नहीं | A तथा B | O | A, B तथा AB |
- AB रूधिर वर्ग वाला मानव सार्वत्रिक ग्राही तथा 0 रूधिर वर्ग वाला मानव सार्वत्रिक दाता कहलाता है।
- भारत में सबसे अधिक रूधिर वर्ग B (34.5%) पाया जाता है तथा दूसरे नम्बर पर O रूधिर वर्ग तथा सबसे कम व्यक्ति AB रूधिर वर्ग के पाये जाते हैं।
- 1940 ई. में लैण्डस्टीनर तथा वीनर ने रूधिर में अन्य प्रकार के एन्टीजन का पता लगाया (खोज रिसस बन्दर में) जिसे Rh Factor कहा जाता है जिनमें यह उपस्थित उन्हें Rh+ एवं जिनमें यह Absent उन्हें Rh– कहते हैं।
- इरिथ्रोब्लास्टोसिस फिटेलिस: यदि पिता Rh+ एवं माता Rh– हो तो जन्म लेने वाले (प्रथम शिशु को छोड़कर) सभी सन्तानें गर्भावस्था या जन्म के कुछ समय बाद मर जाती है।
- रूधिर की कमी होने पर एनिमिया रोग हो जाता है।
- रक्त दाबस्फिग्मोमैनोमीटर से नापा जाता है। सामान्य व्यक्ति में रक्त दाब 120-80 mm/Hg होता है।